शर्मनाक: ‘ठेले’ पर योगी की स्वास्थ्य सेवा

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योगी सरकार के सत्ता संभालने के बाद यूपी की बिगड़ी हुई स्वास्थ्य सेवाओं को बहाल करने के तमाम दावे किये गए थे लेकिन, सरकार ने एक साल का अपना हनीमून ख़त्म कर लिया है लेकिन अस्पतालों में अमानवीय व्यवहार की हदें पार करती तस्वीरें अभी भी योगी सरकार और उनके स्वास्थ्य मंत्रालय से चीख-चीखकर ये पूछ रही हैं कि कि यूपी की स्वास्थ्य सेवा आखिर कब ठेले से उतरकर बिस्तर पर पड़े मरीज और उसके साथ सालीन व्यवहार करेंगी।

झाँसी में मानवता हुई थी शर्मसार

कुछ ही दिनों पहले अभी झाँसी में मरीज के पैर को तकिया बनाने की घटना को लेकर अस्पतालों में हो रहे अमानवीय व्यवहार पर सूबे में रोष व्याप्त था तो वहीँ स्वास्थ्य विभाग और महकमें ने इस घटना से कोई सीख नहीं ली और मैनपुरी में ऐसी ही मार्मिक तस्वीर देखने को मिली जब हरिहरपुर गांव की एक महिला की तबियत बिगड़ने के बाद 108 पर फोन किया गया तो काफी देर तक एम्बुलेंस ही नहीं पहुंची। पत्नी की ख़राब हालत को देखते हुए उसे ठेले पर लिटाकर 5 किमी तक उसका पति ले गया फिर भी अस्पताल में पहुँचने पर स्वास्थ्य कर्मियों की अनदेखी के कारण वो अपनी पत्नी की जान न बचा सका और उसकी पत्नी ने वहीँ दम तोड़ दिया।

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वहीं इस मामले में Journalistcafe.com ने इंडियन मेडिकल एसोसिएशन, लखनऊ के डॉक्टर पीके गुप्ता से बातचीत की तो उन्होंने इस पूरे मामले में अस्पताल प्रशासन की लापरवाही बताई। उन्होंने प्रदेश में आकस्मिक सहायता के लिए एम्बुलेंस के देर से पहुंचने या न पहुंचने की बात को भी स्वीकार किया। अस्पताल में मरीज को एटेंट न करना, यह बहुत बड़ी लापरवाही की बात है। मरीज को एटेंट क्यो नहीं किया गया, क्या अस्पताल में डॉक्टर नहीं थे, अगर डॉक्टर थे तो मरीज को क्यों नहीं देखा और अगर नहीं थे तो क्यो नहीं थे। इस विषय में स्वास्थ्य मंत्रालय को कार्रवाई करनी चाहिए।

ठेले पर योगी सरकार की स्वास्थ्य सेवा

प्रदेश में ऐसा पहला मौका नहीं है जब इस प्रकार मानवता को शर्मसार करने वाली तस्वीर सामने आयी है, इसके पहले भी सहारनपुर, बहराइच, फरूखाबाद में सरकारी अस्पतालों में मरीजों के साथ अमानवीय बर्ताव के कारण स्वास्थ्य विभाग की किरकिरी हुई है लेकिन फिर भी ऐसी घटनाओं में कोई खास कमी देखने को नहीं मिल रही है। सरकारी अस्पतालों की बदहाल व्यवस्था का शिकार हरिहरपुर का कन्हैया अकेला नहीं है बल्कि ऐसे अनगिनत कन्हैया हैं जिन्होंने ऐसी बदहाली के कारण अपनों को खोया है।

मरीज से परेशान डॉक्टर ने बांध दिया बेड से

ठीक, इसी प्रकार सिद्धार्थनगर के जिला अस्पताल में कंगारू मदर केयर यूनिट में शॉर्ट सर्किट से आग लगने के कारण एक महीने की मासूम ने दम तोड़ दिया,उस वक्त यहाँ 7 नवजात भर्ती थे, जबकि नोएडा में एमर्जेन्सी में एक डॉक्टर ने मरीज को बेड से ही बांधकर रखा था. मरीज बार-बार हाथ खोलने की कोशिश करता था लेकिन सभी ये कह रहे थे कि डॉक्टर ने हाथ खोलने से मना किया है।

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