उत्तराखंड संकट पर शिवसेना का भाजपा पर हमला

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मुंबई। उत्तराखंड में राष्ट्रपति शासन लागू करने को लेकर शिवसेना ने बुधवार को भाजपा पर जमकर प्रहार किया। भाजपा पर लोकतंत्र का गला घोंटने का आरोप लगाते हुए शिवसेना के मुखपत्र ‘सामना’ के संपादकीय में पार्टी ने चेतावनी दी है कि भाजपा यह कार्रवाई कांग्रेस शासित राज्यों, हिमाचल प्रदेश और मणिपुर में भी दोहरा कर देश में राजनीतिक स्थिरता और अराजकता की स्थिति उत्पन्न कर सकती है।

शिवसेना ने कहा है कि उत्तराखंड में कांग्रेस नीत सरकार को अस्थिर करने के लिए भाजपा ने नौ कांग्रेसी विधायकों का इस्तेमाल किया, जबकि राज्यपाल ने बहुमत सिद्ध करने के लिए 28 मार्च तक का समय दिया था।

शिवसेना ने पूछा कि एक दिन पहले यानी 27 मार्च को राज्य में राष्ट्रपति शासन लगा दिया गया। इससे भाजपा को क्या लाभ हुआ? बर्खास्त मुख्यमंत्री हरीश रावत ने राज्य में राष्ट्रपति शासन को उच्च न्यायालय में चुनौती दी। न्यायालय ने उन्हें सदन में बहुमत सिद्ध करने का आदेश दिया।

शिवसेना ने कहा कि सबसे पहले भाजपा ने कांग्रेस शासित राज्य अरुणाचल प्रदेश में जोर अजमाया। इसके बाद उत्तराखंड को चुना। कांग्रेस शासित राज्य हिमाचल और मणिपुर में भी वह इस तरह की कार्रवाई कर सकती है।

शिवसेना का मानना है कि हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह तब से भाजपा के रडार पर हैं, जब उन्होंने धर्मशाला में भारत-पाकिस्तान क्रिकेट मैच आयोजित करने से मना कर दिया था। भ्रष्टाचार का मामला उनके खिलाफ पहले ही शुरू किया जा चुका है। अगर हिमाचल में उत्तराखंड दोहराया जाता है तो कोई आश्चर्य नहीं होगा।

शिवसेना ने कांग्रेस के लिए अपना विरोध दोहराते हुए स्पष्ट कहा कि लोकतांत्रिक ढंग से निर्वाचित सरकार को प्रजातांत्रिक तरीके ही हटाया जाना चाहिए, नहीं तो इससे राजनीतिक अस्थिरता उत्पन्न होगी। शिवसेना ने कहा कि लोकतंत्र में विपक्ष की आवाज का सबसे बड़ा महत्व है, जिसे दबाना नहीं चाहिए।

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