देश को टीबी मुक्त बनाने के लिए रोटरी ने कसी कमर

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भारत में 2014 की तुलना में 2015 में टीबी से मौतों की संख्या दोगुनी हो गई है। इसे दखते हुए देश के विभिन्न हिस्सों से रोटरी सदस्यों ने ट्यूबरकुलोसिस (टीबी) को लेकर जागरूकता लाने और देश में टीबी के मामलों की पहचान में सहयोग के लिए समुदाय को संगठित करने के लिए प्रतिबद्धता जताई। विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) की वैश्विक ट्यूबरकुलोसिस रिपोर्ट 2016 के अनुसार, भारत में टीबी से होने वाली अनुमानित मौतों की संख्या साल 2014 के 2,22,000 के मुकाबले साल 2015 में दोगुनी 4,80,000 हो गई है। ऐसे में सभी साझेदारों के लिए जरूरत है कि वो देश से टीबी के खात्मे के लिए पहल बढ़ाने के लिए एक साथ आएं।

आगे की पहल के भाग के तौर पर रोटरी जिलों और क्लबों ने टीबी मुक्त भारत अभियान को समर्थन देने के लिए कई गतिविधियां शुरू की है। इनमें रोटरी क्लबों को संवेदनशील बनना, इसके सदस्यों और क्लब के बीच संबंध स्थापित करना, रोटरी जिलों में टीबी जागरूकता और प्रशिक्षण कार्यशाला, महत्वपूर्ण जनसंख्या वाले क्षेत्रों में स्वास्थ्य एवं टीबी जागरूकता कैंप, ट्यूबरक्युलॉसिस पर निजी डॉक्टरों की संवेदनशीलता, टीबी रोगियों को पोषण संबंधी सहयोग शामिल है।

केद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय के आर्थिक सलाहकार अरुण कुमार झा ने कहा, “पिछले एक साल में, रोटरिअंस ने हमारी टीबी के खिलाफ लड़ाई को मजबूती दी है। इस बैठक से हमें सात रोटरी जिलों में चलाई जा रही टीबी पहल की पूरी जानकारी मिलती है। हमें रोटरी जैसे साझेदारों के समर्थन की जरूरत है।”

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रोटरी के अंतर्राष्ट्रीय निदेशक चोकलिंगम भास्कर ने कहा, “हम देश भर में इन गतिविधियों में हिस्सा लेने वाले रोटरिअंस के प्रति आभारी हैं और भारत में 2025 तक टीबी के खात्मे के अभियान के लिए उनकी पूर्ण प्रतिबद्धता और अडिग समर्थन के लिए धन्यवाद देते हैं।”

इंडिया के यूएसएआईडी में टीबी एवं संक्रामक रोग प्रभाग के प्रमुख डॉ. रूबिन स्वामीकन ने कहा, “रोटरी इंडिया के साथ महत्वपूर्ण साझेदारी इस स्थिति को प्रभावित कर सकती है और 2030 तक टीबी खत्म करने के निर्धारित लक्ष्य को पूरा करने में मदद करेगी। रोटरी के पास भारत को टीबी मुक्त बनाने की ओर ले जाने वाली प्रवृति, पहुंच और क्षमता है।”

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रोटरी इंडिया नेशनल टीबी कंट्रोल कमिटी के प्रमुख वाई.पी. दास ने कहा, “रोटरी इंडिया नेशनल टीबी कंट्रोल कमिटी को संघ से मार्गदर्शन मिला कि रोटरी और क्लब टीबी जागरूकता के बारे में क्या कर सकता है। इसकी पहली बैठक साल 2016 में आयोजित की गई थी। यह मील का पत्थर था। हम लोग टीबी मुक्त भारत के लिए आठ जिलों में जागरूकता अभियान संबंधी गतिविधियों में शामिल हैं और इसे अन्य जिलों में भी ले जाना चाहते हैं।”

टीबी सर्वाइवर नंदिता वेंकटेशन ने कहा, “दूसरे टीबी पीड़ितों को मेरा संदेश है कि वे मजबूत और दृढ़ निश्चयी बनें। इसे जीवन के लिए दूसरे मौके की तरह लें। जब जीवन आपको पीछे धकेलता है तो आप दोगुनी ताकत से इसे पीछे धकेलें। मैं अब अपनी त्वचा को लेकर पहले से अधिक सहज हूं। रोटरी जैसे संगठनों से टीबी के खिलाफ जंग में देश को आपके समर्थन की जरूरत है।”

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