मेरठ में 6 कांवड़ियों की करंट लगने से मौत… गाजे-बाजे के साथ गई थी रोते-बिलखते गांव लौटी कांवड़

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उत्तर प्रदेश के मेरठ जिले में गंगा जल लाने हरिद्वार के लिए निकले कांवड़ियों में 6 कांवड़ियों की दर्दनाक मौत हो गई।शनिवार की देर शाम को हाईटेंशन लाइन से 6 कांवड़िये करंट की चपेट में आ गए। जिससे उनकी मौत हो गई। इस हादसे में 10 से ज्यादा कांवड़िए घायल हो गए हैं। घायलों का अलग-अलग अस्पतालों में इलाज चल रहा है। बताया जा रहा है कि कावंड़ियों की टोली में 25 श्रद्धालु शामिल थे।

25 की टोली में 6 की हो गई मौत

यह हादसा जिले के थाना भावनपुर क्षेत्र के राली चौहान इलाके में हुआ। यहां हरिद्वार से जल लेकर 25 कांवड़ियों की बड़ी डीजे कावड़ मेरठ पहुंचा थी। गांव में कांवड़ के दाखिल होने से पहले हाई टेंशन लाइन बंद करने के लिए बिजली विभाग से कहा भी गया था। लेकिन फिर भी हाई टेंशन लाइन चालू रही, जिससे कांवड़ हाईटेंशन लाइन से टकरा गई। हादसे से आक्रोशित कांवड़ियों ने जाम लगाकर जमकर हंगामा किया। सभी कांवड़िए बिजली विभाग के अधिकारियों पर लापरवाही का भी आरोप लगा रहे हैं।

दोस्त को बचाने में खुद भी जल गया

प्रत्यक्षदर्शी 12 वर्षीय वासू ने बताया कि गांव के कुछ लोग कांवड़िए लक्ष्य व प्रशांत को बचाने को दौड़े तो लोगों ने उन्हें दबोच लिया। हर कोई बस बचाओ-बचाओ चिल्लता रहा लेकिन करंट से झुलसते लोगों को बचाने कोई उनके पास नहीं गया। बुरी तरह जलने के बाद जो नीचे गिरता गया, उसे उठाकर लोग अलग खींचकर ले जाते रहें। ठेली खींचने के दौरान प्रशांत हिमांशु से अलग हटकर चल रहा था। जब उसने हिमांशु को करंट से झुलसते देखा तो उसने उसे बचाने का प्रयास किया। मगर वह उसे तो नहीं बचा पाया खुद भी करंट की चपेट में आकर जान गवां बैठा।

कांवड़ियों के गांव में पसरा मातम

वहीं कांवड़ लेकर गांव से निकले कांवड़ियों के घरों में मौत का मातम पसर गया है। गांव में जब कांवड़ निकली थी तो गांव के महेन्द्र व दादू लख्मी के साथ पूरे गांव वालों ने उत्साह से कांवड़ को हरिद्वार रवाना किया था। शनिवार को जब पूरे गांव को पता चला कि उनकी टोली वापस आ रही थी है तो हर कोई भोले बाबा की जयकार के साथ विशाल कांवड़ का स्वागत करने पहुंचा। बोल बम के जयकारे के साथ अचानक चिंगारी और भोलेनाथ के ट्राली धकेल रहे लोगों के शरीर से धुआं उठता दिखा तो चींख-पुकार मच गई। जिस गाजे-बाजे और डीजे के साथ सजी-धजी कांवड़ निकली थी, वह मातम के साथ गांव लौट आई।

 

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