चीनी का उत्पादन बढ़ने की उम्मीद
चीनी (Chinese)के उत्पादन में 2016-17 में भारी गिरावट के बाद अधिकारियों व उद्योग जगत को उम्मीद है कि आगामी ‘चीनी वर्ष’ अधिक ‘मीठा’ होगा। इसका संकेत अच्छे मानसून का होना और खेतों से अच्छी उपज का संकेत मिलना है। साल 2016-17 में चीनी के उत्पादन में भारी कमी से 500,000 टन चीनी आयात करने को मजबूर होना पड़ा था।
कृषि मंत्रालय के अधिकारियों तथा निजी व सहकारी चीनी मिलों के संगठनों के प्रतिनिधियों के अनुसार, साल 2017-18 में (चीनी का वर्ष अक्टूबर से शुरू होता है) चीनी का उत्पादन 2.5 करोड़ टन पार होना है, जो 2016-17 के मुकाबले करीब 25 फीसदी ज्यादा होगा।
एक वरिष्ठ अधिकारी ने नाम न जाहिर करने की शर्त पर कहा, “गन्ना उत्पादक राज्यों, खास तौर से महाराष्ट्र में ज्यादातर जलाशय अपने सामान्य स्तर तक भर गए हैं। इसके अतिरिक्त उत्तर प्रदेश में खेती के भाग के बढ़ने की उम्मीद है। राज्यों के गन्ना आयुक्तों के आकड़ों के अनुसार, हमें (चीनी के) उत्पादन 2.5 करोड़ टन से ज्यादा होने की उम्मीद है।”
साल 2016-17 में लगातार तीन सूखा वर्षो के कारण चीनी के उत्पादन में 2 करोड़ टन की गिरावट आई। हालांकि, इस आंकड़े में 5-8 लाख टन जुड़ेगा, क्योंकि गन्ने की पेराई अब भी तमिलनाडु व कर्नाटक में जारी है।
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नेशनल फेडरेशन ऑफ को-ऑपरेटिव शुगर फैक्ट्रीज (एनएफसीएसएफ) व भारतीय चीनी मिल्स एसोसिएशन (आईएसएम) ने भी कहा कि आगामी सीजन में चीनी के उत्पादन में 2015-16 की तरह उछाल आएगा, जब यह 2.51 करोड़ टन पर पहुंच गया था।
एनएफसीएसएफ के प्रबंध निदेशक प्रकाश नाइकनवरे ने कहा कि अनुमान के अनुसार आगामी मौसम में चीनी उत्पादन 2.5 करोड़ टन से ज्यादा होगा।
आईएसएमए के महानिदेशक अविनाश वर्मा ने कहा, “हम सामान्य की तरफ लौटने की उम्मीद कर रहे हैं। आगामी मौसम में हमें मांग व आपूर्ति में संतुलन बने रहने की उम्मीद है।”
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