BHU में इंट्रेंस एग्जाम पर क्यों मचा है बवाल ?

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बनारस हिंदू यूनिवर्सिटी यानि बीएचयू। यूं तो बीएचयू की गिनती देश के टॉप टेन यूनिवर्सिटिज में होती है। एशिया के सबसे बड़े आवासीय विश्वविद्यालय का इसे तमगा हासिल है, लेकिन पिछले कुछ सालों से बीएचयू को कुछ लोग बवालिया विश्वविद्यालय कहने लगे हैं। बात-बात पर विरोध प्रदर्शन, मारपीट, पत्थरबाजी और आंदोलन… बीएचयू की नई पहचान बन चुका है। यहां तक कि कोरोना काल में भी बीएचयू शांत नहीं है।

बैचलर्स और मास्टर्स के स्तर पर इंट्रेंस एग्जाम की तैयारी में BHU प्रशासन

बीएड इंट्रेंस के बाद अब बीएचयू प्रशासन बैचलर्स और मास्टर्स के स्तर पर इंट्रेंस एग्जाम की तैयारी कर रहा है। अब इसे लेकर बीएचयू के छात्रों ने मोर्चा खोल दिया है। छात्रों ने इंट्रेंस एग्जाम रद्द करने की मांग को लेकर सत्याग्रह शुरु कर दिया है।

छात्र अधिष्ठाता भवन के सामने नीरज राय नाम का छात्र पिछले कुछ दिनों से अनशन पर बैठा हुआ है। नीरज ने बताया कि अभी हाल में ही यूपी बीएड की परीक्षाएं आयोजित हुई थीं, जिसमें सोशल डिस्टेंसिंग का जमकर मजाक उड़ाया गया था और अब बीएचयू हजारों छात्रों के स्वास्थ्य के साथ खिलवाड़ करने जा रहा है।

करीब 5.25 लाख स्टूडेंट्स ने भरा फॉर्म

बीएचयू के तरफ से दिए गए आंकड़ों की मानें तो इस बार 12,500 सीटों पर एंट्रेंस देने के लिए करीब 5.25 लाख स्टूडेंट्स ने फॉर्म भरा है। इनमें बैचलर्स के स्तर पर 3.75 लाख और मास्टर्स के लिए लगभग 1.50 लाख फॉर्म आए हैं। बीएचयू ने यह भी बताया है कि देश भर में कुल 202 एग्जाम सेंटर्स पर एंट्रेंस होंगे।

बीएचयू के पीआरओ राजेश सिंह के अनुसार, UGC-MHRD की गाइडलाइन्स के आधार पर BHU की हाइ पॉवर कमेटी, जिसमें सभी डीन, डायरेक्टर हेड सभी लोग थे। उन लोगों ने छात्रों के हित में निर्णय लिया है। COVID-19 के सभी प्रोटोकॉल को फॉलो करते हुए हम एग्जाम कराने जा रहे हैं।

सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाने की तैयारी में छात्र

इंट्रेंस एग्जाम पर रोक लगाने के लिये अब छात्र सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाने की तैयारी कर रहे हैं। खबरों के मुताबिक, छात्रों ने सुप्रीम कोर्ट में दायर की जाने वाली याचिका तैयार कर ली है, जिसकी एक प्रति सोशल मीडिया पर वायरल हो रही है। छात्रों ने कोरोना महामारी के खतरे को आधार बनाते हुए यह याचिका तैयार की है।

छात्रों के मुताबिक वर्तमान में परीक्षा के लिए छात्रों को एक जिले से दूसरे जिले में यात्रा करना, खतरे को दावत देने की तरह है। साथ ही बीएचयू ने प्रवेश परीक्षा कराने के निर्णय से पहले बिहार और असम में आए बाढ़ पर विचार नहीं किया, जो कि ठीक नहीं है। उसने छात्रों के स्वास्थ्य से खिलवाड़ बताते हुए इसे अनुच्छेद-21 का उल्लंघन बताया और परीक्षा को स्थगित करने की मांग उठाई है।

विश्वविद्यालय प्रशासन और छात्रों के बीच टकराव की आहट

इस मुद्दे को लेकर विश्वविद्यालय प्रशासन और छात्रों के बीच टकराव की आहट मिलने लगी है। ये टकराव कब और कहां जाकर खत्म होगा…गौर करने वाली बात होगी। फिलहाल, कोरोना काल में छात्रों के अड़ियल रुख ने वाराणसी जिला प्रशासन की भी नींद उड़ा दी है, क्योंकि कोरोना की अहम लड़ाई बीएचयू के सर सुंदरलाल अस्पताल में ही लड़ी जा रही है।

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