युवा देश के नव निर्माण में भागीदार बनें- कुलपति

सम्पूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय में मनाई गई स्वामी विवेकानंद की जयंती

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स्वामी विवेकानंद कहते थे कि ’उठो, जागो और तब तक नहीं रुको जब तक लक्ष्य प्राप्त नहीं कर लेते. आज युवा दिवस के मौके पर हम सभी न सिर्फ उन्हें याद कर श्रद्धांजिल दें बल्कि उनके दिए ज्ञान व उनके चरित्र को अपने जीवन में भी उतारें. उनके जीवन मूल्यों से प्रेरणा लेकर युवा देश के नव निर्माण में भागीदार बनें.

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यह विचार सम्पूर्णानन्द संस्कृत विश्वविद्यालय में शुक्रवार को स्वामी विवेकानंद जयंती के अवसर पर आयोजित ‘राष्ट्रीय युवा महोत्सव‘ के उद्घाटन के मौके पर बतौर मुख्य अतिथि कुलपति प्रो. बिहारी लाल शर्मा ने व्यक्त किये. उन्होंने कहाकि स्वामी विवेकानंद निर्भीक भाव से बंधनों से पूरी तरह मुक्त थे. वह कहते थे कि मेरे बच्चों, हमें चाहिए लोहे जैसी मांसपेशियां और फौलाद जैसा स्नायु. उसमें वज्र जैसा मन निवास करे.

अध्यात्मवाद से दुनिया को परिचित कराया

समारोह में अध्यक्ष पद से राष्ट्रीय सेवा योजना के समन्वयक प्रो. दिनेश कुमार गर्ग ने कहा कि स्वामी विवेकानंद महान चिंतक, दार्शनिक, युवा संन्यासी, प्रेरणास्रोत और आदर्श व्यक्तित्व के धनी थे. उन्होंने ही वेदांत और भारतीय दर्शन का प्रचार-प्रसार उस समय किया जब पश्चिमी देशों की नजर में भारत पिछड़े देश के रूप में जाना जाता था. उन्होंने भारत के अध्यात्मवाद से दुनिया को परिचित कराया और भारत का मस्तक विदेशों में ऊंचा किया. पश्चिमी देशों को वेदांत व भारतीय दर्शन के बारे में बताने के लिए उन्होंने अमेरिका की धर्म संसद में भाग लिया. साल 1893 में शिकागो की धर्मसभा में उनके भाषण ने दुनिया को हिलाकर रख दिया.

अमेरिका के भाईयों और बहनों के संबोधन से शुरू किया भाषण

स्वामी विवेकानंद ने अपना भाषण ’अमेरिका के भाईयों और बहनों’ के संबोधन से शुरू किया तो पूरे दो मिनट तक सदन तालियों की आवाज से गूंजता रहा. उस दिन से भारत और भारतीय संस्कृति को दुनियाभर में पहचान मिली. सिर्फ 30 साल के विवेकानंद ने हिंदुत्व के नजरिए से दुनिया को भाईचारे का पाठ पढ़ाया था. इस युवा संन्यासी के धर्म संसद में दिए गए भाषण से पूरी दुनिया मंत्रमुग्ध हो गई थी. उन्होंने कहाकि स्वामी विवेकानंद के विचारों, उनकी दी शिक्षाओं से करोड़ों युवा प्रेरित होते हैं. स्वामी विवेकानंद की बातें युवाओं में जोश भरने का काम करती हैं. विवेकानंद के ओजपूर्ण विचारों ने सुप्त लोगों को जागृत किया. उनकी युवावस्था देश के हर युवा के लिए एक बेहतरीन मिसाल है. इस मौके पर राष्ट्रीय सेवा योजना की विश्वविद्यालय इकाई के सभी कार्यक्रम अधिकारियों ने युवा महोत्सव के तहत साप्ताहिक कार्यक्रम का संकल्प लिया. कार्यक्रम का प्रारम्भ वैदिक और पौराणिक मंगलाचरण से हुआ. इसके बाद अतिथियों ने मां सरस्वती व स्वामी विवेकानंद के चित्र पर माल्यार्पण कर श्रद्धासुमन अर्पित किया. स्वागत भाषण और संचालन प्रो. विद्या कुमारी चंद्रा ने और .धन्यवाद ज्ञापन डॉ. विजेंद्र कुमार आर्य ने किया. कार्यक्रम में डॉ. कुंज बिहारी द्विवेदी, डॉ. विजेंद्र कुमार आर्य,राष्ट्रीय स्वंय सेवक और विद्यार्थियों ने भाग लिया.

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