गुदड़ी के इस लाल ने किया देश का नाम रौशन
गुदड़ी के इस लाल ने अपनी मेहनत और जूनुन के बल पर अपने देश का नाम रौशन कर दिया है। हम बात कर रहे है जीशान अंसारी की जिसने अपनी गरीबी को अपने करियर पर हावी नहीं होने दिया और जी जान से मेहनत करके रणजी मैच में विरोधी टीम के छक्के छुड़ा दिये।जीशान के पिता पेशे के दर्जी है और लोगो के कपड़े सिलकर घर का गुजारा करते है।
सपने को पूरा करने में कोई कसर नहीं छोड़ी
हाल ही में इकाना इंटरनैशनल क्रिकेट स्टेडियम में हुए अपने पहले रणजी मैच में लखनऊ के लेग स्पिनर जीशान अंसारी ने रेलवे टीम के 6 बल्लेबाजों को पवेलियन की राह दिखाई। जीशान की इस क्रिकेट यात्रा में पिता नईम के त्याग को नहीं भुलाया जा सकता। आईटी चौराहे पर टेलरिंग शॉप चला रहे नईम ने बेटे के सपने को पूरा करने में कोई कसर नहीं छोड़ी।
बेटा सफल क्रिकेटर बन गया तो वही…
बकौल नईम, जब बेटे ने रणजी कैप पहनी तो लगा मेरी जिंदगी की सारी तपस्या आज पूरी हो गई। जीशान के पिता नईम कहते हैं कि आज जब बेटा सफल क्रिकेटर बन गया तो वही लोग कहते हैं, हमें पता था, जीशान एक दिन देश का नाम रोशन करेगा। कोच गोपाल सिंह के मुताबिक, जब जीशान मेरे पास आया, महज आठ साल का था। पहली बार मैंने उसे गेंदबाजी करते देखा तो लगा कि उसके अंदर गेंद घुमाने की कला शानदार है। मैंने उसके इस हुनर पर काम किया।
क्रिकेट में कुछ नहीं रखा है…
उसकी मेहनत का ही नतीजा है कि आज वह एक उम्दा फिरकी गेंदबाज बनकर उभरा है। गोपाल सिंह का कहना है कि अब वह दिन दूर नहीं, जब जीशान टीम इंडिया का हिस्सा होगा। जीशान के चाचा ग्यास बताते हैं कि अलीगंज के एलडीए स्टेडियम में उसका दाखिला करवाने पर रिश्तेदारों और पड़ोसियों ने तंज कसते हुए कहा कि क्रिकेट में कुछ नहीं रखा है।
जल्द ही भारतीय क्रिकेट टीम का हिस्सा होगा
कपड़े सिलने के काम में लगाओ। बेटे को जीशान की क्रिकेट ट्रेनिंग के लिए नईम को बरसों जी-तोड़ मेहनत करनी पड़ी। लोगों के ताने सुनने पड़े मगर बेटे के सपने की खातिर उसकी हर जरूरत पूरी करते रहे। यहां तक कि नईम की बहन गुड़िया भी जीशान की क्रिकेट किट के लिए पैसे बचातीं। नईम को यकीन है कि उनका बेटा जल्द ही भारतीय क्रिकेट टीम का हिस्सा होगा।
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