क्यों है इस बार की नवरात्री खास, जानें कलश स्थापना तिथि मुहूर्त
इस बार कि शारदीय नवरात्रि का बेहद ही खास संयोग बना है :
पुरे वर्ष में वैसे तो कुल 4 बार नवरात्रि का उतसव मनाया जाता है। जिनमें दो गुप्त नवरात्रि और एक चैत्र नवरात्रि और एक शारदीय नवरात्रि होती है। लेकिन इन सभी नवरात्रि में अश्विन माह के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि से शुरू होने वाले नवरात्रि का विशेष महत्व होता है। जिसे शारदीय नवरात्रि कहा जाता है। इस बार की शारदीय नविरात्रि का आरंभ 26 सितंबर दिन सोमवार से हो रहा है नवरात्रि में भक्तिभाव का उत्साह दुर्गापूजा के रूप में मनाया जाता है जहां इसमें पूरे नौ दिनों पूरे 9 दिनों तक मां दुर्गा के नौ स्वरूपों की पूजा की जाती है ज्योतिष के अनुसार इस बार नवरात्रि खास मानी जा रही है क्युकी इस बार कि नवरात्रि में माँ दुर्गा कि सवारी खास होने वाली है क्या आप जानते है कि इस बार की नवरात्रि में क्या होगा माँ दुर्गा का वाहन ?
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार इस साल शारदीय नवरात्रि पर मां दुर्गा का वाहन हाथी होगा। यानी इस साल मां दुर्गा हाथी पर सवार होकर आने वाली हैं। इस साल शारदीय नवरात्रि की शुरुआत सोमवार के दिन से हो रही है। माना जाता है कि जब नवरात्रि रविवार और सोमवार के दिन से शुरू होती है तो मां दुर्गा हाथी पर सवार होकर आती हैं। धार्मिक दृष्टिकोण से अनुसार मां का हाथी पर सवार होकर आना बेहद शुभ संकेत माना गया है। मान्यता है कि यदि मां दुर्गा हाथी पर सवार होकर आती हैं तो वह अपने साथ ढ़ेर सारी खुशियां और सुख-समृद्धि भी लाती हैं। क्योंकि हाथी को ज्ञान और समृद्धि का प्रतीक माना जाता है।
कलश स्थपना और महूर्त :
इस बार नवरात्रि पर ऐसा संयोग बना है कि पूरे नौ दिनों की नवरात्रि होगी और दसवें दिन दशहरा का पर्व मनाया जाएगा। लेकिन इन सबके बीच सबसे महत्वपूर्ण होता है। कलश बैठना, कलश कलश स्थपित भी कहते हैं। नवरात्रि के पहले दिन आश्विन शुक्ल प्रतिपदा तिथि को शुभ मुहूर्त में कलश बैठाया जाता है। ऐसी मान्यता है कि इससे नवरात्रि पर देवी की उपासना सफल और सिद्धिदायक होती है।
आश्विन शुक्ल प्रतिपदा तिथि का आरंभ 26 अगस्त
सुबह 3 बजकर 23 मिनट पर प्रतिपदा तिथि शुरू
सुबह 7 बजकर 30 मिनट से 9 बजे तक राहुकाल होगा।
सुबह 6 बजकर 11 मिनट से 7 बजकर 41 मिनट तक अमृत चौघडिया।
सुबह 9 बजकर 12 मिनट से 10 बजकर 42 तक शुभ चौघड़िया।
ऐसे में सुबह 6 बजकर 11 मिनट से 7 बजकर 30 मिनट के बीच
फिर 9 बजकर 12 मिनट से 10 बजकर 42 मिनट के बीच नवरात्रि कलश स्थापना कर लेना बहुत ही शुभ रहेगा। अगर इस विशेष शुभ मुहूर्त में कलश नहीं बैठा पाते हैं तो अभिजीत मुहूर्त में 11 बजकर 48 मिनट से 12 बजकर 36 मिनट के बीच कलश बैठा सकते हैं।