अविश्वास मत से बच गई कांग्रेस, पेश की थी 109-सूत्रीय ‘चार्जशीट’
लोक सभा चुनाव 2024 में भाजपा को शिकस्त देने के लिए हर प्रकार की रणनीति बना रही है। ऐसे में कई विपक्षी दल खुद भी भाजपा के घेरे में फंसते जा रहे हैं। छत्तीसगढ़ में भूपेश बघेल के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार शनिवार को राज्य विधानसभा के मानसून सत्र के आखिरी दिन भाजपा द्वारा लाए गए अविश्वास मत से बच गई। राज्य विधानसभा में 13 घंटे की बहस के बाद देर रात एक बजे ध्वनि मत से अविश्वास प्रस्ताव गिर गया। 90 सदस्यीय विधानसभा में जहां कांग्रेस के 71 सदस्य हैं, वहीं सदन में भाजपा के 13 विधायक हैं।
पेश की थी 109-सूत्रीय ‘चार्जशीट’
21 जुलाई की दोपहर बाद शुरू हुई बहस में भाजपा ने बघेल सरकार के खिलाफ 109-सूत्रीय ‘चार्जशीट’ पेश की और उस पर भ्रष्टाचार और चुनावी वादों को पूरा करने में विफलता का आरोप लगाया। हंगामेदार बहस के दौरान, विपक्षी सदस्यों ने कथित घोटालों, अपने चुनावी वादों को पूरा न करने और कानून व्यवस्था की ‘बिगड़ती’ स्थिति को लेकर कांग्रेस सरकार पर निशाना साधा।
विपक्ष नहीं ला पाया ठोस कदम
ट्रेजरी बेंच ने यह दावा करते हुए आरोपों को खारिज कर दिया कि विपक्ष कोई ठोस मुद्दा लाने में विफल रहा और उसके आरोपपत्र में तथ्यों का अभाव है। बहस का जवाब देते हुए मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कहा कि विपक्ष के आरोप पत्र में तथ्यों की कमी है और इसे लाकर भाजपा ने सरकार को विधानसभा में अपनी उपलब्धियों को उजागर करने का मौका दिया है। इस दौरान भाजपा सदस्यों ने सरकार के खिलाफ नारेबाजी शुरू कर दी और दावा किया कि वह विपक्ष के आरोपों का जवाब देने में विफल रही है।
भूपेश बघेल ने केंद्र पर लगाया आरोप
बघेल ने केंद्र की आलोचना करते हुए कहा कि प्रवर्तन निदेशालय को भारी शक्तियां दी गई हैं जो देश के हित में नहीं है। उन्होंने कहा, ‘मैं जीएसटी से संबंधित मामलों की जांच के लिए ईडी को अधिकार देने के कदम का कड़ा विरोध करता हूं।’ सत्तारूढ़ दल ने आरोपों को खारिज कर दिया और कहा कि भाजपा इस साल के अंत में राज्य में विधानसभा चुनाव होने से पहले आखिरी सत्र के दौरान ठोस मुद्दों के साथ आने में विफल रही है। बीजेपी ने बुधवार को सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव पेश किया था और इस पर शुक्रवार को चर्चा तय थी।
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