कानपुर अपहरण कांड: किडनैपर्स बोले-हमें नहीं मिले फिरौती के पैसे, आखिर क्या है 30 लाख का सच?
कानपुर शूटआउट मामले के बाद कानपुर अपहरण कांड से पुलिस की कार्यप्रणाली पर एक बार फिर कई सवाल उठने शुरू हो गए हैं। संजीत यादव अपहरण केस में अपहरणकर्ताओं की मांग पर परिजनों ने पुलिस के कहने पर 30 लाख रुपये देने का फैसला किया था। पुलिस को विश्वास था कि वो बदमाशों को पकड़ लेगी, लेकिन शातिर बदमाशों पुलिस के सामने ही 30 लाख रुपये की फिरौती लेकर फरार हो गए और पुलिस देखती रह गई। इसके बाद बर्रा थाना बर्रा थाना इंचार्ज रणजीत सिंह को सस्पेंड कर दिया गया।
जांच के मुताबिक, नहीं दी गई कोई फिरौती- आईजी
वहीं शुक्रवार की सुबह पांच आरोपियों की गिरफ्तारी के बाद पुलिस ने इस मामले का खुलासा किया। इस प्रेस कॉन्फ्रेंस में आईजी मोहित अग्रवाल का कहना है कि अब तक की जांच के अनुसार हमने पाया है कि कोई फिरौती नहीं दी गई है। फिर भी हम सभी पहलुओं से मामले की जांच कर रहे हैं, जबकि संजीत के परिजनों का दावा है कि उन्होंने अपहरणकर्ताओं को 30 लाख रुपये की फिरौती दी है।
पूछताछ में आरोपियों ने नहीं स्वीकारी फिरौती मिलने की बात
आईजी ने बताया, ‘अभी तक हम परिवार के आरोपों के आधार पर ही केस को देख रहे थे, लेकिन जो पांच आरोपी गिरफ्तार हुए हैं उन्होंने पूछताछ में फिरौती मिलने की बात नहीं स्वीकारी है। परिवार वाले कह रहे हैं कि पैसे दिया गया.. ऐसे में यदि पैसा दिया गया है तो उसकी भी जांच होगी।’
आईजी और एसएसपी ने किया मामले का खुलासा
बता दें कि वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक दिनेश कुमार पी ने बताया कि बर्रा से अपहरण किए गए युवक की 23 जून को गुमशुदगी की शिकायत लिखी गई थी। इसके बाद 26 जून को उसे एफआईआर में तब्दील किया गया। 29 जून को परिजनों के पास फिरौती के लिए कॉल आया था। मामले में सर्विलांस और क्राइम ब्रांच की टीमों को मामले में लगाया गया था।
26 या 27 जून को हुई संजीत की हत्या
पुलिस की टीम ने कुछ लोगों को हिरासत में लिया है। इसमें दो लोग संजीत के खास दोस्त थे, जिन्होंने संजीत के साथ पहले अन्य पैथोलॉजी में काम किया था। उन्होंने कबूल किया है कि उन्होंने 26 या 27 जून को ही संजीत की हत्या कर दी थी। इसके बाद शव को पांडू नदी में फेंक दिया था। इस मामले में चार पुरूषों और एक महिला को गिरफ्तार किया गया है। वहीं शव को बरामद करने के लिए टीमें बनाई गई हैं।
अपहरणकर्ताओं को 30 लाख रुपये की दी फिरौती- परिजन
लैब टेक्नीशियन के परिजनों का दावा है कि उन्होंने अपहरणकर्ताओं को 30 लाख रुपये की फिरौती दी है। लेकिन कानपुर रेंज के आईजी मोहित अग्रवाल का कहना है कि अब तक की जांच के अनुसार हमने पाया है कि कोई फिरौती नहीं दी गई है। फिर भी हम सभी पहलुओं से मामले की जांच कर रहे हैं।
22 जून की शाम संजीत का हुआ था अपहरण
बता दें कि कानपुर बर्रा निवासी चमन सिंह यादव के इकलौते बेटा संजीत कुमार का 22 जून की शाम अपहरण हो गया था। दूसरे दिन परिजनों ने पूर्व थाना प्रभारी रणजीत राय को बेटे के लापता होने की बात बताई थी, लेकिन इसके बाद भी कुछ नहीं हो पाया।
29 जून की शाम अपहर्ताओं ने मांगी 30 लाख की फिरौती
29 जून की शाम अपहर्ताओं ने पिता को फोन करके 30 लाख की फिरौती मांगी। 13 जुलाई की रात पुलिस ने फिरौती की रकम लेकर परिजनों को भेजा। अपहरणकर्ता गुजैनी पुल से फिरौती की रकम लेकर फरार हो गए और पुलिस देखती रह गई।
इंस्पेक्टर रणजीत राय निलंबित
इस घटना के बाद एसएसपी दिनेश कुमार पी ने इंस्पेक्टर रणजीत राय को निलंबित कर दिया था। वहीं खोज के लिए एसओजी, सर्विलांस टीम और कई थानों की पुलिस लगाई गई थी।
घटना का खुलासा करते हुए कानपुर एसएसपी ने बताया कि दोस्त ने ही अपने साथियों के साथ मिलकर लैब टैक्नीशियन का अपहरण किया था। अपहरण के 4 या 5 दिन बाद ही उसकी हत्याकर शव को पांडु नदी में फेंक दिया था। आरोपियों ने वारदात के लिए किराये के कमरे का इस्तेमाल किया। एसएसपी ने बताया कि संजीत की हत्या करने के बाद फिरौती की मांग की गई थी।
दोस्त ने अपने साथियों के साथ मिलकर किया अपहरण
देर रात घटना के मामले में पुलिस ने परिजनों को जानकारी दी कि अपहृत युवक संजीत का उसके साथ काम कर चुके दोस्त ने अपने साथियों के साथ मिलकर अपहरण किया और अपहरण के चार दिन बाद ही उसकी हत्याकर शव को पांडु नदी में फेंक दिया। एसएसपी का कहना है कि शव की तलाश की जा रही है। उन्होंने बताया कि संजीत के दोस्तों ने ही हत्या की साजिश रची और इसमें एक महिला भी शामिल थीं।
वहीं, शव के नदी में फेंके जाने की खबर मिलते ही घर में मातम पसर गया है। परिवार का रो-रोकर बुरा हाल है। फिलहाल, अपहरण कर्ता पुलिस की गिरफ्त में है और पुलिस संजीत के शव की तलाश में जुटी हुई है।
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