ज्ञानवापी केस: अब निर्मोही अखाड़ा भी पेश करेगा अपना दावा, महंत ने मांगा ये अधिकार
काशी नगरी में ज्ञानवापी मामले को लेकर में दो अदालतों में अलग-अलग मुकदमों पर सुनवाई जारी है. अदालत में जिला जज शृंगार गौरी के मूल वाद की मेरिट पर प्रतिवादी पक्ष के अधिवक्ता अपना पक्ष रखेंगे. वहीं, फास्ट ट्रैक कोर्ट के सिविल जज की अदालत में ज्ञानवापी में हिंदुओं को पूजा करने के अधिकार व विग्रह सौंपने के वाद पर सुनवाई शुरू होगी. वहीं, ज्ञानवापी मामले में निर्मोही अखाड़ा भी अपना दावा पेश करेगा. इसको लेकर महंत राजेंद्र दास की ओर से जानकारी साझा की गई है. यह दावा जमीयत की ओर से किए गए ऐलान के बाद पेश किया गया.
ज्ञानवापी मामले को लेकर जारी सुनवाई के बीच निर्मोही अखाड़ा के द्वारा भी ज्ञानवापी मामले में अपना दावा पेश किया गया. यह दावा जमीयत के ऐलान के बाद किया गया. निर्मोही अखाड़े की ओऱ से शिवलिंग के पूजा के अधिकार की मांग की जा रही है. इसी के साथ तीन दशक से लगातार श्रृंगार गौरी दर्शन का आंदोलन कर रहे पूर्व शिव सैनिक अरुण पाठक ने भी अदालत ने पक्षकार बनने के लिए याचिका दाखिल की है. अरुण पाठक हर साल चैत्र नवरात्रि में चतुर्थी के दिन दर्शन करने के मामले में आंदोलन करते रहे हैं. इस आंदोलन को लेकर वह कई बार जेल भी जा चुके हैं.
बता दें कि वाराणसी में अखाड़ा परिषद के महामंत्री और अखिल भारतीय निर्मोही अखाड़ा के महंत राजेंद्र दास ने कहा कि वह भी ज्ञानवापी श्रृंगार गौरी मामले में कोर्ट में परिवाद दाखिल करेंगे. उनकी मांग होगी की सभी सनातनी को वहां पर दर्शन का अधिकार मिल सके. इसके साथ वह मुक्त हो. राजेंद्र दास की ओर से यह भी कहा गया कि राम मंदिर में भी वह पक्षकार थे और उन्होंने सुप्रीम कोर्ट तक उस लड़ाई को लड़ा था।
गौरतलब है कि ज्ञानवापी मस्जिद विवाद मामले में सोमवार को दिन काफी अहम है. माना जा रहा है कि सोमवार को श्रृंगार गौरी केस के पोषणीयता पर जिला जज की अदालत में बहस के बाद फैसला आ सकता है. इस दौरान कमीशन की कार्यवाही से जुड़े हुए फोटो और वीडियो भी सभी पक्षों को सौंपे जाएंगे.