जेएनयू बवाल: वापस हुआ फीस बढ़ाने का फैसला
जेएनयू में बवाल के बाद फीस बढ़ाने का फैसला वापस ले लिया गया है।
हॉस्टल फीस में वृद्धि के खिलाफ जेएनयू स्टूडेंट्स के विरोध-प्रदर्शनों के बाद आखिरकार प्रशासन ने इस फैसले को वापस ले लिया।
शिक्षा सचिव आर. सुब्रमण्यन ने बुधवार को ट्वीट कर बताया कि एग्जिक्यूटिव कमिटी ने हॉस्टल फीस में वृद्धि और अन्य नियमों से जुड़े फैसले को वापस ले लिया है।
उन्होंने स्टूडेंट्स से अपील की है कि प्रदर्शन खत्म कर वापस क्लास का रुख करें।
वित्तीय सहायता उपलब्ध कराने का प्रस्ताव भी
शिक्षा सचिव ने बताया कि एग्जिक्यूटिव कमिटी की बैठक में आर्थिक रूप से पिछड़े वर्ग के स्टूडेंट्स को वित्तीय सहायता उपलब्ध कराने से संबंधित योजना का प्रस्ताव भी पेश किया गया।
बैठक परिसर से बाहर बुलाई
छात्रों प्रदर्शनों से बाधा की आशंका को देखते हुए यूनिवर्सिटी प्रशासन ने एग्जिक्यूटिव काउंसिल की बैठक परिसर से बाहर बुलाई थी।
एग्जिक्यूटिव काउंसिल जेएनयू की सबसे बड़ी डिसिजन मेकिंग इकाई है।
उधर, जेएनयू के टीचर्स असोसिएशन का आरोप है कि एग्जिक्यूटिव काउंसिल की मीटिंग का स्थान बदलने की जानकारी उन्हें नहीं दी गई।
जबकि आईटीओ के पास असोसिएशन ऑफ इंडियन यूनिवर्सिटीज में आयोजित की गई थी।
शिक्षकों की पदोन्नति भी मुद्दा
जेएनयूटीए अध्यक्ष डी. के. लोबियाल ने कहा कहा, ‘हमारे कई मुद्दे हैं।
हॉस्टल मैनुअल के अलावा, शिक्षकों की पदोन्नति भी मुद्दा है।
इसलिए हमारी बात भी उठनी चाहिए।
पिछले तीन-चार सालों से यहां तक कि अकैडमिक काउंसिल मीटिंग या तो टाल दी जाती है।
या फिर दूसरे स्थान पर की जा रही है।
हम इसकी निंदा करते हैं और वीसी को इस तरह से यूनिवर्सिटी नहीं चलानी चाहिए।’
स्टूडेंट्स ने प्रदर्शन किया था
उल्लेखनीय है कि स्टूडेंट्स ने सोमवार को एआईसीटीए बिल्डिंग के बाहर प्रदर्शन किया था।
जहां जेएनयू का दीक्षांत समारोह चल रहा था।
उनके प्रदर्शन के कारण मानव संसाधन विकास मंत्री रमेश पोखरियाल निशंक 6 घंटे अंदर ही फंसे रह गए।
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