आज हम बात करने जा रहे हैं एक ऐसे आईपीएस अफसर की, जिन्होंने न सिर्फ एनआईए को पहचान दिलाई बल्कि 58 वर्ष की उम्र होने के बावजूद प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के फिटनेस चैलेंज को एक्सेप्ट कर एक्सरसाइज के कई वीडियो शेयर किये, जिसे देख पूरा युवा वर्ग हैरान रह गया। भारतीय युवा आधिकारियों को फिट रहने के लिए प्रेरित करने और हमेशा अपने दायित्वों का पूरी निष्ठा व कुशलता से निर्वहन करने वाले आईपीएस असफर का नाम है… संजीव कुमार सिंह।
26/11 का मुंबई आतंकी हमला हो या पठानकोट के वायुसेना के बेस पर आतंकी हमला… संजीव कुमार सिंह ने कई हाई प्रोफाइल केसों की जांच को अहम मोड़ तक पहुंचाया।
संजीव कुमार सिंह ने एनआईए को दिलाई पहचान
मध्यप्रदेश कैडर के 1987 बैच के आईपीएस अफसर संजीव कुमार सिंह अपने कार्यकाल में कई बड़े पदों पर नियुक्त रहे। गवर्मेंट ऑफ इंडिया से डेप्यूटेशन से लौटने के बाद संजीव कुमार सिंह को एडीजी एंटी नक्सलाइट ऑपरेशन की जिम्मेदारी सौंपी गई थी। डेप्यूटेशन के दौरान संजीव कुमार सिंह नेशनल इंवेस्टीगेशन एजेंसी यानी एनआईए, नई दिल्ली में करीब सात साल तक रहे।
संजीव ने जनवरी 2009 में एनआईए जॉइन किया था। एनआईए में संजीव सिंह आईजी के साथ-साथ एनआईए के प्रवक्ता भी रहे। एनआईए में उन्हें पहले प्रोजेक्ट के तौर पर मुंबई के 26/11 हमले के दोषियों को बेनकाब करने का ज़िम्मा सौंपा गया था। दिसंबर 2011 में जो चार्जशीट फाइल की गई, उसमें कहा गया कि मुंबई हमले में पाकिस्तान में आर्मी अफसर रह चुके दो लोगों का सीधा हाथ था। अपनी काबिलियत और नए प्रयोगों से संजीव सिंह ने एक ओर खूब तारीफें बटोरीं तो वहीं दूसरी ओर एनआईए को पहचान भी दिलाई।
तेज दिमाग और दिलेरी के धनी थे संजीव कुमार सिंह
संजीव कुमार सिंह अपने तेज दिमाग और दिलेरी के धनी थे, जो अपनी सूझबूझ से किसी भी काम को अंजाम तक पहुंचाते थे। वहीं संजीव ने 2011 में एक लड़की को पानी में डूबते देखा तो उन्होंने अपनी कार से सीधे पानी में छलांग लगाकर उसे बचाया था और अपनी बहादुरी का परिचय दिया। इसके अलावा 1996 से 97 के बीच भोपाल के एसपी रहते हुए संजीव सिंह ने तत्कालीन मंत्री के बेटे की सार्वजनिक रूप से पिटाई की थी, क्योंकि वह एक लड़की के खिलाफ भद्दे कमेंट कर रहा था। इस किस्से की गूंज काफी समय तक भोपाल और मध्य प्रदेश के सियासी व प्रशासनिक गलियारों में रही थी।
अक्टूबर 2013 में जब नरेंद्र मोदी पटना के गांधी मैदान में भाषण दे रहे थे, तब वहां हुए बम धमाके के हाई प्रोफाइल केस की जांच संजीव सिंह ने संभाली थी। जुलाई 2013 में बोधगया बमकांड की गुत्थी भी उन्होंने सुलझाई थी। इसके अलावा, 25 कांग्रेसी नेताओं को मौत के घाट उतारने वाले नक्सली हमले यानी झीरम घाटी नरसंहार कांड की जांच भी संजीव के नेतृत्व में ही की गई थी।
प्रधानमंत्री के फिटनेस चैलेंज को स्वीकार कर दुनिया को चौंकाया
संजीव कुमार सिंह का नाम तब भी सुर्खियों में आया था, जब उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के उस चैलेंज को स्वीकार किया है, जिसमें पीएम मोदी ने 40 साल के ऊपर के IPS अधिकारियों को फिटनेस चैलेंज दिया था। जिसके बाद संजीव सिंह ने फिटनेस वीडियो बनाकर अपने ट्वीटर अकाउंट पर पोस्ट किये, जिसे लोगों ने काफी पसंद किया।
संजीव की 16 अक्टूबर 2020 को हुआ निधन
बता दें कि पिछले दिनों डेंगू की चपेट में आने से उन्हें वेदांता अस्पताल में एडमिट कराया गया था, जहां उनका इलाज चल रहा था, लेकिन प्लेटलेट्स व बीपी कम होने कारण उनकी तबीयत ज्यादा बिगड़ने लगी। उन्हें लाइफ सपोर्ट सिस्टम पर रखा गया था, लेकिन 16 अक्टूबर 2020 को करीब रात के 11 बजे उनका निधन हो गया। असम के अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक जीपी सिंह ने ट्वीट कर उनके निधन की जानकारी दी। एनआईए ने भी उनके निधन पर श्रद्धांजलि अर्पित की।
मुख्यमंत्री ने जताया शोक
संजीव कुमार सिंह के निधन पर मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने भी शोक संवेदना व्यक्त की।
भारत की नीतियां बनवाने में निभाया अहम रोल
जूनियरों के साथ गर्मजोशी और हंसी मज़ाक के अलावा सबकी मदद करने वाले संजीव को बढ़ती उम्र में भी आराम नहीं बल्कि काम पसंद था। संजीव की बीएसफ में पोस्टिंग रही, मध्य प्रदेश में नक्सल ऑपरेशन के एडीजी रहे और उन्होंने एनएससी में भारत की रणनीतिक ज़रूरतों के लिए कई नीतियां बनवाने में अहम रोल निभाया।
पुलिस विभाग के लिए मिसाल
मध्य प्रदेश के विशेष डीजी पद से सेवानिवृत्त और भोपाल के पूर्व एसपी आईपीएस संजीव कुमार सिंह ने अपने कार्यकाल में ऐसी छाप छोड़ी, जिसके कारण आज भी लोग उन्हें याद करते हैं। 61 साल की उम्र में दुनिया को अलविदा कहने वाले संजीव सिंह का सहज व्यवहार और जिम्मेदारी के प्रति समर्पण पुलिस विभाग के लिए मिसाल रहेगा।
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