बुनकरों के आंदोलन ने लिया सियासी रंग, साथ आई सपा और कांग्रेस

0

वाराणसी। फ्लैट रेट को लेकर बुनकरों के आंदोलन ने अब राजनीतिक रंग लेना शुरु कर दिया है। समाजवादी पार्टी और कांग्रेस ने बुनकरों का साथ देने का ऐलान कर दिया है। कोरोना काल में बुनकरों के बढ़ते विरोध प्रदर्शन और राजनीतिक पार्टियों के रुख से जिला प्रशासन की नींद उड़ी है। बुनकरों ने छठे दिन भी हड़ताल जारी रखते हुए वरुणा पुल स्थित शास्त्री घाट पर जोरदार प्रदर्शन किया।

संपत्ति के कागजात के साथ पहुंचे बुनकर

आंदोलन को धार देने के लिए बुनकर हर रोज नए तरीके अपना रहे हैं। गुरुवार को शास्त्री घाट पर पहुंचे बुनकर अपने साथ मकान, संपत्ति और कारखाने के कागजात और चाभी के साथ पहुंचे थे। बुनकरों ने जिलाधिकारी कौशलराज शर्मा से ये मांग की है कि हमारी संपत्तियों को वो सरकारी रेट पर क्रय कर लें ताकि कर्ज को चुकता किया जा सके। नयी व्यवस्था के लागू होने के बाद उन्हें अब महीने के कई गुना बिजली का बिल देना पड़ेगा, जो कि फिलहाल उनके बस की बात नहीं है। बुनकरों ने कहा कि कोरोना वायरस जैसी वैश्विक महामारी से पैदा हुए आर्थिक संकट के कारण बुनकर पहले ही भुखमरी और फाकाकशी पर मजबूर हो गए हैं। बुनकरों के सामने पेट पालने के लिए घर के ज़रूरी सामान और पॉवरलूम को कबाड़ के भाव बेचने जैसी नौबत आ गयी है। ऐसे में बढ़ी हुई बिजली की दरें बुनकर समाज की आर्थिक स्थिति और बदहाल कर देगी।

आंदोलन की राह पर है बुनकर

फ़्लैट रेट बिजली की मांग के साथ बुनकर बीती 15 अक्टूबर से हड़ताल पर हैं। बुनकरों ने जहां बुधवार को रविन्द्रपुरी स्थित प्रधानमंत्री जन संपर्क कार्यालय पर मानव शृंखला बनायी थी, वहीं गुरुवार को वरुणा पुल के करीब स्थित जेपी मेहता स्कूल से जिला मुख्यालय तक वाराणसी वस्त्र बुनकर संघ और बुनकर तंज़ीमों ने एकजुट होकर मानव श्रृंखला बनायी। वाराणसी में बुनकर गुरुवार को फिर से अपनीं मांगों को लेकर धरना-प्रदर्शन पर उतर आए हैं। प्रदेश कांग्रेस कमेटी के आह्वान पर शास्त्री घाट पर बड़ी संख्या में बुनकर जुट आए हैं। बिजली रेट पर मिलने वाली पुरानी सब्सिडी की व्यवस्था को फिर से बहाल करने की मांग कर रहे हैं। इस दौरान लोक समिति संयोजक नन्दलाल मास्टर ने कहा कि बनारस कि बुनकर पिछले कई दिन से मुर्री बन्द करके विरोध प्रदर्शन कर रहे है। अपनी गंगा-जमुनी तहजीब और बनारसी साड़ी के लिए दुनियाभर में मशहूर है, लेकिन बनारस के बुनकर आज अपनी ही विरासत को लेकर संघर्ष करता नज़र आ रहा है। बनारस की संस्कृति, हस्तशिल्प,और बुनकरों की आजीविका को बचाना बेहद जरुरी है।

यह भी पढ़ें: Birthday Special: जब परिणीति चोपड़ा ने चखा था लखनऊ के ‘बाटी-चोखा’ का स्वाद…

यह भी पढ़ें: CM योगी ने बाढ़ प्रभावित 19 जिलों के किसानों को किया 113.21 करोड़ का भुगतान

यह भी पढ़ें: आम्रपाली ने स्विमिंग पूल में अपनी अदाओं से लगाई आग, वीडियो हुआ वायरल

(अन्य खबरों के लिए हमें फेसबुक पर ज्वॉइन करें। आप हमें ट्विटर पर भी फॉलो कर सकते हैं। अगर आप डेलीहंट या शेयरचैट इस्तेमाल करते हैं तो हमसे जुड़ें।)

Leave A Reply

This website uses cookies to improve your experience. We'll assume you're ok with this, but you can opt-out if you wish. Accept Read More