ChatGPT लाने में भारतवाशियों का बड़ा हाथ, लेकिन गूगल ने कराया नुक्सान
आजकल हर क्षेत्र में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) की चर्चा है. वहीं कई क्षेत्रों में इसकी मदद ली जाने लगी है. इस बीच सबसे ज्यादा डिमांड ChatGPT की है. यह एक ऐसा भाषा मॉडल है, जिसमें प्रोग्रामिंग के माध्यम से दुनिया की बड़ी संख्या में जानकारी संग्रहीत की जाती है. यह चैटबॉट यूजर्स के सवालों का स्मार्ट तरीके से जवाब दे सकता है. लेकिन क्या आप जानते हैं चैटजीपीटी के आगमन में भारत की बड़ी भूमिका है. इसे तैयार करने में दो भारतीयों ने खास भूमिका निभाई है. ChatGPT की शुरुआत भले ही 2015 में हुई हो, लेकिन इसकी नींव Google ने पहले ही रख दी थी. आगे जानिए क्या है पूरा मामला.
Google ने AI पर पहले ही काम शुरू कर दिया था…
काफी समय पहले गूगल टीम में शामिल 8 रिसर्चर्स ने कंप्यूटर स्किल्स को बेहतर बनाने के लिए एक प्लान तैयार किया था. इसमें मुख्य फोकस बेहतर टेक्स्ट और इमेज तैयार करने पर था. इसे लेकर शोधकर्ताओं की टीम ने 5 साल तक कार्य परीक्षण किया. इस बारे में ‘अटेंशन इज़ ऑल यू नीड’ नाम से एक रिसर्च पेपर प्रकाशित हुआ था. बाद में इस रिसर्च पेपर की मदद से आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस तकनीक को और बेहतर बनाया गया.
रिसर्चर्स की टीम में दो भारतीय भी शामिल थे…
गूगल की टीम में शामिल 8 शोधकर्ताओं में से दो भारतीय मूल के थे, जिनका नाम आशीष वासवानी और निकी परमार है. इस टीम ने एक खास ट्रांसफार्मर तैयार किया, जो डेटा को बेहतर तरीके से मैनेज कर सकता था. साथ ही, यह इंसानों की तरह टेक्स्ट और इमेज भी बना सकता है। गूगल ने इस शोध पत्र को अन्य शोधकर्ताओं के साथ भी साझा किया। हालांकि उस समय कंपनी ने ही इस पर काम नहीं किया और मामला आगे नहीं बढ़ सका.
ChatGPT से कैसा है भारतीयों का कनेक्शन?
चैटजीपीटी का पूर्ण रूप चैट जेनरेटिव प्री-ट्रेंड ट्रांसफार्मर है. इसमें ट्रांसफार्मर का आर्किटेक्चर गूगल के ‘अटेंशन इज ऑल यू नीड’ रिसर्च पेपर की मदद से तैयार किया गया है. कुल मिलाकर आप समझ गए होंगे कि ChatGPT को बनाने में भारत का भी हाथ है.
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