बृजभूषण सिंह पर दर्ज हुई छेड़छाड़ की 2 नई FIR, लड़की की नाभि पर रखा था हाथ

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पिछले एक महीने से भी ज्यादा समय से देश के पहलवान बाजपा नेता व कुश्ती महासंघ (WFI) के अध्यक्ष बृजभूषण शरण सिंह की गिरफ्तारी को लेकर प्रदर्शन कर रहे हैं। अब पहलवानों की ये लड़ाई देश का बड़ा मुद्दा बन गया है। इस बीच अयोध्या के संतों ने बृजभूषण सिंह के समर्थन में जनचेतना  रैली निकालने का ऐलान किया है। संतों ने बृजभूषण को सही बताया है। वहीं दूसरी ओर पहलवानों के समर्थन में भारतीय क्रिकेट खिलाड़ी भी मैदान में उतर आए हैं। इनमें विश्वकप की विजेता टीम के पूर्व क्रिकेटर कपिल, सुनील गावस्कर, वैन्नी शामिल हैं। इन क्रिकेटर्स ने पहलवानों के साथ हो रहे व्यवहार को दुखद बताया है। वहीं अब बृजभूषण सिंह पर पहलवानों की ओर से दो नई FIR पुलिस ने दर्ज की हैं। इन FIR से बृजभूषण सिंह को सजा हो सकती है।

बृजभूषण सिंह पर दर्ज हुई दो नई FIR

वहीं, अब इंडियन एक्सप्रेस ने अपनी खबर में कुछ ऐसे तथ्य दिखाएं हैं, जिससे बृजभूषण शरण सिंह पर लगाए जा रहें सभी आरोप सही साबित हो सकते हैं। खबर के मुताबिक, बृजभूषण शरण सिंह के खिलाफ दो नई एफआईआर दर्ज हुई है। दर्ज दोनों एफआईआर में आईपीसी की धारा 354 (महिला की लज्जा भंग करने के इरादे से उस पर हमला या आपराधिक बल प्रयोग), 354ए (यौन उत्पीड़न), 354डी (पीछा करना) और 34 (सामान्य इरादे) के अंतर्गत दर्ज़ हैं। जबकि धारा 353ए में  एक से तीन साल की जेल की सजा है।

बृजभूषण सिंह पर दर्ज हुई कुल 6 FIR

बृजभूषण शरण सिंह पर दर्ज इन एफआईआर में बताया गया है कि बृजभूषण ने नाबालिग को कस कर पकड़ लिया, तस्वीर खिंचवाने का नाटक किया, कंधे पर हाथ से जोर से दबाया और फिर नाबालिग के शरीर को ग़लत इरादे से छुआ। यहीं नहीं शिकायत में पीड़िता ने बताया कि बृजभूषण ने उसके मना करने के बावजूद उसका पीछा भी किया। बृजभूषण सिंह के खिलाफ पहले और अब दो एफआईआर मिलाकर कुल 6 एफआईआर हो चुकी हैं।

2012 से 2022 के बीच की हैं ये सभी FIR

बता दें, पहली एफआईआर में 6 वयस्क पहलवानों के आरोप शामिल हैं। इसमें डब्‍ल्‍यूएफआई (WFI) के  सचिव विनोद तोमर का नाम भी दर्ज है। जबकि दूसरी एफआईआर एक नाबालिग के पिता की शिकायत पर आधारित है। इसमें POCSO अधिनियम की धारा 10 को भी लागू किया गया है। जिससे बृजभूषण सिंह को पांच से सात साल की कैद हो सकती है। यौन उत्पीड़न की शिकायतों में जिन घटनाओं की बाते कही गई हैं वो 2012 से 2022 के बीच की हैं। खबर के मुताबिक, बृजभूषण सिंह द्वारा ये यौन उत्पीड़न भारत और विदेश दोनों में किया गया है।

