गेम जो बच्चों को मौत की ओर ले जाता है

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मुंबई के अंधेरी में 14 साल के एक बच्चे ने अपनी सोसायटी से कूदकर आत्महत्या कर ली। खबर छोटी सी है पर हमें सोचने को मजबूर करती है क्योंकि इस आत्महत्या के पीछे ‘ब्लू व्हेल गेम’ को वजह बताया जा रहा है। बताया यह भी जा रहा है कि यह खेल दुनिया भर में 250 के करीब बच्चों की जान ले चुका है। सोचने की बात यह है कि 9वीं कक्षा में पढ़ने वाले उस बच्चे ने खुदकुशी से पहले अपने इरादे के बारे में दोस्तों को सोशल साइट पर बताया भी था। बच्चे ने अपने दोस्तों को ये भी बताया था, ‘एक अंकल मुझे हटने के लिए बोल रहे हैं। जैसे ही वे हटेंगे, मैं कूद जाऊंगा।’ और हुआ भी यही। इस खूनी ब्लू व्हेल खेल की शुरूआत रूस से हुई है। मोबाइल फोन और लैपटॉप के जरिए खेले जाने वाले इस खेल में 50 दिन अलग-अलग टास्क मिलते हैं। रोज टास्क पूरा होने के बाद अपने हाथ पर निशान बनाना पड़ता है जो 50 दिन में पूरा होकर व्हेल का आकार बन जाता है और टास्क पूरा करने वाले को खुदकुशी करनी पड़ती है।
मुंबई में एक नाबालिग बच्चे की खुदकुशी से भारत मे भी इसके पैर पसारने की आशंका बढ़ गई है। इस खूनी खेल की वजह से दुनिया मे करीब 250 बच्चों की जान जा चुकी है जिसमें 130 बच्चे सिर्फ रूस के हैं। अगर जांच में ये सही पाया गया तो भारत में इस खूनी खेल की वजह से होनी वाली मौत का पहला मामला होगा। ऐसे में जरूरत है इंटरनेट, मोबाइल पर दिन भर लगे रहने वाले अपने बच्चों की आदतों और व्यवहार पर नजर रखने की।
रूस, अमेरिका और यूरोप में पुलिस ने इस ‘सुसाइड गेम’ को लेकर वार्निंग जारी की है। अभिभावकों को बच्चों पर नजर रखने की नसीहत दी जा रही है।
कहना न होगा कि ‘ब्लू व्हेल चैलेंज’ गेम ने भारत में पैर पसारने शुरू कर दिए हैं। गेम ने जिस बच्चे की जान ली है उसका नाम मनप्रीत था। मनप्रीत मुंबई के अंधेरी ईस्ट में रहता था और नौवीं कक्षा का छात्र था। छठी मंजिल की बिल्डिंग से कूदने से पहले मनप्रीत ने एक तस्वीर ली थी। इसमें उसके पैर दिखाई दे रहे हैं और कैप्शन लिखा है- ‘जल्द ही आपके साथ मेरी यह तस्वीर रह जाएगी’।
यह गेम किशोरों को चैलेंज पूरा करने के लिए उकसाता है। गेम खेलने वाले को टास्क की सीरीज पूरी करनी होती है। अंत में जो मौत को गले लगाता है उसकी जीत होती है। इस सुसाइड गेम के कई नाम हैं। इनमें ‘अ साइलेंट हाउस’, ‘अ सी आॅफ व्हेल्स’ और ‘वेक अप मी एट 4.20 एम’ शामिल है।
इस गेम के क्यूरेटर व एडमिन, प्लेयर को डेथ व सुसाइड ग्रुप्स के जरिए खोजते हैं। हाल ही के सालों में रूसी पुलिस ने ऐसे कई ग्रुप्स को बंद कराया है। लेकिन जैसे ही पुलिस एक ग्रुप को बंद कराती है, एडमिन दूसरा ग्रुप बना लेते हैं।

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प्लेयर को गाने सुनने, हॉरर फिल्म देखने, आधी रात को उठने, ब्लेड से स्किन पर व्हेल की आकृति बनाने या फिर कुछ लिखने समेत कई खतरनाक टास्क दिए जाते हैं। पहला चैलेंज सुबह 4.29 बजे से शुरू होता है। गेम में प्लेयर जानबूझकर खुद को क्षति पहुंचाए, इसके लिए एक से बढ़कर एक खतरनाक टास्क दिए जाते हैं। मना करने पर किशोरों को बरगलाया जाता है और उनकी गोपनीय सूचनाएं सार्वजनिक करने तक की धमकी दी जाती है।
इस सुसाइड गेम में प्लेयर को एडमिन के पास हर स्टेज कम्पलीट करने के बाद प्रूफ के तौर पर तस्वीर और वीडियो भेजनी होती है।
ब्लू चैलेंज गेम को फिलिप बुदेइकिन ने बनाया है। उन्हें इसके लिए पिछले महीने तीन साल की जेल हुई है। फिलिप रूस के रहने वाले हैं। उनकी उम्र 22 साल है।

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