आदिपुरुष के डायलॉग्स पर मनोज मुंतशिर ने तोड़ी चुप्पी, बोले- ‘शिवोहम नही सुना…’
फिल्म आदिपुरुष के रिलीज के बाद से ही लोगों में फिल्म के भद्दे डायलॉग्स को लेकर काफी रोष है। लोगों का मानना है कि फिल्म ने केवल हिंदू धार्मिक आस्था का मज़ाक बना दिया है। इस फिल्म में भगवान हनुमान के किरदार को टपोरी भाषा बोलते हुए दिखाया जाना केवल पवित्र ग्रंथ का अपमान करना है। जिसको लेकर अब देशभर में फिल्म का विरोध शुरू हो गया है। लोगों ने फिल्म को बैन करने की मांग के साथ डायलॉग्स लिखने वाले मनोज मुंतशिर को भी आड़े-हाथों लिया है। जिसपर अब मनोज मुंतशिर ने सफाई देते हुए अपनी गलती मान ली है।
भद्दे डायलॉग्स पर भड़के लोग
बता दें, जहां रिलीज के बाद एक ओर यह फिल्म सिनेमाघरों में अच्छी कमाई कर रही है। तो वहीं दूसरी ओर फिल्म के सड़क-छाप संवाद को लेकर आक्रोश फैल रहा है। लोग धार्मिक कथा पर आधारित फिल्म में भगवान के किरदार द्वारा भद्दी भाषा का प्रयोग करना बर्दाश्त नहीं कर पा रहें हैं। लोग सोशल मीडिया से लेकर सड़कों तक फिल्म को बैन करने की मांग कर रहे हैं। यहां तक लखनऊ और आगरा में मेकर्स के खिलाफ तहरीर भी दी गई है। जिसके बाद अब फिल्म के मेकर्स ने डायलॉग्स को बदलने का फैसला किया है।
फिल्म के सड़क-छाप डायलॉग्स
दरअसल, फिल्म भगवान हनुमान के किरदार में दिखे देवदत्त नागे ने टपोरी भाषा के डायलॉग ‘जलेगी तेरे बाप की’ जैसे शब्दों का इस्तेमाल किया गया है। इसके अलावा फिल्म में ‘जो हमारी बहनों को हाथ लगाएंगे, उनकी लंका लगा देंगे’, ‘कपड़ा तेरे बाप का, आग तेरे बाप की, तेल तेरे बाप का, जलेगी भी तेरे बाप की’, ‘तेरी बुआ का बगीचा है क्या जो हवा खाने आ गया’ जैसे अमर्यादित डायलॉग्स बोले गए हैं। धार्मिक प्रवृत्ति की फिल्म में ऐसे डायलॉग को सुनने के बाद लोगों ने मनोज मुंतशिर को खूब ट्रोल किया।
इसी हफ्ते बदले जाएंगे 5 डायलॉग्स
फिल्म आदिपुरुष को लेकर उठे विरोध के बाद मेकर्स ने बड़ा एलान कर दिया है। फिल्म को बैन से बचाने के लिए निर्माता ने फिल्म के उन 5 डायलॉग्स को बदलने का निर्णय किया है। इसी हफ्ते इन बदले गए डायलॉग्स को फिल्म में शामिल भी कर दिया जाएगा। इस बात की पुष्टि सोशल मीडिया पर ट्रोल हो रहे मनोज मुंतशिर ने भी की है। मनोज मुंतशिर ने बताया कि लोगों की भावना से बढ़कर उनके लिए कुछ नहीं है। उन्होंने कहा, ‘मैं अपने संवादों के पक्ष में अनगिनत तर्क दे सकता हूँ, लेकिन इस से आपकी पीड़ा कम नहीं होगी। मैंने और फिल्म के निर्माता-निर्देशक ने निर्णय लिया है, कि वो कुछ संवाद जो आपको आहत कर रहे हैं, हम उन्हें संशोधित करेंगे, और इसी सप्ताह वो फ़िल्म में शामिल किए जाएँगे।’
मनोज मुंतशिर का बयान
मनोज मुंतशिर ने बताया कि फिल्म के विवादित डायलॉग बदले जाएंगे। उन्होंने ट्विटर और इंस्टाग्राम पर इस बात की जानकारी दी। उन्होंने लिखा, ‘रामकथा से पहला पाठ जो कोई सीख सकता है, वो है हर भावना का सम्मान करना। सही या गलत, समय के अनुसार बदल जाता है, भावना रह जाती है।’ आगे उन्होंने लिखा, ‘आदिपुरुष में 4000 से भी ज़्यादा पंक्तियों के संवाद मैंने लिखे, 5 पंक्तियों पर कुछ भावनाएं आहत हुईं। उन सैकड़ों पंक्तियों में जहाँ श्री राम का यशगान किया, माँ सीता के सतीत्व का वर्णन किया, उनके लिए प्रशंसा भी मिलनी थी, जो पता नहीं क्यों मिली नहीं।’
‘मेरे माथे पर सनातन द्रोही क्यों लिखा’
उन्होंने आगे लिखा, ‘मेरे ही भाइयों ने मेरे लिये सोशल मीडिया पर अशोभनीय शब्द लिखे, वहीं मेरे अपने हैं। जिनकी पूज्य माताओं के लिए मैंने टीवी पर अनेकों बार कवितायें पढ़ीं, उन्होंने मेरी ही माँ को अभद्र शब्दों से संबोधित किया। मैं सोचता रहा, मतभेद तो हो सकता है। लेकिन मेरे भाइयों में अचानक इतनी कड़वाहट कहाँ से आ गई कि वो श्री राम का दर्शन भूल गये, जो हर माँ को अपनी माँ मानते थे। शबरी के चरणों में ऐसे बैठे, जैसे कौशल्या के चरणों में बैठे हों। हो सकता है, 3 घंटे की फिल्म में मैंने 3 मिनट कुछ आपकी कल्पना से अलग लिख दिया हो, लेकिन आपने मेरे मस्तक पर सनातन-द्रोही लिखने में इतनी जल्दबाजी क्यों की, मैं जान नहीं पाया।’
फिल्म में शिवोहम नहीं सुना…
मनोज मुंतशिर ने सनातन धर्म के संदर्भ में ट्वीट में आगे लिखा, ‘क्या आपने ‘जय श्री राम’ गीत नहीं सुना, ‘शिवोहम’ नहीं सुना, ‘राम सिया राम’ नहीं सुना? आदिपुरुष में सनातन की ये स्तुतियाँ भी तो मेरी ही लेखनी से जन्मी हैं। ‘तेरी मिट्टी’ और ‘देश मेरे ’भी तो मैंने ही लिखा है। मुझे आपसे कोई शिकायत नहीं है, आप मेरे अपने थे, हैं और रहेंगे। हम एक दूसरे के विरुद्ध खड़े हो गये तो सनातन हार जायेगा। हमने आदिपुरुष सनातन सेवा के लिए बनायी है, जो आप भारी संख्या में देख रहे हैं और मुझे विश्वास है आगे भी देखेंगे।’
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