नोटा के खिलाफ सर्वोच्च न्यायालय में गुहार
कांग्रेस की गुजरात इकाई ने राज्य में आगामी राज्यसभा चुनाव में नोटा का विकल्प रखने के फैसले के खिलाफ बुधवार को सर्वोच्च न्यायालय में गुहार लगाई।
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वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने मामले की तत्काल सुनवाई की मांग करते हुए न्यायमूर्ति दीपक मिश्रा की अध्यक्षता वाली पीठ के समक्ष याचिका का जिक्र किया। न्यायमूर्ति मिश्रा ने गुरुवार को मामले की सुनवाई की अनुमति दे दी।
अधिसूचना पर रोक लगाने की मांग
गुजरात कांग्रेस ने राज्य में आगामी चुनाव में नोटा का विकल्प रखने के निर्वाचन आयोग के फैसले को चुनौती देते हुए इससे संबंधित अधिसूचना पर रोक लगाने की मांग की।
कांग्रेस ने मंगलवार को निर्वाचन आयोग से मांग की थी कि आठ अगस्त को होने वाले राज्यसभा चुनाव के लिए मतपत्रों में नोटा का विकल्प नहीं होना चाहिए।
नोटा का विकल्प राज्यसभा चुनावों में मान्य होगा
कांग्रेस ने कहा कि राज्यसभा चुनाव के दौरान नोटा के विकल्प का प्रयोग संविधान, जन प्रतिनिधि अधिनियम, चुनाव नियमों के संचालन और सर्वोच्च न्यायालय के फैसलों के विरुद्ध है। निर्वाचन आयोग ने हालांकि कहा कि आयोग ने 2013 के सर्वोच्च न्यायालय के आदेश के बाद स्पष्ट कर दिया था कि नोटा का विकल्प राज्यसभा चुनावों में मान्य होगा।
हमने विधायकों को राज्य सभा के चुनाव में क्या करना है। इसके बारे में सचेत किया, इसलिए उन्हें यह बताने की कोई जरूरत नहीं है कि क्या नहीं करना चाहिए। हमने तकनीकी पहलुओं का अध्ययन किया है।
पहली बार नोटा के विकल्प का इस्तेमाल होने जा रहा है
गुजरात में होने जा रहे राज्यसभा चुनाव में पहली बार नोटा के विकल्प का इस्तेमाल होने जा रहा है। भाजपा ने पार्टी अध्यक्ष अमित शाह, केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी और बलवंत सिंह राजपूत को उम्मीदवार बनाया है, जबकि कांग्रस की तरफ से एकमात्र उम्मीदवार अहमद पटेल हैं।
कांग्रेस ने नोटा के प्रयोग पर एतराज जताया
कांग्रेस ने नोटा के प्रयोग पर एतराज जताया है। कांग्रेस ने कहा है कि चुनाव आयोग बिना संवैधानिक संशोधन के राज्यसभा चुनाव में नोटा के विकल्प का प्रयोग नहीं कर सकता। कांग्रेस ने कहा कि यह संविधान के अनुच्छेद 84 का उल्लंघन है।
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