हिंदू सनातन धर्म में व्रत त्यौहार की परम्परा काफी पुरातन है। भारतीय सनातन धर्म में जया एकादशी तिथि अपने आप में अनूठी मानी गई है। प्रख्यात ज्योतिषविद् विमल जैन ने बताया कि माघ मास के शुक्लपक्ष की एकादशी तिथि जया एकादशी के नाम से जानी जाती है।
इस बार माघ शुक्लपक्ष की एकादशी तिथि 22 फरवरी, सोमवार को सायं 5 बजकर 17 मिनट पर लगेगी जो कि 23 फरवरी, मंगलवार को सायं 6 बजकर 06 मिनट तक रहेगी। उदया तिथि में एकादशी तिथि मिलने से 23 फरवरी, मंगलवार को यह व्रत वैष्णवजन एवं स्मार्तजन रख सकेंगे।
जया एकादशी की खास महिमा है, जैसा कि तिथि के नाम से विदित है कि तिथि विशेष के दिन संपूर्ण दिन व्रत उपवास रखने से समस्त कार्यों में जय होती है। पौराणिक मान्यता के अनुसार पिशाचत्व से मुक्ति भी मिलती है। निर्जल एवं निराहार रहकर भक्तिभाव के साथ भगवान श्रीहरि विष्णु जी के साथ ही भगवान श्रीकृष्ण की भक्तिभाव एवं हर्षोल्लास के साथ पजा-अर्चना करने की परम्परा है।
कैसे रखें व्रत-
ज्योतिषविद् विमल जैन ने बताया कि व्रत के दिन ब्रह्म मुहूर्त में उठकर अपने समस्त दैनिक कृत्यों से निवृत्त होकर गंगा-स्नानादि करना चाहिए। गंगा-स्नान यदि सम्भव न हो तो घर पर ही स्वच्छ जल से स्नान करना चाहिए।
अपने आराध्य देवी-देवता की पूजा-अर्चना के पश्चात् जया एकादशी के व्रत का संकल्प लेना चाहिए। सम्पूर्ण दिन व्रत उपवास रखकर जल आदि कुछ भी ग्रहण नहीं करना चाहिए। विशेष परिस्थितियों में दूध या फलाहार ग्रहण किया जा सकता है। व्रत कर्ता को दिन में शयन नहीं करना चाहिए।
व्रत का पारण दूसरे दिन स्नानादि के पश्चात् इष्ट देवी-देवता तथा भगवान पुण्डरीकाक्ष एवं भगवान श्री विष्णु जी अथवा भगवान श्रीकृष्ण की पूजा-अर्चना करने के पश्चात् किया जाता है। जया एकादशी का व्रत महिला व पुरुष दोनों के लिए समान रूप से फलदायी है। आज के दिन सम्पूर्ण दिन निराहार रहना चाहिए, चावल तथा अन्न ग्रहण करने का निषेध है।
विधिविधानपूर्वक जया एकादशी के व्रत व भगवान श्रीविष्णुजी की विशेष कृपा से जीवन में सुख-समृद्धि, खुशहाली बनी रहती है। अपने जीवन में मन-वचन कर्म से पूर्णरूपेण शुचिता बरतते हुए यह व्रत करना विशेष फलदायी रहता है। आज के दिन ब्राह्मण को यथा सामर्थ्य दक्षिणा के साथ दान करके लाभ उठाना चाहिए।
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