सहयोगियों से तालमेल में RJD को खल सकती है लालू की कमी

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चारा घोटाला के दूसरे केस में लालू प्रसाद के दोषी साबित होने से राष्ट्रीय जनता दल (RJD) के लिए राष्ट्रीय स्तर पर विपक्षी एकजुटता में मजबूत तरीके से अपना दावा रखना मुश्किल हो सकता है। लालू पहले ही तेजस्वी प्रसाद यादव को RJD के भीतर अपना उत्तराधिकारी बना चुके हैं, लेकिन इस युवा नेता को उस काबिलियत और अनुभव को हासिल करने में शायद अभी वक्त लगे, जिसका प्रदर्शन उनके पिता ने दशकों से अपने राजनीतिक सहयोगियों से निपटने में किया है।

तेजस्वी को पार्टी का कामकाज सौंपना शुरू कर दिया था

लालू ने आम लोगों से बात कर राजनीतिक हालात का जायजा लेने की अपनी कला विकसित की थी। ये ऐसे लोग थे, जो उनसे मिलने उनके पटना आवास पर आते थे। इसके अलावा, वह अपनी तरह की राजनीति और क्षेत्रीय नेताओं मसलन उत्तर प्रदेश के पूर्व सीएम अखिलेश यादव और पश्चिम बंगाल के सीएम ममता बनर्जी से अपने रिश्तों के लिए जाने जाते हैं। ऐसा लगता है कि पार्टी के भीतर तेजस्वी ने खुद के लिए जगह बना ली है। लालू प्रसाद को शायद खुद पर आने वाली मुश्किलों के बारे में अंदाजा था, इसलिए उन्होंने 2015 के विधानसभा चुनाव में पार्टी के बेहतर प्रदर्शन के बाद तेजस्वी को पार्टी का कामकाज सौंपना शुरू कर दिया था।

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हाल में RJD की नैशनल काउंसिल ने तेजस्वी को 2019 के लोकसभा चुनावों में पार्टी का चेहरा बनाने का फैसला किया था। राज्य विधानसभा में विपक्ष के नेता के तौर पर तेजस्वी के पहले भाषण ने भी उनमें लालू का भरोसा बढ़ाया। महागठबंधन से JD(U) के बाहर निकलने के फैसले के बाद तेजस्वी ने राज्य के तकरीबन हर हिस्से का दौरा कर बिहार के सीएम नीतीश कुमार पर निशाना साधने की कोशिश की। इस मामले में लालू की रणनीति बिल्कुल साफ थी। वह राजनीतिक लड़ाई को नीतीश बनाम तेजस्वी बनाना चाहते थे।

हमारे राजनीतिक सहयोगियों से निपटने की क्षमता है

मौजूदा मुश्किल हालात में RJD के लिए राहत की बात यह है कि राज्य की 243 सदस्यों वाली विधानसभा में पार्टी की मजबूत स्थिति (80 विधायक) है। अंदरूनी सूत्रों का कहना है कि तेजस्वी लगातार अपनी पार्टी के विधायकों के साथ संपर्क में रहते हैं और वह उनकी समस्याओं को सुनने के लिए भी वक्त निकालते हैं। आरजेडी के एक सूत्र ने बताया, ‘नीतीश की अगुवाई वाली महागठबंधन सरकार में डेप्युटी सीएम रहते हुए वह अपनी पार्टी के विधायकों के साथ लगातार संपर्क में रहे। विपक्ष के नेता के तौर पर अपने नए रोल में भी उन्होंने यह सिलसिला जारी रखा।’ RJD के पुराने नेताओं मसलन रघुवंश प्रसाद सिंह और जगदानंद सिंह जैसे नेता तेजस्वी को पार्टी के भीतर लगातार गाइड करते हैं। RJD के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष शिवानंद तिवारी ने बताया, ‘तेजस्वी पहले ही हमारी पार्टी का मजबूत चेहरा बन चुके हैं। उनके पास हमारे राजनीतिक सहयोगियों से निपटने की क्षमता है।’

(साभार-एनबीटी)

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