क्या ज्ञानवापी के सर्वे पर लगेगी रोक? इलाहाबाद HC में चल रही सुनवाई

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ज्ञानवापी मामले की सुनवाई इलाहाबाद हाईकोर्ट में शुरू हो गई है. मुख्य न्यायाधीश प्रीतिंकर दिवाकर की अध्यक्षता में सुनवाई शुरू हो गई है. अधिवक्ता विष्णु शंकर जैन (गुविएटर के वकील) और वरिष्ठ अधिवक्ता एसएफए नकवी, जो मस्जिद समिति की ओर से पेश हुए, दोनों ने न्यायाधीश की पीठ के समक्ष गवाही देना शुरू कर दिया है. वाराणसी की निचली अदालत के आदेश के खिलाफ अंजुमन इंतजामिया कमेटी सुप्रीम कोर्ट पहुंची. जिसके बाद कोर्ट ने 26 जुलाई शाम 5 बजे तक मस्जिद के सर्वे पर रोक लगा दी थी. साथ ही इंतजामिया कमेटी को हाईकोर्ट में अपना पक्ष रखने का मौका दिया गया. इस मामले में आज हाईकोर्ट में सुनवाई चल रही है.

नकवी ने सबसे पहले इलाहाबाद उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश के समक्ष अपना मामला पेश करते हुए सिविल प्रक्रिया संहिता (सीपीसी) की धारा 75 का उल्लेख किया। जज ने फरहान नकवी से उन 4 महिलाओं की ओर से दाखिल अर्जी पढ़ने को कहा. वादी पक्ष की ओर से वकील विष्णु शंकर जैन ने अपना पक्ष रखते हुए सबसे पहले ज्ञानवापी की संरचना बतानी शुरू की.

मस्जिद कमेटी ने कहा- ‘कोर्ट में एक अर्जी दायर की गई है जिसमें कोर्ट ने तत्काल वैज्ञानिक सर्वेक्षण का आदेश दिया है, जो गलत है.’ उन्होंने कानून का हवाला देते हुए कहा कि वैज्ञानिक सर्वेक्षण से पहले एक आयोग भेजकर यह पता लगाना चाहिए कि विवादित स्थल पर आसानी से सर्वेक्षण किया जा सकता है या नहीं. अगर इसमें कोई दिक्कत आती है तो सुविधा के लिए क्या कदम उठाए जा सकते हैं?

उन्होंने सीपीसी का जिक्र करते हुए कहा कि सर्वे कमीशन भेजा जा सकता है, साथ ही इस संदर्भ में सरकार को दिशा-निर्देश भी दिये जा सकते हैं. नकवी ने ज्ञानवापी में हो रही खुदाई पर भी आपत्ति जताई. जिस पर विष्णु जैन ने कहा कि हम इमारत की खुदाई नहीं कर रहे हैं बल्कि परिसर के बंजर इलाके की खुदाई कर रहे हैं.

मस्जिद में खुदाई को लेकर चीफ जस्टिस ने पूछा, ‘क्या खुदाई जरूरी है’? इस पर जैन ने एएसआई का हवाला देते हुए कहा कि मस्जिद के अंदर खुदाई नहीं की जा रही है. जरूरत पड़ने पर ही ग्राउंड राडार मैपिंग का इस्तेमाल कर खुदाई की जाएगी और वह भी आखिरी चरण में. उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि मंदिर के प्रमाण तभी मिलेंगे जब इसका सर्वेक्षण होगा.

कोर्ट द्वारा मामले में भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) को पक्षकार नहीं बनाए जाने पर पूछे गए सवाल पर जैन ने कहा कि इसके लिए कोई नियम नहीं है. जिस तरह लिखावट की जांच के लिए राइटिंग एक्सपर्ट को आदेश दिया जाता है, उसी तरह एएसआई को भी सर्वे करने का आदेश दिया गया. ऐसे में उन्हें पक्षकार बनाना जरूरी नहीं है.

मुस्लिम पक्ष की 3 बड़ी दलीलें-

इस पूरे मामले में एएसआई ने इतनी तेजी क्यों दिखाई?

एएसआई के इस सर्वे से ज्ञानवापी मस्जिद के मूल स्वरूप को नुकसान हो सकता है.

जब सुप्रीम कोर्ट ने निचली अदालत से पूछा कि मामला सुनवाई लायक है या नहीं? लेकिन फिर भी कोर्ट ने सर्वे कराने का फैसला दिया.

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