देश भर में लॉकडाउन के बढ़ाए जाने के ऐलान के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज देशवासियों से ‘मन की बात’ शुरू की। पीएम मोदी के मासिक रेडियो कार्यक्रम का ये 65वें संस्करण है। कोरोना संकट के दौरान यह तीसरी बार है, जब पीएम मोदी देश के लोगों को संबोधित कर रहे हैं।
‘मन की बात’ की झलकियां-
तमाम सावधानियों के साथ स्पेशल ट्रेनें चल रही हैं, हवाई जहाज उड़ने लगे हैं, धीरे-धीरे उद्योग भी चलना शुरू हुआ है, ऐसे में हमें और ज्यादा सतर्क रहने की आवश्यकता है, दो गज की दूरी का नियम हो, मुंह पर मास्क लगाने की बात हो, ये सारी बातों का पालन करें।
दो गज की दूरी का नियम हो, मास्क लगाने की बात हो, घर में रहना हो, ये सारी बातों का पालन करें, उसमें जरा भी ढिलाई नहीं बरतें।
हमारी जनसंख्या ज़्यादातर देशों से कई गुना ज्यादा है, हमारे देश में चुनौतियां भी भिन्न प्रकार की हैं, लेकिन फिर भी हमारे देश में कोरोना उतनी तेजी से नहीं फ़ैल पाया, जितना दुनिया के अन्य देशों में फैला, कोरोना से होने वाली मृत्यु दर भी हमारे देश में काफी कम है।
इस महामारी के समय हम भारतवासियों ने ये दिखा दिया है कि सेवा और त्याग का हमारा विचार, केवल हमारा आदर्श नहीं है, बल्कि, भारत की जीवनपद्धति है।
[bs-quote quote=”सेवा परमो धर्म:
सेवा स्वयं में सुख है, सेवा में ही संतोष है।” style=”style-4″ align=”center” author_name=”नरेंद्र मोदी ” author_job=”प्रधानमंत्री”][/bs-quote]
तमाम देशवासी गांवों से लेकर शहरों तक हमारे छोटे व्यापारियों से लेकर startup तक, कोरोना के खिलाफ लड़ाई में नए-नए तरीके इज़ाद कर रहे हैं, नासिक के राजेन्द्र यादव अपने गांव को कोरोना संक्रमण से बचाने के लिए अपने tractor से जोड़कर एक सैनिटाइजेशन मशीन बना ली है।
सेवा में अपना सब कुछ समर्पित कर देने वाले लोगों की संख्या अनगिनत है, सी. मोहन जी मदुरै में एक सैलून चलाते हैं, बेटी की पढ़ाई के लिए इन्होंने 5 लाख रूपये बचाए थे, लेकिन, इन्होंने ये पूरी राशि जरुरतमंदों, ग़रीबों की सेवा के लिए खर्च कर दी।
हमारे देश में भी कोई वर्ग ऐसा नहीं है जो कठिनाई में न हो, और इस संकट की सबसे बड़ी चोट अगर किसी पर पड़ी है, तो, हमारे गरीब, मजदूर, श्रमिक वर्ग पर पड़ी है, उनकी तकलीफ, उनका दर्द, उनकी पीड़ा, शब्दों में नहीं कही जा सकती।
हमारे रेलवे के साथी दिन-रात लगे हुए हैं। केंद्र हो राज्य हो, स्थानीय स्वराज की संस्थाएं हो – हर कोई, दिन-रात मेहनत कर रहें हैं। जिस प्रकार रेलवे के कर्मचारी आज जुटे हुए हैं, वे भी एक प्रकार से अग्रिम पंक्ति में खड़े कोरोना वॉरियर्स ही हैं।
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