यहां सिर्फ 10 रुपये में बिक जाती हैं लड़कियां !
हिंदुस्तान की सूरत कितनी भी बदल गई हो, हम भले ही चंद्रमा तक का सफर तय कर चुके हैं लेकिन हमारे देश में महिलाओं पर होने वाले अत्याचार में अभी भी कमी नहीं आयी है। आए दिन आपको महिला पर जुल्म और जाजदी की घटनाएं सुनने को मिल ही जाती होंगी।
ऐसा नहीं है कि ये सिर्फ गांव और गरीबों पर होता। मीडिया में अकसर हाईप्रोफाइन मामले में भी सामने आते रहते हैं। आज हम आपको एक ऐसी ही प्रथा के बारे में बताने जा रहे हैं जो महिलाओं के लिए अभिशाप बनी है। ज्यादातर गांवों में ही महिलाओं का शोषण किया जाता है।
मध्यप्रदेश के शिवपुरी जिले में आज भी एक इलाका ऐसा है जहां घड़ीचा नाम की प्रथा चल रही है। इस प्रथा में महिलाओं कौ सौदा किया जाता है। इस प्रथा की शिकार युवतियों के पति स्टांप पर साइन होते ही बदल जाते हैं। इस प्रथा में बिकने वाली लड़कियों और खरीदने वाले पुरुष के बीचे एक समझौता होता है।
समझौते के तौर पर अगर रकम ज्यादा है तो संबंध लंबे दिनों का होता है अगर रकम कम है तो रिश्ते जल्दी टूट जाते हैं। महिला का उस पुरुष से कॉट्रैक्ट खत्म होने पर दूसरे पुरुष से उसका सौदा कर दिया जाता है। यहां हर साल सैकड़ों महिलाओं को दस रुपये से लेकर 100 रुपये तक में खरीदा और बेंचा जाता है।
यहां हर साल करीब 300 से ज्यादा महिलाओं को दस से 100 रूपये तक के स्टांप पर खरीदा और बेचा जाता है। स्टांप पर शर्त के अनुसार खरीदने वाले व्यक्ति को महिला या उसके परिवार को एक निश्चित रकम अदा करनी पड़ती है।
रकम अदा करने व स्टांप पर अनुबंध होने के बाद महिला निश्चित समय के लिए उसकी बहू या व्यक्ति की पत्नी बन जाती है। मोटी रकम पर संबंध स्थायी होते हैं, वरना संबंध समाप्त। अनुबंध समाप्त होने के बाद मायके लौटी महिला का दूसरा सौदा कर दिया जाता है। अनुबंध की राशि समयानुसार 50 हजार से 4 लाख रूपये तक हो सकती है।
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