विधायक जनता के बीच जाएंगे, ‘जन विधानसभा’ लगाएंगे : कांग्रेस

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छत्तीसगढ़ में विधानसभा का मानसून सत्र (session) ढाई दिन बाद अनिश्चितकाल के लिए स्थगित कर दिए जाने से कांग्रेस विधायकों में नाराजगी है। विपक्षी दल ने जनता के बीच जाकर ‘जन विधानसभा’ लगाने और दिल्ली में प्रदर्शन करने की चेतावनी दी है।

प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष भूपेश बघेल और नेता प्रतिपक्ष टी.एस. सिंहदेव ने यहां शुक्रवार को संयुक्त पत्रकारवार्ता में कहा, “सत्र 1 से 11 अगस्त तक चलना था, लेकिन ढाई दिन ही चलाया गया। यदि सत्र फिर से नहीं बुलाया जाता है, तो कांग्रेस के सभी विधायक जनता के बीच जाएंगे, वहीं ‘जन विधानसभा’ लगाएंगे और देश की राजधानी में जाकर प्रदर्शन करेंगे, ताकि देश रमन सिंह सरकार की हकीकत जान सके।”

विधानसभा में गतिरोध भी लोकतंत्र का हिस्सा

नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि विधानसभा में गतिरोध भी लोकतंत्र का हिस्सा है। सत्र जारी रहना चाहिए, रमन सरकार को ज्वलंत मुद्दों पर चर्चा से भागना नहीं चाहिए।

सिंहदेव ने कहा, “हमने प्रदेश में 24 किसानों की आत्महत्या पर सारे काम रोककर चर्चा कराने की मांग की थी। हमारी मांग पर सरकार झुकी और चर्चा कराई गई, शाम तक चर्चा हुई। दूसरे दिन भी विधानसभा चली। तीसरे दिन सुबह विधानसभा की कार्यवाही शुरू हुई, उसके बाद जो हुआ वो लोकतंत्र में पहली घटना है। अनूपूरक बजट बिना चर्चा के पास करा दिया गया। उसके बाद सत्र अनिश्चितकाल के लिए स्थगित कर दिया गया।”

उन्होंने आगे कहा, “कांग्रेस विधायक दल की बैठक के बाद हम राज्यपाल से मिले और उन्हें ज्ञापन सौंपकर विधानसभा सत्र फिर शुरू करवाने की मांग की। हम जनता की बात विधानसभा में रखना चाहते हैं, लेकिन सरकार सुनना नहीं चाहती। राज्यपाल ने गंभीरता से हमारी बात सुनी है और रिपोर्ट मंगाने की बात कही है। इसके बाद राज्यपाल क्या एक्शन लेते हैं उस पर हमारी आगे की रणनीति बनेगी। हम दिल्ली में भी प्रदर्शन करेंगे।”

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विधायकों की मौजूदगी में जन विधानसभा

नेता प्रतिपत्र ने कहा, “डकैती डालने वाला कहे कि मैंने डकैती नहीं डाली, यह अपरिपक्व प्रयास है। हमें विश्वास में नहीं लिया जाता। मेरा मानना है कि यह दबाव की राजनीति है। अब हम जनता के बीच जाएंगे, जन विधानसभा करेंगे। हर जिले में विधायकों की मौजूदगी में जन विधानसभा लगाई जाएगी।

रायपुर (ग्रामीण) के विधायक सत्यनारायण शर्मा ने कहा कि सत्र नहीं चलाना लोकतंत्र पर प्रहार है। चक्रव्यूह रचकर विधानसभा का बचा समय भी खत्म करा दिया गया। कोई ऐसी परिस्थिति नहीं थी कि सत्र चलाना मुश्किल हो रहा था।

उन्होंने कहा, “हम किसानों की मौत से दुखी थे, इसलिए इस मुद्दे को जोर शोर से उठाया। विधानसभा में तात्कालिक लोकमहत्व के विषय पर चर्चा कराई जाती है। सरकार को चर्चा कराने का आश्वासन देना था। प्रदेश के किसान आत्महत्या कर रहे हैं और सरकार मूकदर्शक बनी हुई है।

दूसरे दिन हमें निलंबित किया गया, फिर बुला लिया गया और थोड़ी देर चर्चा चली। तीसरे दिन माहौल सामान्य था, फिर भी विधानसभा का सत्र स्थगित कर दिया गया। यह सच्चाइयों पर पर्दा डालने का अपरिपक्व प्रयास है।”

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