मप्र : दिग्विजय के पैर पड़े थे भाजपा प्रदेशाध्यक्ष

0

संसार में राजनीति (Politics) ऐसा खेल है, जिसे समझना आसान नहीं है। इसके खिलाड़ी कब कौन-सी चाल चल दें, उसका कोई अनुमान नहीं लगा सकता। जब विपक्ष में होते हैं तो तेवर और मिजाज में आक्रामकता उनकी पहचान होती है और सत्ता में आते ही अंदाज बदल जाते हैं।

विस्थापितों को मुआवजा दिलाने की मांग को लेकर संघर्ष

अब भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की मध्य प्रदेश इकाई के अध्यक्ष नंद कुमार सिंह चौहान को लीजिए। जब विपक्ष में थे तब विस्थापितों को मुआवजा दिलाने की मांग को लेकर संघर्ष करते थे और मांग पूरी होने पर तत्कालीन मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह के पैर तक सार्वजनिक तौर पर पड़े थे, और आज अब सत्ता में हैं तो सरदार सरोवर बांध के विस्थापितों के मुद्दे पर चर्चा तक को तैयार नहीं हैं।

जानकारों के अनुसार, वर्ष 2002 में इंदिरा सागर परियोजना के चलते खंडवा संसदीय क्षेत्र के कई गांव और परिवार प्रभावित हो रहे थे। इसके आंदोलन की कमान खंडवा से तत्कालीन सांसद नंद कुमार सिंह चौहान ने संभाली और प्रभावितों को दिए जा रहे मुआवजे की राशि बढ़ाने की मांग की।

Also read : अखिलेश को लगा एक और झटका, एमएलसी सरोजनी ने दिया इस्तीफा

उन्होंने घोषणा कर दी थी कि कांग्रेस सरकार उनकी मांग मान लेती है तो वह सार्वजनिक तौर पर तत्कालीन मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह के पैर पड़ेंगे।

सार्वजनिक तौर पर दिग्विजय सिंह के पैर पड़े चौहान

विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष अजय सिंह ने मीडिया से कहा, “तत्कालीन मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने चौहान की मांग मान ली और मुआवजा राशि बढ़ाकर प्रभावितों को दी। उसके बाद चौहान ने सार्वजनिक तौर पर दिग्विजय सिंह के पैर पड़े थे। कांग्रेस हमेशा सत्ता में रहने के दौरान गरीब, किसान और जरूरत मंदों के हित में फैसले लेती रही है। अगर सरकार से फैसले लेने में कोई चूक हुई तो उसे सुधारने में भी हिचक नहीं दिखाई।”

चौहान भी इस बात को स्वीकार कर चुके हैं, “दिग्विजय सिंह ने उनके क्षेत्र (खंडवा) को मुआवजा ज्यादा दिया था, मैने मांग की थी कि अगर वे मुआवजा ज्यादा देंगे तो वे उनके सार्वजनिक तौर पर पैर पड़ेंगे, बाद में ऐसा किया भी।”

लेकिन वर्तमान में राज्य और केंद्र की सरकार अपनी मनमर्जी के आगे किसी की सुनने को तैयार नहीं है। सरदार सरोवर बांध का जलस्तर बढ़ने से हजारों परिवारों की जिंदगी दांव पर है।

Also read : अक्षय कुमार के साथ मिलकर सीएम योगी ने किया स्वच्छता का शंखनाद

वहीं, दूसरी ओर सरदार सरोवर बांध प्रभावितों के संपूर्ण पुनर्वास को लेकर चल रहे आंदोलन की ओर से सरकार आंखें मूंदे हुए है। नर्मदा बचाओ आंदोलन की मेधा पाटकर और 11 लोग उपवास पर है, तबीयत बिगड़ रही है, लेकिन सरकार का कोई भी नुमाइंदा अब तक उनसे बातचीत को नहीं पहुंचा। उनकी सिर्फ एक बड़ी मांग है कि संपूर्ण पुनर्वास के बाद ही जलस्तर बढ़ाया जाए।

भाजपा के सत्ता में आने के बाद काम में तेजी

भाजपा की प्रदेश इकाई के मुख्य प्रवक्ता दीपक विजयवर्गीय का कहना है, “सरदार सरोवर का काम पिछले 35 वर्षो से चल रहा है। भाजपा के सत्ता में आने के बाद काम ने गति पकड़ी, लगभग 70 फीसदी काम भाजपा के शासनकाल में हुआ। एक बड़ी परियोजना है, लाखों एकड़ क्षेत्र में सिंचाई होगी, इसके चलते कुछ लोगों को विस्थापित होना पड़ेगा। सरकार ने उन्हें मुआवजा देने के साथ ही उनके जीवनयापन के वैकल्पिक इंतजाम किए हैं। आवास भी बनाकर दिए हैं। जहां तक विरोध की बात है तो मेधा पाटकर जैसे लोग विदेशी चंदा लेकर परियोजनाओं में खलल डालते हैं।”

मार्क्‍सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) के राज्य सचिव बादल सरोज का कहना है कि “मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को रिलायंस, उद्योगपतियों और गुजरात के वोटों की इतनी चिंता है कि वे प्रभावितों से संवाद तक करने से डर रहे हैं। सर्वोच्च न्यायालय में सुनवाई पूरी होने तक विस्थापन को रोक कर पूर्ण पुनर्वास में महज कुछ माह ही लगेंगे। अगर ऐसा कर दिया जाए तो पृथ्वी अपनी धुरी से घूमना बंद नहीं कर देगी।”

मेधा पाटकर की हालत नाजुक

उन्होंने आगे कहा, “मेधा पाटकर की हालत नाजुक है, लेकिन सरकार बेखबर है, क्योंकि उसे लगता है कि मेधा के शहीद होने पर भी उनके वोटों की खरीद-फरोख्त पर कोई असर नहीं पड़ेगा। मगर यह भी याद रखना चाहिए कि यह संघर्ष मनुष्यता का मनुष्यता के लिए है।”

सरदार सरोवर बांध की उंचाई बढ़ाकर 138 मीटर की जा रही है, बांध के सभी दरवाजे बंद होने पर मध्य प्रदेश के 192 गांव के 40 हजार से अधिक परिवार डूब की जद में आ जाएंगे। इस परियोजना से लाभ गुजरात को और नुकसान मध्य प्रदेश को होना है। सरकार द्वारा विस्थापितों के पुनर्वास में रुचि न लेना, कागजी खानापूर्ति करना, अफसर व मंत्रियों की बयानबाजी इस बात की ओर इशारा कर रही है कि उसे किसी की परवाह नहीं है।

(अन्य खबरों के लिए हमें फेसबुक पर ज्वॉइन करें। आप हमें ट्विटर पर भी फॉलो कर सकते हैं।)

Leave A Reply

This website uses cookies to improve your experience. We'll assume you're ok with this, but you can opt-out if you wish. Accept Read More