महिलाओं को सशक्त बनाने के लिए छोड़ दी विदेश की नौकरी
महिलाएं एक सभ्य समाज का आईना होती हैं, सभ्य समाज को बनाने में उमका अहम योगदान होता है। सभ्य समाज की शुरूआत एक सभ्य परिवार से होती है और ये सभ्य परिवार बनता है एक सभ्य महिला से। लेकिन भारत एक पुरुष प्रधान देश होने की वजह से खुद को बुद्धिजीवियों का पितामह मानने वाले ये सोचते हैं कि कहीं उनके इस झूठे दम्भ को झटका न लग जाए। इसलिए महिलाओं को उनका हक नहीं दिया जा रहा है।
समाज के इन ठेकेदारों का पता है कि ये समाज अगर सभ्य और शिक्षित बन सकता है तो सिर्फ महिलाओं से ही, लेकिन इस सच को जानते हुए भी स्वीकार नहीं करना चाहते हैं। लेकिन लोगों को इस सच को स्वीकार करना होगा कि अगर देश के उज्ज्वल भविष्य का सपना देखते हैं तो महिलाओं को आगे लाना ही होगा।
प्रो. प्रभाकर ने बढ़ाया कदम
इस मुहिम को आगे बढ़ाने के लिए कुछ लोगों ने इस ओर कदम बढ़ा दिए हैं। महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने के लिए और उनकी शक्तियों को समाज के सामने लाने का जिम्मा लिया है प्रो. प्रभाकर(Prabhakar) ने। अपनी लाखों की नौकरी और ऐशो-आराम को छोड़कर महिलाओं को सशक्त बनाने के लिए जी जान से जुटे गुए हैं। प्रभाकर एक बार जब गांव आए थे तो उन्हें एहसास हुआ कि भारत के गांवों में महालओं की स्थिति बहुत ही खराब है।
लड़कियों को बेहतर शिक्षा नहीं मिल पा रही है जिसकी वजह से महिलाओं का विकास नहीं हो पा रहा है। इन परिस्थितियों से लड़ने के लिए उन्होंने प्रण किया कि इन महिलाओं को समाज में वो ओहदा दिलाएंगे जिसकी वो हकदार हैं। डॉ प्रभाकर(Prabhakar) उन महिलाओं के लिए मसीहा बने हुए हैं जिनके परिवार उन्हें घर से निकाल देते हैं या फिर छोड़ देते हैं।
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सोसाइटी फॉर रूरल इंप्रूवमेंट की स्थापना
प्रभाकर(Prabhakar) ने एक संस्था सोसाइटी फॉर रूरल इंप्रूवमेंट की स्थापना की और उन महिलाओं को सशक्त बनाने की राह पर चल पड़े। इस संस्था के जरिए प्रभाकर(Prabhakar) ने उन महिलाओं को लोन देने की शुरूआत की जो कुछ करना चाहती है लेकिन पैसों के अभाव में वो मजबूर हैं। इन महिलाओं ने इस लोन के पैसे ले छोटा-मोटा काम शुरू कर रही हैं।
बिना गारंटी के मिलता है लोन
पूवनकोड गांव की रहने वाली 40 साल की वेलम्मा ने गाय पालने का काम शुरू किया और फिर एक के बाद एक उन्होंने बहुत से काम शुरू कर दिए। डॉक्टर की स्स्था बिना किसी गारंटी के महिलाओं को लोन देती है। डॉ. प्रभाकर(Prabhakar) ने केरल राज्य के गांवों की महिलाओं के लिए जो सराहनीय कार्य के लिए कदम उठाकर महिलाओं को सशक्त बना रहे हैं।
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