एक मंदिर ऐसा भी जहां भगवान शिव को चढ़ाया जाता है जिंदा केकड़ा…
यदि आप से कोई बोले की उस मंदिर में जिंदा केकड़े चढाएं जाते है और मरने वाले लोगों की इच्छाएं भी पूरी होती है, तो क्या आप यकीन कर पाएंगे ? शायद नहीं ! लेकिन ये बात सच है ,गुजरात के सूरत में एक ऐसा मंदिर है जहां आपक कुछ ऐसे देखने को मिलेगा जिसकी आपने कभी कल्पना भी नहीं की होगी । दरअसल, सूरत के रुंधनाथ महादेव मंदिर में भक्त अपनी मनोकामना पूरी होने पर साल में एक बार जिंदा केकड़ा चढ़ाते है। इसके अलावा इसी दिन श्मशान घाट में के मृतक के परिजन मरने वाले की इच्छा के अनुसार, उसे वो चीज खिलाते है जो उसे पसंद थी। इसके पीछे लोगों की मान्यता है कि, ऐसा करने से उनकी आत्मा को शांति मिलती है।
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क्यों चढाएं जाते है केकड़े ?
रुंधनाथ महादेव मंदिर में भक्त अपनी मनोकामना पूरी होने और किसी पुरानी बीमारी के सही हो जाने के बाद मंदिर में स्थित शिवलिंग पर जिंदा केकड़े को अर्पित करते है । ऐसे करने वालो में जिन्हें कान की कोई बीमारी होती है और यहां लिंगम पर जिंदा केकड़ा चढ़ाया जाता है। कहा जाता है कि जो लोग अपनी मन्नत पूरी करना चाहते हैं, वे यहां जाकर जिंदा केकड़ा चढ़ाते हैं। यह पहला ऐसा मंदिर है जहां भगवान को खुश करने के लिए जिंदा केकड़ा चढ़ाया जाता है। आपको बता दें कि सूरत के इस रुंडनाथ शिव मंदिर में सालों से केकड़ा चढ़ते आ रहे है।
बीड़ी, सिगरेट, शराब का भी चढ़ता चढवा
इसके साथ ही इस मंदिर के पास में बने रामनाथ घेला नाम के श्मशान घाट में मृतक लोगों की आत्मा की शांति के लिए उनके परिवार के लोगो एक विशेष दिन के अवसर पर चिता जलाने वाले स्थान पर आकर पूजा पाठ कर सकते है और मृतक की पसंदीदा चीजों को चढाते है, इन चीजों में मरने वाली की पसंद की बीड़ी, सिगरेट, शराब आदि के साथ खाने की और भी कोई चीज हो तो परिजन उसे दान करते है । ऐसा करने के पीछे लोगो की मान्यता है कि, मृतक की पसंदीदा चीज चढ़ाने से मृतक की आत्मा को शांति मिलती है। इसलिए रामनाथ घेला श्मशान घाट पर परिजन मृतक की पसंदीदा चीज चढाते है ।
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कब से शुरू हुई ये मान्यता
बताया जाता है कि, रुंधनाथ शिव मंदिर में केकड़े चढ़ाने की मान्यता सालों पुरानी है, इसके साथ ही इस मान्यता को शुरू करने के पीछे लोग एक पौराणिक कथा भी बताते है। लोगों का कहना है कि, इस मंदिर का निर्माण स्वयं भगवान श्रीराम ने वनवास के दौरान किया था और इस स्थान पर भगवान शिव की उपासना की थी । तब से इस मंदिर का अस्तित्व माना गया है । इसके साथ ही लोगो का कहना है कि, आदिकाल में जब मंदिर के स्थान पर समुद्र बहा करता था तभी एक ऐसी घटना घटी, जिसके बाद तब से लेकर आज तक केकड़े चढ़ाने की मान्यता चली आ रही है।