उत्तरकाशी सुरंग हादसे के रेस्‍क्‍यू में क्यों लग रहा है समय ?

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उत्तरकाशी टनल हादसे को हुए 12 दिन से ज्यादा का समय हो गया है. 41 जिंदगियां अभी भी सुरंग से बाहर आने की आस लगाए बैठीं है, वहीं रेस्‍क्‍यू ऑपरेशन अधिकारी द्वारा उनके बाहर आने के समय की घोषणा किए जाने के 24 घंटों के बाद भी राहत नहीं मिली है. ऐसे में आम जन में इस बात को लेकर गुस्सा है कि, आखिर उन मासूम जिंदगियों बाहर निकलने में लापरवाही हो क्य़ो रही है, क्या है वजह जो 12 दिनों के बाद भी 41 जिंदगियां अभी सुरंग में फंसी हुई है? आइए जानते है …..

दरअसल, उत्तराखंड के उत्तरकाशी की टनल गिरने से हुए हादसे के बाद से सुरंग के अंदर 41 मजदूर जिंदगी और मौत की जंग लड़ रहे है, हालांकि, राहत कर्मी पाइप के माध्यम से उन्हें जीवित रखने में तो सफल हो रहे है लेकिन मजदूरो के बाहर आने में ताजी अपडेट के मुताबिक 35 से 40 घंटे का वक्त लग सकता है. अब सवाल ये है कि, वक्त लग क्यों रहा है तो, आपको अधिकारियों द्वारा दी गयी जानकारी के मुताबिक कुछ ही घंटों में मजदूरों को सुरक्षित बाहर निकाल लिया जाएगा. आखिरी वक्त में तकनीकी खराबी आने के कारण मजदूरों को बाहर नहीं निकाला जा सका. पूरा देश बचाव अभियान की सफलता का इंतजार कर रहा है. उम्मीद जताई जा रही है कि जल्द ही सुरंग के अंदर फंसे लोगों को बाहर निकाल लिया जाएगा.

राहत के दौरान क्यों रोकनी पड़ी ड्रिलिंग ?

समाचार एजेंसी PTI की एक रिपोर्ट के अनुसार, जिस प्लेटफार्म पर ड्रिलिंग मशीन को टिकाया गया था, उस पर दरारें दिखे जाने के बाद ड्रिलिंग मशीन को रोकना पड़ा था. इसके साथ ही अधिकारियों का कहना है कि, ”ड्रिलिंग जल्द ही शुरू हो जाएगी. पहले धातु की छड़ें मलबे में डाल दी गईं, जिससे ड्रिलिंग में छह घंटे की देरी हुई.” वही राज्य सरकार के नोडल अधिकारी ने बताया कि, ” 22 नवंबर के बाद से ड्रिलिंग कार्य में 1.8 मीटर की प्रगति हुई है, ऑगर मशीन में पहले भी कुछ तकनीकी समस्याएं थीं। इसके बाद मशीन को ठंडा होने के लिए कुछ समय दिया गया.”

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बाहर आने बाद सबसे पहले कहां जाएंगे मजदूर?

मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, मजदूरों की जिंदगी बचाने को लेकर पहले से ही 41 एंबुलेंस घटनास्थल पर खड़ी कर दी गई है, क्योकि, सुरंग से बाहर आने के बाद तुरंत मजदूरो की जांच की जाएगी. चिन्यालीसौड़ सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र (CHC) में डॉक्टरों का एक समूह इस काम में लगाया गया है, बचाव अभियान में ड्रोन तकनीक का उपयोग हो रहा है. ANI ने स्क्वाड्रन इंफ्रा माइनिंग प्राइवेट लिमिटेड के एमडी और सीईओ सिरिएक जोसेफ से इस तकनीक की चर्चा की है. उन्होंने कहा कि, सुरंग के अंदर जा सकने वाली नवीनतम ड्रोन तकनीकों में से एक है. ये भी प्रतिबंधित क्षेत्रों में जाकर लोगों को खोज सकते हैं.

क्या सुरंग में फंसे मजदूरों को दिया जाएगा मुआवजा ?

इसी दौरान कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी ने उत्तराखंड की सिल्कयारा सुरंग में फंसे 41 मजदूरो को मुआवजा देने की मांग की है. उन्होने अपने आधिकारिक एक्स एकांउट से पोस्ट के माध्यम से मजदूरो को मुआवजा देने की बात कहते हुए लिखा है कि, “सरकार से आग्रह है कि प्राणों की बाजी लगाकर दिन-रात राष्ट्र की सेवा में लगे इन मजदूर भाइयों को उचित मुआवजा और मदद दी जाए.”

उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी भी घटनास्थल पर हैं. उन्होंने सुरंग में फंसे कर्मचारियों से बात भी की है. उन्होंने कर्मचारियों को बताया कि, आप लोग साहसी हैं, हम आपके बहुत करीब आ गए हैं. बातचीत का वीडियो भी सोशल मीडिया पर पोस्ट किया गया है. 12 नवंबर को उत्तराखंड में निर्माणाधीन सिल्क्यारा सुरंग का कुछ हिस्सा गिर गया था. बिहार, झारखंड, उत्तर प्रदेश, पश्चिम बंगाल, ओडिशा, उत्तराखंड और हिमाचल प्रदेश के लोग इसमें फंसे हुए हैं.

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