ज्ञानवापी मामला: दोनों पक्षों की बहस पूरी, अधिवक्ता बोले- हमने एक्सपोज किया मुस्लिम पक्ष का फर्जीवाड़ा
ज्ञानवापी मामले में परिसर स्थित मां शृंगार गौरी व अन्य देव विग्रहों के नियमित पूजन वाले केस की पोषणीयता पर बुधवार को दो चरण में जिला जज अजय कृष्ण विश्वेश की अदालत की सुनवाई लगातार तीसरे दिन हुई. यह सुनवाई करीब साढ़े तीन घंटे तक हुई. पहले प्रतिवादी अंजुमन इंतजामिया मसाजिद कमेटी ने अपनी अधूरी बहस पूरी की, फिर हिंदू पक्ष ने प्रतिउत्तर दिया. दोनों पक्षों की बहस पूरी होने पर जिला जज की अदालत ने अपना फैसला सुरक्षित रख लिया है. अदालत ने सभी पक्षों को सुनने के बाद अगली तारीख 12 सितंबर की दी है. अपनी बहस पूरी करने बाद उच्च न्यायलय के वरिष्ठ अधिवक्ता हरिशंकर जैन ने कहा कि ज्ञानवापी मस्जिद को आलमगीरी मस्जिद बताने वाले मुस्लिम पक्ष के फर्जीवाड़ को आज हमने एक्सपोज किया है.
The hearing in the Gyanvapi case concludes in Varanasi district court. The verdict in the case will be announced on September 12.
— ANI UP/Uttarakhand (@ANINewsUP) August 24, 2022
ज्ञानवापी मामले में हिंदू पक्ष का प्रतिनिधित्व कर रहे अधिवक्ता विष्णु शंकर जैन ने कहा ज्ञानवापी मामले में आज वाराणसी जिला अदालत ने सुनवाई पूरी करते हुए सुनवाई की अगली तारीख 12 सितंबर दी है. हमें उम्मीद है कि फैसला हमारे पक्ष में होगा.
UP | Today, the Varanasi district court has concluded the hearing in the Gyanvapi case and gave 12th September as the next date of hearing. We are hopeful that the verdict will be in our favour: Advocate Vishnu Shankar Jain, representing the Hindu side in the Gyanvapi mosque case pic.twitter.com/Pwzi2bTVCs
— ANI UP/Uttarakhand (@ANINewsUP) August 24, 2022
दरअसल, बुधवार को जिला जज ने वादी संख्या 2 से 5 और वादी संख्या 1 के अधिवक्ताओं की दलीलें सुनी. वादी संख्या 2 से 5 तक की तरफ से अदालत में दलीलें रखने के बाद बाहर निकले उच्च न्यायालय के वरिष्ठ अधिवक्ता हरिशंकर जैन ने कहा कि मैराथन दौड़ के बाद दोनों पक्षों का आर्ग्यूमेंट समाप्त हो गया है. हो सकता है आज अदालत फैसला सुरक्षित कर दे. मुस्लिम पक्ष को जो नहीं करना चाहिए था वो उसने किया है. ज्ञानवापी मस्जिद को वक्फ संपत्ति बताने वाले डाक्यूमेंट के तौर पर उन्होंने अदालत के सामने आलमगीरी मस्जिद का वक्फ बोर्ड का डाक्यूमेंट रखा जो कि बिंदु माधव के मंदिर पर बनाई गयी है.
जैन ने कहा कि ये एक तरह का मुस्लिम पक्ष ने फर्जीवाड़ा किया, जिसे आज हमने अपनी डालियों और दस्तावेजों से एक्सपोज कर दिया. एक तरह से अदालत को मुस्लिम पक्ष ने मिसगाइड करने की कोशिश की है. मस्जिद मंदिर तोड़कर बनाई गयी है यह अवशेषों से साफ़ झलकता है और मंदिर मस्जिद कभी नहीं हो सकता. हम लोग अवशेष का पूजन करते आ रहे थे. ऑर्डर 7 रूल 11 भी यहां नहीं लगता क्योंकि 15 अगस्त, 1947 से लेकर 1993 तक हमने अवशेषों की पूजा की है और उस समय की मुलायम सिंह सरकार ने बैरीकेडिंग करके हमें अंदर जाने से रोका. हमारी लड़ाई राज्य सरकार से है.
उधर, अंजुमन इंतजामिया मसाजिद कमेटी की बहस का सार यही रहा कि ज्ञानवापी मस्जिद वक्फ की संपत्ति है. लिहाजा ज्ञानवापी मस्जिद से संबंधित मसले की सुनवाई का अधिकार सिविल कोर्ट को नहीं बल्कि वक्फ बोर्ड को है. देश की आजादी के दिन ज्ञानवापी मस्जिद का जो धार्मिक स्वरूप था, वह आज भी कायम है. उसका धार्मिक स्वरूप अब बदला नहीं जा सकता है. ऐसे में शृंगार गौरी केस मुकदमा सुनवाई योग्य नहीं है.
जवाबी बहस के प्रतिउत्तर में वादिनी महिलाओं की ओर से कहा गया कि आलमगीर मस्जिद के कागजात पेश कर प्रतिवादी पक्ष उसे ज्ञानवापी मस्जिद बता रहा है. प्रतिवादी पक्ष ज्ञानवापी को वक्फ की संपत्ति बताकर धोखाधड़ी कर रहा है. देश की आजादी के दिन से 1993 तक मां शृंगार गौरी की पूजा होती रही है. मां शृंगार गौरी की पूजा पर तत्कालीन सीएम मुलायम सिंह यादव की सरकार ने अचानक और अनायास ही प्रतिबंध लगाया था. ऐसे में शृंगार गौरी का मुकदमा सुनवाई योग्य है.
ऐसे में माना जा रहा है कि अब 12 सितंबर को अदालत अपना फैसला सुनाएगी कि मां शृंगार गौरी का केस सुनवाई योग्य है या नहीं है.