बुंदेलखंड के सूखे पर मप्र और उप्र सरकारों को नोटिस

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भोपाल। सूखा और भुखमरी की मार झेल रहे बुंदेलखंड की बदहाली पर राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने मध्यप्रदेश और उत्तर प्रदेश के मुख्य सचिवों को नोटिस जारी कर चार सप्ताह में जवाब मांगा है। पिछले दिनों मीडिया में बुंदेलखंड की दुर्दशा को लेकर प्रकाशित हुई रिपोर्ट पर स्वत : संज्ञान लेते हुए राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने नोटिस जारी किया। नोटिस में कहा गया है कि बुंदेलखंड क्षेत्र मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश में फैला हुआ है। यहां गरीब परिवारों के सामने रोटी का संकट है।

मीडिया रिपोर्टो के आधार पर आयोग ने पाया कि बुंदेलखंड के गरीब परिवार दुर्दशा के शिकार हैं, उनके जीने के अधिकार का हनन हो रहा है, इसी आधार पर दोनों सरकारों के मुख्य सचिवों को शुक्रवार को नोटिस जारी किए गए हैं।

रिपोर्टो में कहा गया है कि बुंदेलखंड में भुखमरी का आलम यह है कि यहां के परिवार नमक या टमाटर के साथ रोटी खाने को मजबूर हो रहे हैं। अल्पवर्षा के कारण फसल पूरी तरह चौपट हो गई है। यहां सिंचाई के कोई साधन नहीं है और खेती पूरी तरह वर्षा पर निर्भर करती है।

इतना ही नहीं, विद्यालयों में मध्याह्न् भोजन योजना गड़बड़ाई हुई है और मनरेगा के काम ठप पड़े हैं। यहां की अधिकांश आबादी अनुसूचित जनजाति वर्ग से है और वह जमीन का मालिक नहीं है।

आयोग ने अपने नोटिस में कहा है कि दिसंबर 2015 में इस क्षेत्र में भुखमरी के चलते घास की रोटी खाने की खबरें भी सामने आई थीं।

ज्ञात हो कि बुंदेलखंड मध्यप्रदेश और उत्तर प्रदेश में फैला हुआ है। मध्यप्रदेश के छह जिले छतरपुर, सागर, दमोह, टीकमगढ़, पन्ना व दतिया और उत्तर प्रदेश के सात जिले झांसी, ललितपुर, जालौन, हमीरपुर, बांदा, महोबा और चित्रकूट आते हैं।

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