फिक्सिंग रोकने के लिए मुम्बई पुलिस की भी सेवाएं लेगा BCCI

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मुम्बई। इंडियन प्रीमियर लीग (आईपीएल) के कमिश्नर राजीव शुक्ला ने कहा है कि साल 2013 में आईपीएल की स्पॉट फिक्सिंग और सट्टेबाजी से जुड़े मामले से सबक लेते हुए भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (बीसीसीआई) इस प्रतिष्ठित लीग को फिक्सिंग से जुड़े किसी भी प्रकार के आरोपों से मुक्त रखने के लिए इस बार मुम्बई पुलिस की भी सेवाएं लेने का मन बना चुकी है।

शुक्ला ने कहा कि नौ अप्रैल से शुरू हो रहे आईपीएल के नौवें संस्करण के लिए आईसीसी की भ्रष्टाचार निरोधी इकाई और बीसीसीआई की भ्रष्टाचार निरोधी इकाई के अलावा मुम्बई पुलिस भी फिक्सिंग से जुड़े मामलों पर नजर रखेगी। बीसीसीआई अध्यक्ष शशांक मनोहर ने इस सम्बंध में महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फणनवीस को पत्र लिखकर मुम्बई पुलिस की सेवाएं मांगी हैं।

शुक्ला ने कहा कि हम फिक्सिंग को लेकर काफी गम्भीर है। हम इस लीग को साफ-सुथरा बनाए रखने के लिए लगातार प्रयास कर रहे हैं। 2013 की घटना से सबक लेते हुए इस साल आईसीसी की भ्रष्टाचार निरोधी इकाई और बीसीसीआई की भ्रष्टाचार निरोधी इकाई के अलावा मुम्बई पुलिस भी फिक्सिंग से जुड़े मामलों पर नजर रखेगी। बीसीसीआई अध्यक्ष ने इस सम्बंध में महाराष्ट्र सरकार से मुम्बई पुलिस की सेवाएं मांगी हैं।

शुक्ला ने यह भी कहा कि बीसीसीआई हमेशा से फिक्सिंग को लेकर सख्त रही है। बकौल शुक्ला कि बीसीसीआई ने फिक्सिंग से जुड़े मामलों को हमेशा सख्ती से लिया है। जिन भी खिलाड़ियों पर आरोप लगे हैं, बीसीसीआई ने उन्हें बैन किया है और अब तक किसी भी खिलाड़ी का बैन वापस नहीं लिया गया है। दूसरे बोर्ड इस सम्बंध में नरम रहे हैं लेकिन बीसीसीआई ने अपना रुख कभी नरम नहीं किया है। हमने 2003-2004 से जुड़े मामले में भी अब तक खिलाड़ियों को माफ नहीं किया है। हम सख्त रहे हैं तथा और भी सख्त कदम उठा सकते हैं।

बीते कुछ समय में आईपीएल की साख कम हुई है। इसी सिलसिले में पेप्सीको ने अपना करार बीच में ही खत्म कर दिया और इसके बाद बीसीसीआई को नया टाइटिल स्पांसर खोजना पड़ा। अब उसे वीवो इंडिया के रूप में नया टाइटिल स्पांसर मिला है। ऐसे में बोर्ड लीग की साख बनाए रखने के लिए और क्या कदम उठा रहा है?

इस सवाल के जवाब में शुक्ला ने कहा कि रुझान कम नहीं हुआ है। लगातार रुझान बढ़ा है। हमने जो सर्वे कराया है, उसके मुताबिक भारत में जितने भी खेल होते हैं, उन्हें देखने वाले कुल लोगों की संख्या का 92 फीसदी क्रिकेट देखने वालों की है। इस हिसाब से रुझान बढ़ रहा है। इसे बनाए रखने के लिए हमने काफी कुछ किया है और अभी भी काफी कुछ किया जाना बाकी है।

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