Nobel laureate ने कहा लॉकडाउन से न अर्थव्यवस्था संभली, न मौतें कम हुईं

वैज्ञानिक ने लॉकडाउन को बताया गलत, कहा- जान बची नहीं, लोगों की मौतें अधिक हुईं

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नयी दिल्ली : Nobel laureate माइकल लेविट कहते हैं कि लॉकडाउन से न अर्थव्यवस्था ही संभली और न मौतें ही रुकीं। वे लॉकडाउन लगाना सही नहीं मानते। कोरोना के कारण दुनियाभर के कई देशों ने लॉकडाउन जारी किया। लेकिन इस व्यवस्था को स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी के Nobel laureate ठीक नहीं मानते हैं। उनका कहना है कि लॉकडाउन की वजह से जिंदगी बची नहीं हैं बल्कि अधिक लोगों की जाने गई हैं।

दूसरी ओर महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने रविवार को कहा कि अचानक लॉकडाउन लागू किया जाना गलत था और अब इसे तुरंत नहीं हटाया जा सकता।

भारत में लॉकडाउन 25 मार्च से जारी

उल्लेखनीय है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कोरोनावायरस महामारी को फैलने से रोकने के लिये राष्ट्रव्यापी लॉकडाउन की घोषणा की थी। इसका प्रथम चरण 25 मार्च से 14 अप्रैल था, जिसे 15 अप्रैल से बढ़ाते हुए तीन मई तक (दूसरा चरण) किया गया था। इसका तीसरा चरण चार मई से 17 मई तक था और अब लॉकडाउन 4.0 कुछ छूट के साथ 18 मई से 31 मई तक है।

क्या कहते हैं Nobel laureate

Nobel laureate वैज्ञानिक लेविट का यह मत टेलीग्राफ की एक रिपोर्ट में प्रकाशित हुआ है। Nobel laureate कहते हैं कि लोगों को घरों में बंद रखने का फैसला विज्ञान की वजह से नहीं बल्कि पैनिक होने की वजह से लिया गया था।

Nobel laureate कहते हैं कि मुझे नहीं लगता कि लॉकडाउन के कारण किसी की जान बची है, बल्कि कई मौतें हुई है। हो सकता है सड़क दुर्घटनाएं कम हुई हों लेकिन घरेलू हिंसा, तलाक आदि बढ़े हैं।

लॉकडाउन डेटा फेक

ब्रिटेन में हुए लॉकडाउन को लेकर Nobel laureate ने कहा था कि एक अन्य Professor की रिपोर्ट के आधार पर सरकार ने हर्ड इम्युनिटी पुलिस को रद्द कर दिया और पैनिक फैलने के डर से बचने के लिए देश में लॉकडाउन लगा दिया। Nobel laureate ने इस प्रोफेसर के डेटा को भी फेक बताया था। माइकल ने कोरोना को लेकर जो शुरूआती अनुमान लगाए थे वो सही साबित हुए थे।

ट्रंप भी लॉकडाउन के फेवर में नहीं

बताते चले कि लॉकडाउन को लेकर सिर्फ माइकल की ही नहीं बल्कि अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की भी यही राय थी। उन्होंने भी लॉकडाउन को लेकर विरोध जताया था। उनके अलावा, स्पेसएक्स के सीईओ एलन मस्क ने भी लॉकडाउन की आलोचना कर कहा कि यह तार्किक नहीं है।

केंद्र से थोड़ी ही मदद

उद्धव ठाकरे ने कहा कि केंद्र सरकार ने थोड़ी मदद की है लेकिन वह कोई राजनीतिक छींटाकशी नहीं करेंगे।

उल्लेखनीय है कि ठाकरे की पार्टी शिवसेना ने पिछले साल भाजपा से वर्षों पुराना अपना नाता तोड़ लिया था।

मुख्यमंत्री ठाकरे ने कहा, महाराष्ट्र सरकार को अभी तक माल एवं सेवा कर (जीएसटी) की बकाया राशि नहीं मिली है। ट्रेन टिकट किराये (प्रवासी श्रमिकों को उनके गृह राज्य तक पहुंचाने के लिये) का केंद्र का हिस्सा मिलना अभी तक बाकी है।

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