Nurses : जीवनकाल की सबसे कठिन चुनौती का कर रही हैं सामना
Nurses दूसरों की तरह सोशल डिस्टेंसिंग का पालन नहीं कर सकतीं
भारत भर में विभिन्न Nurses साल 2020 को ‘इयर ऑफ नर्स एंड मिडवाइफ’ के रूप में मनाने की तैयारी कर रहे थे, लेकिन फिलहाल वह सभी अपने जीवनकाल के सबसे कठिन कार्य का सामना कर रहे हैं। वर्तमान में देश की 12 लाख Nurses बिरादरी को इतिहास के सबसे चुनौतीपूर्ण चिकित्सा संकट में से एक ‘महामारी कोविड-19’ के प्रसार को रोकने के लिए काम करना पड़ रहा है।
वर्ष 2020 ‘ईयर ऑफ नर्स एंड मिडवाइफ’ घोषित
विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने फ्लोरेंस नाइटिंगल की 200वीं जयंती को चिन्हित करने के लिए वर्ष 2020 को ‘इयर ऑफ नर्स एंड मिडवाइफ’ घोषित किया है।
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साल 1908 में स्थापित दुनिया में Nurses की सबसे बड़ी सदस्यता वाले ट्रेन्ड नर्सेज एसोसिएशन ऑफ इंडिया (टीएनएआई) के अध्यक्ष डॉक्टर रॉय के. जॉर्ज ने कहा, “फ्लोरेंस नाइटिंगल की 200वीं जयंती के उपलक्ष्य में मनाए जाने वाले इस विशेष वर्ष के कार्यक्रमों को पूरा करने में हम व्यस्त थे, तभी हमें स्वास्थ्य मंत्रालय के अधिकारियों ने अचानक नए वायरस (कोविड-19) के भारत में प्रवेश करने को लेकर सतर्क किया।”
मेडिकल और पैरामेडिकल स्टाफ इस खतरनाक वायरस के प्रसार को रोकने के लिए अग्रिम मोर्चे पर काम कर रहा है। यह उनके खुद के स्वास्थ्य के लिए भी बेहद खतरनाक है।
12 लाख Nurses के पास पर्याप्त सुरक्षा किट नहीं
चेतावनी को ध्यान में रखते हुए टीएनएआई और इसकी राज्य इकाइयां यह सुनिश्चित कर रही हैं कि सरकारी और निजी अस्पतालों में काम करने वाली 12 लाख नर्सें पर्याप्त सुरक्षा किट और सूट से लैस हैं या नहीं।
डॉक्टर जॉर्ज ने आईएएनएस से कहा, “केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने हमें सूचित किया था कि 24 मार्च को प्रधानमंत्री नेरेंद्र मोदी वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से हमसे तत्काल मुलाकात करेंगे।”
उन्होंने आगे कहा, “हालांकि, उस वक्त मैं खुद सेल्फ क्वारंटाइन (एकांतवास) में था और इसलिए हमारे वरिष्ठ सहयोगियों में से एक थैंकम गोमेज ने सरकार को हमारी मांगों से अवगत कराया। इस दौरान टीएनएआई ने कुछ महत्वपूर्ण सुझावों पर विचार रखे।”
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Nurses दूसरों की तरह सोशल डिस्टेंसिंग का पालन नहीं कर सकतीं
टीएनएआई अध्यक्ष के अनुसार, उच्च जोखिम वाले इस काम में शामिल नर्सें दूसरों की तरह सोशल डिस्टेंसिंग का पालन नहीं कर सकती हैं। वहीं इसके विपरीत अस्पताल से वापस घर लौटने के बाद अपने परिवार के सदस्यों की सुरक्षा के लिए नर्सों को घर पर रहकर सोशल डिस्टेंसिंग (सामाजिक दूरी) बनाए रखनी होती है।
डॉक्टर जॉर्ज ने कहा, “प्रधानमंत्री (नरेंद्र) मोदी के साथ बैठक के दौरान हमने सुझाव दिया कि सरकार को व्यक्तिगत सुरक्षा उपकरण (पीपीई) किट की कमी को देखना चाहिए। व्यक्तिगत देखभाल के अलावा, नर्सिग स्टाफ के लिए परिवहन सुनिश्चित किया जाना चाहिए। जीवन बीमा कवर के लिए भी सुझाव दिए गए। नर्सों को किराए पर आवास देना जैसी गंभीर समस्या को लेकर भी हमने प्रधानमंत्री को सूचित किया।”
प्रधानमंत्री हमारे अधिकांश सुझावों पर सहमत
उन्होंने आगे कहा, “हमें यह जानकर खुशी हुई कि प्रधानमंत्री हमारे अधिकांश सुझावों पर सहमत हुए और बाद में स्वास्थ्य कर्मचारियों के लिए एक प्रमुख बीमा कवर की घोषणा की गई।”
डा. जार्ज ने छोटे शहरों में अस्पतालों में सुरक्षा और स्वच्छता की कमी पर चिंता जताते हुए कहा कि उत्तरी राज्यों खासकर बिहार, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश और इसके पड़ोसी राज्यों में इस दिशा में युद्ध स्तर पर काम करने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि इस खतरनाक वायरस के फैलाव के दौर में नर्सो और डाक्टरों की सुरक्षा से समझौता नहीं किया जा सकता है।
यह संक्रमण बहुत खतरनाक
डा. जार्ज ने कहा, “यह सच है कि यह संक्रमण बहुत खतरनाक है लेकिन देश के लिए हमें काम करना है और लोगों की सेवा करनी है।”
टीएनएआई ने इस वायरस के फैलाव को देखते हुए 12 मई को होने वाले मुख्य समारोह सहित अन्य समारोहों को स्थगित कर दिया है।
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