विश्वनाथ कॉरिडोर में होगा बदलाव, नहीं तोड़े जाएंगे मंदिर
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ड्रीम प्रॉजेक्ट ‘विश्वनाथ कॉरीडोर’ के ब्लू प्रिंट में बदलाव होना तय हो गया है। अंतरराष्ट्रीय मुद्दा बनने और बढ़ते विरोध के चलते शासन और प्रशासन स्तर पर हलचल तेज हो गई है। इस मसले पर डीएम योगेशवर राम मिश्र ने रविवार को चुप्पी तोड़ी। उन्होंने साफ किया कि मंदिर और धरोहरों पर कॉरीडोर की आंच नहीं आएगी।
मंदिरों को किया जाएगा संरक्षित
कॉरीडोर की जद में आने वाले पक्का महाल (पुराना बनारस) के ललिता घाट इलाके में स्थित नेपाली मंदिर से सटे सभी 36 मंदिरों और धरोहरों को ध्वस्त करने की बजाए, उन्हें मूल स्वरूप में संरक्षित किया जाएगा। यही नहीं जो मंदिर तोड़ दिए गए हैं या किसी तरह टूट गए हैं, उनका पुनरुद्धार भी होगा। साथ ही मंदिरों-मठों पर कब्जा जमाए लोगों को बेदखल कर, उन्हें नया रूप दिया जाएगा।
हर की पौड़ी और सोमनाथ मंदिर की तर्ज पर मंदिर का विस्तार
विश्वनाथ कॉरीडोर और गंगा पाथवे प्रॉजेक्ट में हर की पौड़ी और सोमनाथ मंदिर की तर्ज पर मंदिर का विस्तार और गंगा की धारा काशी विश्वनाथ मंदिर तक लाए जाने का प्लान है। इस योजना से प्रभावित भारत-नेपाल मैत्री की निशानी ललिता घाट स्थित पशुपति नाथ महादेव (नेपाली मंदिर) मंदिर तोड़े जाने का मसला पीएम मोदी की अगले सप्ताह नेपाल यात्रा में उठने की खबर ‘एनबीटी’ में प्रमुखता से प्रकाशित होने पर रविवार को दिल्ली से लेकर लखनऊ तक इसे गंभीरता से लिया गया।
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गली-गली घूमे डीएम
विश्वनाथ कॉरीडोर प्रॉजेक्ट को लेकर पहली बार डीएम योगेश्वर राम मिश्र आनन-फानन में सुबह ही पक्का महाल पहुंचे। दो घंटे तक गलियों में घूम ध्वस्तीकरण अभियान के बारे में जानकारी ली। नेपाली मंदिर समेत कई अन्य मंदिरों के प्रबंधकों से उन्होंने बात भी की। डीएम योगेश्वर राम मिश्र ने बताया कि कॉरीडोर योजना के ब्लू प्रिंट में सभी मंदिर और धरोहरों के संरक्षण और पुनरुद्धार को शामिल किया जाएगा। यह बात उन्होंने नेपाली मंदिर के प्रबंधक को भी बताई।
गिराए गए मंदिर फिर बनाए जाएंगे
डीएम के मुताबिक ध्वस्तीकरण अभियान में गिराए गए प्रमोद विनायक और सुमुख विनायक मंदिर का पुनरुद्धार कराया जाएगा। इन दोनों मंदिरों का उल्लेख काशी खंडोक्त के 56 विनायक में मिलता है। काशी की अंतगृर्ही यात्रा और पंचक्रोशी यात्रा विनायकों के आशीर्वाद और दर्शन से आरंभ होती है। योजना में बदलाव के बाद दुर्मख विनायक, सप्तावर्ण विनायक (जौ विनायक), मोद विनायक, भीमाशंकर महादेव (काशी करवट), त्रिसंध्य विनायक, करुणेश्वर महादेव, स्वर्ग द्वारेश्वर महादेव, मोक्ष दारेश्वर महादेव, भागीरथी विनायक, नीलकंठ महादेव, निर्मल मठ समेत अन्य सभी मंदिरों को संवारा जाएगा।
आंदोलन की तैयारी तेज
इस बीच मंदिर और धरोहरों को बचाने के लिए चल रहे आंदोलन ने तेजी पकड़ी है। धरोहर बचाओ समिति से अलग शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती के प्रतिनिधि स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद आंदोलन के प्रथम चरण में सोमवार से पदयात्रा शुरू करेंगे।