महापरिनिर्वाण दिवस क्यों मनाया जाता है और क्या है इससे मनाने के पीछे का उद्देश्य ?

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देश में हर साल 6 दिसंबर को महापरिनिर्वाण दिवस मनाया जाता है. यह दिवस हमारे देश के संविधान निर्माता डा. भीमराव आम्बेडकर को श्रद्धांजलि देने स्वरूप मनाया जाता है. साल 1956 में 6 दिसंबर को ही उन्होंने अपनी अंतिम सांस ली थी. यही वजह है कि हर साल आज के दिन उनके द्वारा किए कार्यों व योगदान को याद करने के लिए हर साल उनकी पुण्यतिथि पर महापरिनिर्वाण दिवस मनाया जाता है. लेकिन परिनिर्वाण होता क्या है, इस दिवस की शुरूआत कैसे हुई और इसका महत्व क्या है आइए जानते हैं….

जाने क्या होता है परिनिर्वाण ?

महापरिनिर्वाण दिवस का नाम आते ही कई लोगों के मन में यह सवाल आता है कि आखिर परिनिर्वाण क्या होता है ? तो आपको बता दें कि परिनिर्वाण का अर्थ होता है मृत्यु पश्चात निर्वाण अर्थात मौत के बाद निर्वाण. परिनिर्वाण बौद्ध धर्म का एक महत्वपूर्ण सिद्धांत है, जिसका अर्थ है “पूर्ण मुक्ति” या “दुःखों का समाप्त होना”. यह वह अवस्था है जब कोई व्यक्ति जन्म-मृत्यु के चक्र (संसार) से मुक्त हो जाता है और निर्वाण की अंतिम स्थिति तक पहुंचता है. परिनिर्वाण का अनुभव व्यक्ति के शारीरिक निधन के बाद होता है. इसे बौद्ध धर्म में शांति, संतोष और आध्यात्मिक उन्नति की चरम अवस्था माना जाता है. गौतम बुद्ध का परिनिर्वाण कुशीनगर में हुआ था, जिसे बौद्ध धर्म में एक महत्वपूर्ण क्रिया के रूप में माना जाता है.

डॉ. आम्बेडकर की पुण्यतिथि पर महापरिनिर्वाण दिवस मनाने का महत्व

डॉ. भीमराव आंबेडकर ने भारतीय समाज में गरीब और दलित वर्ग की स्थिति में सुधार लाने के लिए महत्वपूर्ण कार्य किए हैं. उन्होंने समाज से छुआछूत और अन्य सामाजिक कुरीतियों को समाप्त करने में अहम भूमिका निभाई. उनका मानना था कि प्रत्येक व्यक्ति को समान अधिकार मिलना चाहिए और उन्होंने इसी दिशा में काम किया. बौद्ध धर्म के अनुयायी डॉ. आंबेडकर को अपने बुद्ध गुरु के समान सदाचारी मानते हैं और मानते हैं कि उन्होंने अपने कार्यों के जरिए निर्वाण प्राप्त किया है.

इसलिए, उनकी पुण्यतिथि 6 दिसंबर को महापरिनिर्वाण दिवस के रूप में मनाई जाती है. डॉ. अंबेडकर ने बौद्ध धर्म का गहन अध्ययन किया और 14 अक्टूबर 1956 को इसे अपनाया. उनके निधन के बाद उनका अंतिम संस्कार भी बौद्ध धर्म के अनुसार हुआ था. मुंबई के दादर चौपाटी में जहां उनका अंतिम संस्कार हुआ था, उसे अब चैत्य भूमि के नाम से जाना जाता है.महापरिनिर्वाण दिवस का आयोजन डॉ. आंबेडकर के योगदान को सम्मानित करने और उनके विचारों को फैलाने का एक महत्वपूर्ण अवसर है.

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इस दिवस को मनाने का उद्देश्य

महापरिनिर्वाण दिवस डॉ. भीमराव आंबेडकर की पुण्यतिथि 6 दिसंबर को मनाया जाता है. इसका उद्देश्य डॉ. आंबेडकर के योगदान को सम्मानित करना और उनके विचारों को जन-जन तक पहुंचाना है. उन्होंने भारतीय समाज में समानता, बंधुत्व और न्याय की स्थापना के लिए संघर्ष किया. महापरिनिर्वाण दिवस पर उनके द्वारा किए गए कार्यों जैसे कि भारतीय संविधान का निर्माण और जातिवाद के खिलाफ संघर्ष को याद किया जाता है. यह दिन समाज में समानता, सामाजिक न्याय और दलितों के अधिकारों की सुरक्षा के प्रति जागरूकता फैलाने का अवसर है.

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