G20 समिट 2023: यूपी में फरवरी से 11 बैठकें, सबसे अधिक आयोजन वाराणसी में, जानें भारत के लिए क्यों है अहम
इस बार G20 समिट की अध्यक्षता का अवसर भारत को मिला है. G20 समिट से संबंधित 11 बैठकें 13-15 फरवरी के बीच यूपी के विभिन्न शहरों में आयोजित की जाएंगी. जिसमें सबसे अधिक वाराणसी में 6, आगरा में 3, लखनऊ में 1 और ग्रेटर नोएडा में 1 कार्यक्रम का आयोजन होगा. इसी क्रम में बीते शनिवार को वाराणसी के सिगरा स्टेडियम में आयोजित हुए कार्यक्रम में ‘वसुदेव कुटुंबकम’ की थीम पर G20 समिट के लोगो का अनावरण किया गया.
भारत के G20 समिट प्रेसीडेंसी का विषय ‘वसुधैव कुटुम्बकम’ या ‘एक पृथ्वी एक परिवार एक भविष्य’ महाउपनिषद के प्राचीन संस्कृत पाठ से लिया गया है. बता दें एक महत्वपूर्ण उपलब्धि के रूप में भारत ने 1 दिसंबर, 2022 को G20 समिट की अध्यक्षता ग्रहण की थी. केंद्रीय विदेश मंत्रालय के मुताबिक, 3 नवंबर, 2023 तक आयोजित होने वाली प्रत्येक बैठक में लगभग 40 देशों और अंतर्राष्ट्रीय संगठनों के प्रतिनिधियों की भागीदारी की उम्मीद है. बता दें भारत द्वारा G20 समिट के क्रम में 200 से अधिक बैठकें आयोजित करने की उम्मीद है.
लखनऊ के डीएम सूर्यपाल गंगवार ने बताया
‘लखनऊ में होने वाली बैठक के लिए भारत सरकार का नोडल विभाग इलेक्ट्रॉनिक्स एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय है. लखनऊ में होने वाली बैठक कार्यसमूह से संबंधित है, जो पहली डिजिटल इकोनॉमी वर्किंग ग्रुप की बैठक है. बैठक में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और रोबोटिक्स पर जोर होगा. हम इस क्षेत्र में अपनी तकनीकी क्षमता और विशेषज्ञता दिखाएंगे क्योंकि डिजिटल अर्थव्यवस्था पर चर्चा करने के लिए G20 देशों के शीर्ष अधिकारी लखनऊ में होंगे.’
बता दें G20 समिट के लखनऊ अधिवेशन में लखनऊ विश्वविद्यालय, डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम तकनीकी विश्वविद्यालय (लखनऊ), हरकोर्ट बटलर तकनीकी विश्वविद्यालय (कानपुर), मदन मोहन मालवीय प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय (गोरखपुर), ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती भाषा विश्वविद्यालय (लखनऊ) और बुंदेलखंड विश्वविद्यालय (झांसी) के छात्र और प्रोफेसर भाग लेंगे. वे आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और रोबोटिक्स के क्षेत्र में अनुसंधान और प्रौद्योगिकी के विकास का प्रदर्शन करेंगे.
विस्तार से जानें G20 के बारे में…
G20 को ग्रुप ऑफ ट्वेंटी भी कहा जाता है. यह यूरोपियन यूनियन एवं 19 देशों का एक अनौपचारिक समूह है. G20 समिट में इसके नेता हर वर्ष इकठ्ठा होते हैं और वैश्विक अर्थव्यवस्था को किस तरह से आगे बढ़ाया जाए इस पर चर्चा करते हैं. G20 का गठन वर्ष 1999 में हुआ था. साथ ही यह एक मंत्रिस्तरीय मंच है, जिसे G7 द्वारा विकसित एवं विकासशील दोनों अर्थव्यवस्थाओं के सहयोग से गठित किया गया था.
जब इसका गठन हुआ था, उस समय यह वित्त मंत्रियों और केंद्रीय बैंकों के गवर्नरों का संगठन हुआ करता था. इसके पहले समिट की बात करें तो दिसंबर, 1999 में जर्मनी की राजधानी बर्लिन में हुआ था. वर्ष 2008 में दुनिया ने भयानक मंदी का सामना किया था. उस समय, अमेरिका की राजधानी वॉशिंगटन में इस समिट का आयोजन किया गया था. जिसके बाद इस संगठन में भी बदलाव हुए और इसे शीर्ष नेताओं के संगठन में तब्दील कर दिया गया. इसके बाद निर्णय हुआ कि वर्ष में एक बार G20 राष्ट्रों के नेताओं की बैठक की जाएगी.
जानें क्या है G20 का उद्देश्य…
G20 मंच का सबसे बड़ा उद्देश्य आर्थिक सहयोग है. बता दें इसमें शामिल देशों की कुल जीडीपी दुनिया भर के देशों की 80% है. G20 का समूह आर्थिक ढांचे पर साथ में काम करने के अलावा आर्थिक स्थिरता, जलवायु परिवर्तन और स्वास्थ्य से जुड़े मुद्दे पर भी बातचीत करता है. आर्थिक स्थिति को कैसे स्थिर और बरकरार रखें ये इसके केंद्र में होता है. साथ ही, G20 मंच विश्व के बदलते हुए परिदृश्य को भी ध्यान में रखता है और इससे जुड़े महत्वपूर्ण मुद्दों पर भी ध्यान केंद्रित करता है. इसमें व्यापार, कृषि, रोगार, ऊर्जा, भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ाई, आतंकवाद जैसे मुद्दे भी शामिल हैं.
इस समूह की सूची में अर्जेंटीना, ऑस्ट्रेलिया, ब्राज़ील, कनाडा, चीन, यूरोपियन यूनियन, फ्रांस, जर्मनी, भारत, इंडोनेशिया, इटली, जापान, मेक्सिको, रूस, सऊदी अरब, दक्षिण अफ्रीका, दक्षिण कोरिया, तुर्की, यूनाइटेड किंगडम और अमेरिका शामिल हैं.
भारत के लिए क्यों अहम है G20…
G2 मंच की सबसे बड़ी बात ये है कि विश्व के कई देशों के शीर्ष नेताओं की आपस में मुलाकात इस शिखर सम्मेलन में हर वर्ष होती है. 30 दिसंबर, 2023 तक G20 के अध्यक्ष भारत के पीएम नरेंद्र मोदी हैं. भारत के सामने इसे लेकर कठिन चुनौतियां हैं. भारत की G20 प्राथमिकताओं में समावेशी, न्यायसंगत और सतत विकास, महिला सशक्तिकरण, डिजिटल सार्वजनिक बुनियादी ढांचा, और तकनीक-सक्षम विकास, जलवायु वित्तपोषण, वैश्विक खाद्य सुरक्षा और ऊर्जा सुरक्षा, अन्य शामिल हैं.
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