यीशू की मौत के दिन को क्यों कहा गया Good Friday ?
Good Friday: आज विश्व भर में ईसाई धर्म के लोग गुड फ्राइडे का पर्व मना रहे हैं. इस दिन को मनाने के पीछे की मान्यता है कि इस दिन प्रभु यीशू मानवता के लिए सूली पर चढ गए थे. ईसा मसीह ने हंसते-हंसते मरकर साहस का परिचय दिया और समाज के कल्याण के लिए अपना जीवन भी कुर्बान करने का संदेश दिया था. यही कारण है कि ईसा मसीह की मृत्यु के इस दिन को गुड फ्राइडे के तौर पर मनाते हैं.
ऐसा माना गया है कि यहूदी शासकों ने ईसा मसीह को कठोर शारीरिक और मानसिक यातनाएं देने के बाद उन्हें सूली पर चढ़ाया था, जिसका दिन शुक्रवार माना जाता है. इस घटना के ठीक तीन दिन बाद यीशू फिर से जीवित हो उठे थे, जिसकी खुशी में ईसाई धर्म के लोग इस दिन ईस्टर संडे तौर पर मनाते हैं. ईसाई लोग कुर्बानी दिवस के रूप में भी गुड फ्राइडे को मनाते हैं. गुड फ्राइडे के दिन चर्च में घंटे नहीं बजते और न ही मोमबत्ती जलाई जाती है. इस दिन ईसाई धर्म के लोग चर्च में शोक सभाएं कर काले कपड़े पहनते हैं. कुछ लोग इसे ब्लैक फ्राइडे भी कहते हैं.
क्या है Good Friday का इतिहास
गुड फ्राइडे का इतिहास कम से कम 2005 साल पुराना बताया जाता है, तब यीशू यरुशलम में रहकर शांति, भाईचारे और एकता की शिक्षाएं दिया करते थे. लोगों ने उन्हें परमेश्वर का दूत और उसके पुत्र के रूप में मानना शुरू कर दिया था. उनकी बातों ने आम लोगों को बहुत प्रभावित किया. यह बात यहूदी शासकों को नागवार गुजरी और उन्होंने यीशू पर राजद्रोह का आरोप लगाकर सूली पर लटका दिया. सूली पर चढ़ाने से पहले उन पर बेइंतहा अत्याचार किया गया. उन्हें कांटों का ताज पहनाया और सूली को कंधे पर रखने को मजबूर किया और अंत में उनके हाथों में कीलें ठोककर उन्हें सूली पर चढा दिया.
यीशू की मौत के दिन को क्यों कहा गया गुड फ्राइडे ?
भले ही इस दिन को गुड फ्राइडे कहा जाता है लेकिन यह दिन खुशी का दिन नहीं बल्कि शोक का दिन होता है. यही कारण है कि आप किसी को शुभ फ्राइडे नहीं कह सकते हैं. इसलिए कि इसी दिन ईसा मसीह को सूली पर चढ़ाया गया था. ईसाई धर्म के अनुयायी मानते हैं कि, ईसा मसीह ने इस दिन अपना बलिदान देकर मानवता का उद्धार किया था. ईसाइयों का मानना है कि यह प्रेम और बलिदान का दिन है. पवित्र फ्राइडे को अच्छाई का दिन या पवित्रता का दिन भी माना जाता है, इसलिए इसे ‘पवित्र शुक्रवार’ भी कहा जाता है. वहीं कुछ लोगों का मानना है कि, गुड फ्राइडे का मतलब है कि गॉड यानी ईश्वर का दिन. ईसाई लोग गुड फ्राइडे के दिन मांस खाने से बचते हैं. उनका मानना है कि ईसा मसीह ने गुड फ्राइडे के दिन मानवता के लिए अपनी जान दी.
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कैसे मनाया जाता है गुड फ्राइडे ?
रोमन कैथोलिक चर्च गुड फ्राइडे को उपवास दिवस मानता है. चर्च के लैटिन संस्कारों के अनुसार, एक बार पूरा भोजन खाया जाता है, लेकिन यह नियमित भोजन से कम होता है और अक्सर मांस के स्थान पर मछली खाया जाता है. रोमन रीति के अनुसार, जब तक ईस्टर की निगरानी की अवधि बीत नहीं जाती, पवित्र बृहस्पतिवार की शाम को प्रभु के भोज के साथ कोई मास उत्सव नहीं होता. पस्सिओं ऑफ द लोर्ड की सेवा के दौरान भक्तों को भोजन दिया जाता है, जो प्रभु ईसा मसीह की स्मृति में कोई उत्सव नहीं होता है. पूजा वेदी में कोई वस्त्र, क्रॉस या मोमबत्ती नहीं रहती है. ईस्टर की निगरानी अवधि में जल का आशीर्वाद पाने के लिए पवित्र जल संस्कार के पात्र खाली करने की प्रथा है. गुड फ्राइडे या पवित्र शनिवार पर घंटियां नहीं बजाने की परंपरा है.