बनारस में बांग्लादेशी जिहादियों के खिलाफ महिलाओं ने खोला मोर्चा

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वाराणसीः बांग्लादेश में कट्टरपंथी जिहादियों द्वारा की गई धर्म के नाम पर हिंसा कोई आंदोलन नहीं, बल्कि महिलाओं, बच्चों और हिन्दुओं के संहार की साजिश है. 124 जिहादियों द्वारा एक महिला के साथ बलात्कार, बच्चों की हत्या कर लाश को लटकाना, मंदिरों को जला देना और हिन्दुओं का संहार भारत के लिए चिंता और चेतावनी का सबक है. अपने ही देश की महिला प्रधानमंत्री शेख हसीना के अंतःवस्त्र को लहराकर पूरी दुनिया की महिलाओं को शर्मसार करने वाले जिहादियों के खिलाफ सामाजिक संगठनों और महिलाओं का गुस्सा फूट पड़ा है.

इसको लेकर बनारस में विशाल भारत संस्थान एवं मुस्लिम महिला फाउंडेशन के संयुक्त तत्वावधान में बड़ी संख्या में महिलाएं और बच्चे सड़क पर उतरकर सुभाष भवन से प्रेमचन्द स्मृति द्वार तक सुरक्षा मार्च निकाला.

ड्रम बजाकर महिलाओं की चीत्कार सुनाने का प्रयास

विशाल भारत संस्थान की बेटियों ने ड्रम बजाकर दुनिया की बहरी हो चुकी सरकार को बांग्लादेश में महिलाओं की चीत्कार को सुनाने का प्रयास किया. प्रदर्शन कर रहीं महिलाओं में बांग्लादेश की घटना को लेकर क्रोध और पीड़ा थी. इस अवसर पर उन्होंने बांग्लादेश जिहादियों का पुतला भी फूंका.

तख्तियों पर लिखे सवाल, मांगा जवाब

अपनी पीड़ा को व्यक्त करने के लिए सामाजिक कार्यकर्त्ताओं एवं महिलाओं ने हाथों में तख्तियां लेकर दुनिया की सरकार से सवाल पूछे. इसमे महिला प्रधानमंत्री का अंतःवस्त्र लहराकर कौन सी क्रांति किये हो ? 124 बांग्लादेशी जिहादियों का एक महिला से बलात्कार, ये कौन सी क्रांति है सरकार ? मंदिरों को जलाना, बच्चो की लाश को लटकाना और हिन्दुओं का संहार, ये कैसी क्रांति है ? महिला प्रधानमंत्री की इज्जत खुलेआम की नीलाम, ये जमातियों को कैसा काम ? मोदी जी, क्या यह दुनिया महिलाओं के रहने लायक बची है ? एक मार्मिक और सवालिया निशान वाला पोस्टर था- हे बंगाली अभागे हिन्दुओं, तुम्हारा दुश्मन कौन ? आज तेरे कत्ल पर है जो पूरी तरह मौन ? कत्ल के रहनुमाओं, महिलाओं और बच्चों को बख्श दो. जमात-ए-इस्लामी के जिहादियों के आतंक ने बांग्लादेशी हिन्दुओं की बच्चियों और महिलाओं को जीने लायक नहीं छोड़ा. खूनी हिंसा और महिलाओं से सामूहिक बलात्कार यही जिहादियों का चरित्र है.

महिलाओं को जिहादियों की खुली चुनौती

सुभाष मन्दिर तक पहुंचकर मार्च सभा में बदल गयी. इस अवसर पर विशाल भारत संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष डा. राजीव श्रीगुरुजी ने कहा कि ये राजनीतिक मसला नहीं है. पूरी दुनिया की महिलाओं को जिहादियों की खुली चुनौती है. सामूहिक बलात्कार इनके चरित्र का हिस्सा है जो अपने देश के महिला प्रधानमंत्री के अंतःवस्त्र लहराकर जीत का जश्न मना सकते हैं वो किसी भी महिला को नहीं छोड़ेंगे. दुनिया के देश एक जुट हों और अपने देश से जिहादियों को बाहर निकालने और उनके अस्तित्व को खत्म करने की योजना बनाएं, नहीं तो वाकई यह दुनियां महिलाओं के रहने लायक नहीं रह जाएगी.

