21 मिनट और… मिराज लड़ाकू विमानों ने ध्वस्त किया जैश के ठीकाने

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फाइटर जेट्स, हवा में ईंधन भरने वाले विमान, पांच एयरबेस पूरी तरह तैयार और वो 21 मिनट। पाकिस्तान में घुसकर भारतीय वायुसेना की एयर स्ट्राइक के 21 मिनट के दौरान न केवल पड़ोसी देश चौंका बल्कि उसे संभलने तक का मौका नहीं मिल पाया।

वायुसेना का ‘स्ट्राइक पैकेज’ इतना सटीक और जबरदस्त था कि आतंकी संगठन जैश-ए-मोहम्मद का बालाकोट स्थित ठिकाना पूरी तरह नेस्तनाबूद हो गया और पाकिस्तान लकीरे पीटता रह गया।

भारतीय वायुसेना के ‘स्ट्राइक पैकेज’ ने पाक को चौंकाया

डिफेंस के एक वरिष्ठ सूत्र ने बताया कि बालाकोट में चल रही आतंक की फैक्ट्री पर स्ट्राइक पैकेज के लिए एयर स्ट्राइक करनेवाली टीम बेहतर तालमेल के साथ संपर्क में थी। डिफेंस सूत्र के अनुसार इस स्ट्राइक का लक्ष्य 6 ठिकानों को तबाह करना था और इसमें 100 फीसदी कामयाबी मिली है। 6 ठिकानों पर पहले ताबड़तोड़ हमले हुए और फिर धूल के गुबार के कुछ थमने के बाद दूसरी बार हमला किया गया। पाकिस्तान को किसी तरह से सतर्क होने का मौका न मिले इसके लिए 12 मिराज-2000 विमानों ने किसी सीमावर्ती एयरबेस से उड़ान नहीं भरी। विमानों ने मध्य भारत के ग्वालियर एयरबेस से उड़ान भरी।

पाक को उलझाए रखने के लिए ग्वालियर बेस से भरी उड़ान

22 फरवरी को खैबर के बालाकोट, पीओके के मुजफ्फराबाद और चकोटी में टारगेट सेट हो गया था। फिर ट्रायल रन भी किया गया। सोमवार रात लेजर गाइडेड बम से लैस मिराज ने ग्वालियर से उड़ान भरी। ये पहले हिंडन, फिर सिरसा और हिमाचल की तरफ होते हुए कश्मीर की तरफ गए और वहां से टर्न लेकर लक्ष्य की तरफ उड़ चले। वहां नीची उड़ान भरकर आतंकी शिविरों पर 6 बम गिराए गए और मिशन पूरा कर ग्वालियर बेस वापस आ गए। मिशन तड़के 3.40 बजे शुरू हुआ और करीब 21 मिनट चला।

पुलवामा हमले के बाद ही हो गया था फैसला

पुलवामा टेरर अटैक के तुरंत बाद सरकार ने यह फैसला कर लिया था कि जवाब सेना देगी, लेकिन देश की टॉप लीडरशिप को जवाबी हमले के विश्वसनीय विकल्पों की जानकारी 19 फरवरी को दी गई। इसके बाद यह मिशन शुरू करने की मंजूरी देने में देर नहीं की गई। सूत्रों ने बताया कि पाकिस्तान में आतंकवादियों के ठिकानों पर हमला करने के ऐसे अभियान की योजना तो 14 फरवरी को सीआरपीएफ के काफिले पर आत्मघाती हमले से पहले भी सामने थी, लेकिन जरूरी मंजूरी मिलने के बाद इसकी खास बातों पर काम तेज किया गया।

किसी भी खतरे से निपटने के लिए थी पूरी तैयारी

अर्ली वॉर्निंग जेट ने भटिंडा से उड़ान भरी थी और मिड एयर रिफ्यूलिंग टैंकर ने आगरा से। अर्ली वॉर्निंग जेट हवा में मौजूद खतरे को बताता है। इसके जरिये मिराज के लिए सेफ पैसेज सुनिश्चित किया गया। हिंडन एयरपोर्ट भी बैकअप के लिए तैयार था।

सूत्रों ने बताया कि 6 मिराज एलओसी पार अंदर गए थे, जबकि 6 मिराज और कुछ सुखोई लड़ाकू विमान बैकअप के लिए नियंत्रण रेखा के पास ही उड़ान भर रहे थे। मकसद था कि कोई खतरा होने पर ये उससे निपट लेंगे और बम से लैस विमान मिशन को अंजाम देंगे। मिराज एक मल्टीरोल लड़ाकू विमान है। ऐसे में पाकिस्तान के रडार जाम करने का सिस्टम भी मिराज के जरिए ही इस्तेमाल किया गया।

बेखबर पाक को नहीं लगने दी कोई भनक

सूत्रों के मुताबिक सेना के तीनों चीफ को यह भी बताया गया कि अपने दौरे और काम ऐसे करते रहें, जिससे लगे कि सब कुछ ठीक चल रहा है और भारत की तरफ से कोई सर्जिकल स्ट्राइक जैसी तैयारी फिलहाल तो नहीं की जा रही। इसी प्लानिंग के हिसाब से सबकुछ किया जाने लगा। 22 फरवरी को तय हो गया कि बालाकोट का टेरर कैंप टारगेट होगा, क्योंकि यहां बड़ी संख्या में आतंकी मौजूद हैं और आतंकियों को ट्रेनिंग देने वाले भी वहां निशाने पर रहेंगे। टारगेट सेट होने के साथ ही मिराज-2000 की दो स्क्वॉर्डन को एक्टिव किया गया और इन दो स्क्वॉर्डन से ही 12 लड़ाकू विमान चुने गए।

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