ज्ञानवापी मामले को लेकर लगातार बहस जारी है. इसी बीच राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रमुख मोहन भागवत ने गुरुवार को बड़ा बयान दिया है. भागवत ने ज्ञानवापी का एक इतिहास बताते हुए कहा इसे हम बदल नहीं सकते. हमें रोज एक मस्जिद में शिवलिंग को क्यों देखना है? झगड़ा क्यों बढ़ाना.
#WATCH | "…We shouldn't bring out a new matter daily. Why should we escalate dispute? We have devotion towards #Gyanvapi and we are doing something as per that, it is alright. But why look for a Shivling in every masjid?…" says RSS chief as he speaks on Gyanvapi mosque issue. pic.twitter.com/eYLmaEEQY4
— ANI (@ANI) June 2, 2022
भागवत ने कहा ‘ज्ञानवापी का मुद्दा है. वो इतिहास हमने नहीं बनाया है. न आज के अपने आप को हिंदू कहलाने वालों ने बनाया, न आज के मुसलमानों ने बनाया. उस समय घटा. इस्लाम बाहर से आया, आक्रामकों के हाथों आया. उस आक्रमण में भारत की स्वतंत्रता चाहने वाले व्यक्तियों का मनोबल तोड़ने के लिए देवस्थान तोड़े गए, हजारों हैं. ये मामले उठते हैं.’
भागवत ने कहा ‘मुसलमानों के विरूद्ध हिंदू नहीं सोचता है. आज के मुसलमानों के पूर्वज भी हिंदू थे. हमने 9 नवंबर को कह दिया कि एक राम जन्मभूमि का आंदोलन था, जिसमें हम सम्मिलित हुए. हमने उस काम को पूरा किया. अब हमें आंदोलन नहीं करना है. लेकिन, मन में मुद्दे उठते हैं. ये किसी के विरूद्ध नहीं है. मुसलमानों को विरूद्ध नहीं मानना चाहिए, हिंदुओं को भी नहीं मानना चाहिए. अच्छी बात है, ऐसा कुछ है तो आपस में मिल बैठकर सहमति से कोई रास्ता निकालें. लेकिन हर बार नहीं निकल सकता तो कोर्ट जाते हैं तो जो कोर्ट फैसला देता है उसको मानना चाहिए.’
भागवत ने आगे कहा ‘रोज एक मामला निकालना ठीक नहीं है. ज्ञानवापी के बारे में श्रद्धाएं हैं, परंपराएं हैं. ठीक है, परंतु हर मस्जिद में शिवलिंग क्यों देखना? वो भी एक पूजा है, ठीक है बाहर आई है. लेकिन जिन्होंने इसे अपनाई है, वो मुसलमान बाहर से संबंध नहीं रखते हैं. हमारे यहां किसी पूजा का विरोध नहीं है. सबके प्रति पवित्रता की भावना है.’
भागवत ने कहा ‘विश्व में भारत माता की विजय करानी है, क्योंकि हमको सबको जोड़ना है न कि जीतना है. हम किसी को जीतना नहीं चाहते, लेकिन दुनिया में दुष्ट लोग हैं जो हमें जीतना चाहता है. आपस में लड़ाई नहीं होनी चाहिए. आपस में प्रेम चाहिए. विविधता को अलगाव की तरह नहीं देखना चाहिए. एक-दूसरे के दुख में शामिल होना चाहिए. विविधता एकत्व की साज-सज्जा है, अलगाव नहीं है.’
मोहन भागवत ने सब बातें आरएसएस के तृतीय वर्ष संघ शिक्षा वर्ग के समापन समारोह के दौरान कही.