धर्म के आधार पर किया गया कत्ल

मुस्लिम महिला फाउंडेशन की नेशनल सदर नाज़नीन अंसारी ने कहा कि जिहादी हर देश में हैं और वहां इस्लामी कानून लाकर महिलाओं को सेक्स गुलाम बनाना चाहते हैं. अपने नाजायज कामों और छोटी बच्चियों के साथ यौन हिंसा को जायज ठहराने की आदत है. महिलाओं और बच्चों को बचाने के लिये सभी देश धार्मिक जिहादियों के खिलाफ संयुक्त अभियान चलाकर कठोर दण्ड दें. हिन्दुओं का धर्म के आधार पर कत्ल किया गया. ये चाहते हैं कि हिन्दू या तो भाग जाए या मुसलमान बन जाएं. बांग्लादेश में इंसानियत शर्मसार हुई, महिलाएं पीड़ा सहन नहीं कर पा रही हैं. उनका उनके बच्चों के सामने रेप हो रहा है. पूरी दुनिया चुप है और इसके साथ-साथ यहां के सेकुलर नेता चुप हैं. इनकी चुप्पी कट्टरपंथियों के मन को बढाने वाली है. समय रहते इनपर लगाम लगाना होगा.

भारत में भी उकसाने का किया जा रहा कार्य…

विशाल भारत संस्थान की राष्ट्रीय महासचिव डॉ० अर्चना भारतवंशी ने कहा कि जो यह कह रहे थे कि बांग्लादेश की तरह यहां भी हो सकता है. तो क्या भारत में भी जिहादियों को उकसाकर महिलाओं का सामूहिक बलात्कार कराना चाहते हैं ? ऐसे देशद्रोहियों को गिरफ्तार कर जेल में डाला जाए.

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नेताजी सुभाष रिसर्च इंस्टीट्यूट की निदेशक आभा भारतवंशी ने कहा कि बांग्लादेश की हिंसा के पीछे जो भी हो यह निश्चित है कि वह महिलाओं, बच्चों, दलितों और हिन्दुओं का दुश्मन है. महिलाओं के साथ सेक्स हिंसा कर उनको गुलाम बनाने की योजना पर काम कर रहा है.केन्द्रीय परिषद सदस्य डॉ० नजमा परवीन ने कहा कि किसी न किसी बहाने बांग्लादेशी जिहादी हिन्दुओं का जन संहार कर रहे हैं. भारत सरकार तत्काल दखल दे ताकि बचे हुए हिन्दुओं को बचाया जा सके. पीड़ित हिन्दू परिवार को भारत में शरण दिया जाए.

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मार्च में सत्यम सिंह, सौरभ पाण्डेय, बाबू पटेल, गोलू, यश, किशन, शनि, रोहित, समीर, आकाश, रितिक, शुभम, नमन, संयोगिता, मीरा, कविता, प्रभावती, कलावती, लक्ष्मीना, धनेसरा, शमसुननिशा, किरन, अनीता, संजना, ज्योति, मैना, पार्वती, गीता, आशुतोष, शेर सिंह, अबदुर्रहमन, नुरूद्दीन, माया, बिन्दु, शीला, चन्दा, नगीना, रीता, सुनीता, पूनम, अंजू, हीरामनी, सेचना, बेचना, सरोज, खुर्शीदा बेगम, समसाद, खुशी भारतवंशी, इली भारतवंशी, उजाला भारतवंशी, दक्षिता भारतवंशी, डॉ० धनंजय यादव आदि मौजूद रहे.

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