अब आईए बृजभूषण सिंह पर दर्ज इन एफआईआर के बारे में विस्तार से जानते हैं।

  1. पहली शिकायत

होटल के रेस्तरां में रात के खाने के दौरान मुझे अपनी मेज पर बुलाया, मुझे टच किया, छाती से पेट तक छुआ। रेसलिंग फेडरेशन के ऑफिस में बिना मेरी इजाजत के मेरे कुटनो मेरे भाई कंधों और हथेली को छुआ गया। अपने पैर से मेरे पैर को भी टच किया गया। मेरी सांसों के पैटर्न को समझने के बहाने से छाती से पेट तक टच किया गया।

    2. दूसरी शिकायत

जब मैं चटाई पर लेटी हुई थी, आरोपी (सिंह) मेरे पास आया, मेरे कोच उस वक्त नहीं थे, मेरी अनुमति के बिना मेरी टी-शर्ट खींची, अपना हाथ मेरे ऊपर रख दिया छाती पर और मेरी श्वास की जांच के बहाने इसे मेरे पेट के नीचे सरका दिया। फेडरेशन के ऑफिस में मैं अपने भाई के साथ थी, मुझे बुलाया और भाई को रुकने को कहा गया, फिर कमरे में अपनी तरफ जबरदस्ती खींचा।

   3. तीसरी शिकायत

माता-पिता से बात करने के लिए कहा- मुझे गले लगाया, मुझे रिश्वत देने की बात कही।

   4. चौथी शिकायत

सांस की जांच करने के बहाने नाभि पर हाथ रख दिया।

  5. पांचवीं शिकायत

मैं लाइन में सबसे पीछे थी, तभी गलत तरीके से छुआ, मैंने जब दूर जाने की कोशिश की तो कंधे को पकड़ लिया।

  6. छठी शिकायत

तस्वीर के बहाने कंधे पर हाथ रखा, मैंने विरोध किया।

बृजभूषण सिंह ने पॉक्सो एक्ट को सुधारने की मांग की

अपने ऊपर लग रहें आरोपों को  लेकर खुद बृजभूषण शरण सिंह ने बेबुनियाद और झूठा बताया है। इसके साथ ही बृजभूषण ने एक पोस्ट के जरिए क़ानून को संशोधित करने की मांग भी की है।

इस पोस्ट में बृजभूषण सिंह ने ये मांगें की है…

  1. नाबालिगों को यौन शोषण से बचाने के लिए बड़े पवित्र उद्देश्य से लाया गया क़ानून पॉक्सो एक्ट आज समाज में चरित्र हनन और राजनीतिक षड्यंत्रोंं का उपकरण बनकर रह गया है. पॉक्सो समाज में कैंसर का रूप ले चुका है।
  2. छेड़ने, घूरने या स्पर्श करने जैसे आरोप, जिनकी प्रामाणिकता स्वयं ही संदिग्ध रहती है, ऐसे मामलों में आरोप के आधार की जांच बिना किए व्यक्ति को अपराधी मानकर दंड देना न्यायोचित नहीं समझा जा सकता।
  3. अभियुक्त को आरोप मात्र से अपराधी मानकर, (चाहे उसकी सच्चाई कुछ भी न हो…) उसकी स्वतंत्रता, उसका सम्मान और उसका पक्ष रखने का अधिकार छीन लेने को न्यायपूर्ण नहीं कहा सकता
  4. बृजभूषण ने सोशल मीडिया पर लिखा, “पॉक्सो क़ानून में परिभाषित स्थितियां विचारणीय हैं, इसलिए तत्काल प्रभाव से पॉक्सो क़ानून को संशोधित करने की ज़रूरत है। इसके साथ ही आरोप झूठा पाए जाने या अदालत में आरोप साबित न होने पर ग़लत आरोप लगाने वाले के लिए कड़ी सजा के सम्बन्ध में क़ानून बनाने की आवश्यकता है. साथ ही अभियुक्त को सुनवाई के दौरान अनुचित प्रताड़ना से बचाने पर गंभीर निर्णय लिए जाने की आवश्यकता है।”

 

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