पूर्व आईएएस अभिषेक सिंह की नौकरी में वापसी के प्रयास पर योगी सरकार ने लगाया ब्रेक, जानें वजह ?
एक मशहूर कहावत है कि, ”घर का कुत्ता न घर का न घाट का ” यह कहावत पूर्व आईएएस अभिषेक सिंह के मामले में बिल्कुल सटीक बैठती है. जी हां, मनोरंजन की दुनिया में किस्मत आजमाने के बाद राजनीति में कदम रखने के लिए भारतीय प्रशासनिक सेवा के 2011 बैच के IAS अभिषेक सिंह ने नौकरी से इस्तीफा दे दिया था. जिसके बाद उनका सनी लियोनी के साथ एक गाना भी आया था,लेकिन अब वे एक बार फिर अपनी नौकरी में वापसी करना चाह रहे थे, लेकिन प्रदेश की योगी सरकार ने उनके इन प्रयासों पर रोक लगा दी है. राज्य सरकार ने अभिषेक सिंह की सेवा में पुनः वापसी के प्रार्थना पत्र पर केंद्र सरकार के DOPT (डिपार्टमेंट ऑफ पर्सनल एंड ट्रेनिंग) द्वारा मांगी गई आख्या व सहमति को अस्वीकृत कर दिया है. इसके स्थान पर राज्य सरकार ने अपनी संस्तुति भेज दी है.
राजनीति के चक्कर में पहले पूर्व आईएएस अभिषेक सिंह त्यागपत्र देते हैं, जो अनुमोदित भी होता है. इसके बाद निर्वाचन ड्यूटी के दौरान उनके खिलाफ शुरू हुई विभागीय कार्रवाई भी समाप्त हो जाती है. इसके बाद अभिषेक सिंह जौनपुर लोकसभा सीट से बीजेपी का टिकट चाहते थे. वे फिल्म अभिनेत्री सनी लियोनी के साथ नजर आते रहते हैं, इसके अलावा उन्होने एक एल्बम में भी काम किया है. इससे अभिषेक बहुत चर्चा में आ गए थे. पूर्व आईएएस अधिकारी अभिषेक सिंह बांदा डीएम दुर्गा शक्ति नागपाल के पति हैं.
टिकट न मिलने पर आयी नौकरी की याद
ऐसे में भाजपा से टिकट की चाह रखने वाले अभिषेक सिंह जब पार्टी से टिकट लेने गए तो, पार्टी ने उनके बजाय जौनपुर से पूर्व केंद्रीय गृह राज्यमंत्री कृपा शंकर सिंह को टिकट देने के साथ लोकसभा चुनाव में अपना उम्मीदवार बना लिया. इस सपने के टूटते ही अभिषेक सिंह एक बार फिर नौकरी में वापसी के लिए सक्रिय हो गए. इसके लिए उन्होंने केंद्रीय सरकार के DOPT को पत्र लिखकर आईएएस सेवा में फिर से शामिल होने का अनुरोध किया था, लेकिन प्रदेश की योगी सरकार के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि, अभिषेक सिंह की वापसी पर रोक लगा दी गई है.
योगी सरकार में एक उच्च पदस्थ अधिकारी ने बताया कि, राज्य सरकार द्वारा अभिषेक सिंह के आवदेन के क्रम में मांगी गई आख्या और सहमति को अस्वीकृत कर दिया गया है, जिसमें उनके आचरण और अनुशासनहीनता को आधार बताया गया है. विस्तारपूर्ण आख्या रिपोर्ट भी वापस भेजी गई है. राज्य सरकार ने DOPT के सचिव को पत्र भेजकर आईएएस अभिषेक सिंह की सेवा के दौरान उनके व्यवहार और अनुशासनहीनता का उल्लेख करते हुए उसे भारतीय प्रशासनिक सेवा में पुनः सम्मिलित किये जाने के लिए प्रेषित प्रार्थना पत्र को औचित्यपूर्ण न पाते हुए अस्वीकृत करने की सलाह दी है.
राज्य सरकार को भेजी गयी रिपोर्ट में क्या है?
प्राप्त जानकारी के अनुसार, राज्य सरकार की ओर से DOPT को भेजी गई रिपोर्ट में पूर्व आईएएस अधिकारी अभिषेक सिंह का आचरण, अनुशासनहीनता और प्रेक्षक की नियुक्ति के दौरान व्यपवहार आपत्तिजनक बताया गया है. निर्वाचन आयोग द्वारा पर्यवेक्षक पद से हटाए जाने के बाद भी अभिषेक सिंह ने नियुक्ति विभाग में अपना पदभार नहीं लिया. इसके बाद में उन्हें निलंबित करके विभागीय कार्रवाई शुरू की गई.
अभिषेक सिंह ने विभागीय कार्यवाही चलते त्यागपत्र दे दिया था. राज्य सरकार ने प्रार्थना पत्र पर व्यवहारिक दृष्टिकोण अपनाते हुए कहा कि, अगर केन्द्र सरकार इस्तीफा स्वीकार कर लेती है तो अभिषेक सिंह के विरुद्ध जारी विभागीय कार्यवाही समाप्त हो जाएगी. केन्द्रीय सरकार ने त्यागपत्र को स्वीकार किया, और राज्य सरकार ने भी विभागीय कार्यवाही को समाप्त कर दिया.
जानें किस नियम के तहत रूकी अभिषेक की वापसी ?
ऑल इंडिया सर्विसेज रूल यानी DOPT 5(1) और 5(1)(A) में इस्तीफे से जुड़े नियमों में कहा गया है कि, अगर कोई आईएएस अधिकारी त्यागपत्र देना चाहता है तो उसका इस्तीफा बिना शर्त होना चाहिए. प्रार्थना पत्र में स्पष्ट रूप से उसके त्यागपत्र का कारण बताना चाहिए. जिस राज्य में आईएएस अधिकारी की नियुक्ति होती है, उस राज्य के मुख्य सचिव को त्यागपत्र का प्रार्थना पत्र भेजा जाता है. उदाहरण के लिए अभिषेक सिंह ने उत्तर प्रदेश के मुख्य सचिव को त्यागपत्र भेजा था. इसके बाद त्यागपत्र को केंद्र सरकार के DOPT से मंजूरी मिलनी चाहिए.
राज्य सरकार सम्बंधित आईएएस अधिकारी का त्यागपत्र विजिलेंस स्टेटस रिपोर्ट केंद्र के DOPT डिपार्टमेंट ऑफ पर्सनल एंड ट्रेनिंग को भेजा जाता है. ऑल इंडिया सर्विसेज के अधिकारियों को इस्तीफा वापस लेने का अधिकार है, लेकिन इसके लिए भी नियम हैं. ऐसे अधिकारियों को 90 दिनों के अंदर पुनः वापसी के लिए प्रार्थना पत्र देना होगा. इसके बाद राज्य सरकार की सहमति और अनुमोदन की भी आवश्यकता होती है.
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कब नहीं होती है वापसी ?
साथ ही, कुछ महत्वपूर्ण परिस्थितियों में त्यागपत्र वापस नहीं लिया जा सकता है. ऑल इंडिया सर्विस रूल्स में स्पष्ट रूप से कहा गया है कि, अगर किसी अधिकारी ने इस उद्देश्य से त्यागपत्र दिया है कि वह किसी राजनीतिक दल से जुड़ेगा या चुनाव में भाग लेगा, तो उसे वापस लेने का अधिकार नहीं मिलेगा. यही सब कारण है कि राज्य सरकार ने पुनः वापसी को रोक लगा दी है.