क्यों चर्चा में है राम मंदिर बनाने वाली L&T, 80 साल पुराना है इतिहास
लार्सन एंड टुब्रो (L&T) आज दुनिया की टॉप-5 कंस्ट्रक्शन कंपनियों में से एक है. इसने न सिर्फ भारत की बल्कि दुनिया की सबसे ऊंची प्रतिमा ‘स्टैच्यू ऑफ यूनिटी’ का निर्माण रिकॉर्ड समय में पूरा किया है. साथ ही ‘श्री राम जन्मभूमि मंदिर’ भी बनाया जा रहा है, जिसे 1000 वर्षों तक कोई तूफान या भूकंप या बाढ़ हिला नहीं पाएगा. क्या आप जानते हैं कि इस L&T की शुरुआत डेनमार्क से भारत आए 2 इंजीनियरों ने की थी. आइए जानते हैं इसकी कहानी…
एलएंडटी एक भारतीय बहुराष्ट्रीय कंपनी है। इसका मुख्यालय मुंबई में है और भारत में इसकी उपस्थिति लगभग 80 वर्षों से है. आज के समय में यह दुनिया के 30 से अधिक देशों में अपनी सेवाएं प्रदान करता है. इंजीनियरिंग और निर्माण के अलावा, कंपनी प्रौद्योगिकी, वित्तीय सेवाओं और सूचना प्रौद्योगिकी जैसे क्षेत्रों में काम करती है.
वर्ल्ड वॉर-2 से बिजनेस करने का मौका मिला…
एलएंडटी के संस्थापक डेनमार्क के हेनिंग होलोक लार्सन और सोरेन क्रिश्चियन टुब्रो थे. विश्व युद्ध-2 से पहले दोनों कोपेनहेगन के एफ. एले. स्मिथ एंड कंपनी का कर्मचारी था. लार्सन 1937 के आसपास अपनी कंपनी के एक प्रोजेक्ट पर काम करने के लिए भारत आए, जहां उनकी मुलाकात अपने पुराने दोस्त टुब्रो से हुई, जो 1934 से भारत में थे.
बात 1938 की है, विश्व युद्ध-2 की पृष्ठभूमि बननी शुरू हो गई थी. अधिकांश यूरोपीय अपने देश लौट रहे थे, लेकिन लार्सन एंड टुब्रो डेनमार्क नहीं लौटे. उन्होंने मुंबई में रहना स्वीकार कर लिया और साझेदारी में एक कंपनी शुरू की. यह कंपनी आज लार्सन एंड टुब्रो के नाम से जानी जाती है.
एक कमरे में था ऑफिस…
लार्सन एंड टुब्रो का पहला कार्यालय एक छोटे से कमरे में था. एक मेज और एक कुर्सी और उसमें भी एक समय में केवल एक ही व्यक्ति रह सकता था. कुछ समय तक इधर-उधर हाथ आजमाने के बाद उन्हें मुंबई के सांताक्रूज में युद्ध में क्षतिग्रस्त जहाजों की मरम्मत का काम मिल गया. इसके बाद भारत में रहने वाले अंग्रेजों को कई यूरोपीय उत्पादों की जरूरत पड़ी तो वे भारत में इन उत्पादों के एजेंट बन गये. इस तरह उनका बिजनेस बढ़ने लगा.
युद्ध के बाद बनाई प्राइवेट कंपनी…
साल 1945 में दूसरा विश्व युद्ध ख़त्म हुआ. भारत की आजादी का रास्ता भी तैयार होने लगा. साल 1946 में दोनों दोस्तों ने मिलकर लार्सन एंड टुब्रो को एक निजी कंपनी में बदल दिया, क्योंकि उस समय उनके पास पैसे की कमी थी. फिर कुछ शेयरधारक कंपनी में शामिल हो गए. नई कंपनी ने निर्माण क्षेत्र में प्रवेश किया. पहले मुंबई और फिर कोलकाता, चेन्नई और नई दिल्ली में कार्यालय खोले. कंपनी ने 1956 में अपने बैलार्ड एस्टेट मुख्यालय में प्रवेश किया. पहले इसका नाम ICI हाउस था जो अब L&T हाउस है.
बना रही ‘श्रीराम जन्म भूमि मंदिर’…
एलएंडटी, अब भारत में रच बस चुकी कंपनी है. देश की कई बड़ी फैक्टरीज, मेट्रो, फ्लाईओवर्स का निर्माण करने के बाद जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के सपने ‘स्टेच्यू ऑफ यूनिटी’ को खड़ा करने की बारी आई तब एलएंडटी ने ही इसे अंजाम दिया. लगभग 3000 करोड़ रुपये के इस प्रोजेक्ट को एलएंडटी ने रिकॉर्ड समय में पूरा किया. अब 1800 करोड़ रुपये की लागत से अयोध्या में बन रहे ‘श्रीराम जन्मभूमि मंदिर’ का निर्माण भी एलएंडटी ही कर रही है.
बायबैक करेगी 10,000 के शेयर्स…
एलएंडटी ने मंगलवार को अपने वित्तीय परिणामों की घोषणा की. इसी के साथ कंपनी ने 10,000 करोड़ रुपये मूल्य के शेयर बायबैक का भी ऐलान कर दिया. कंपनी अपने 3.33 करोड़ शेयर वापस खरीदेगी और प्रत्येक शेयर की अधिकतम कीमत 3,000 रुपये चुकाएगी. कभी मात्र 20 लाख रुपये की शेयर पूंजी ( आज की तारीख में करीब 22 करोड़) से शुरू होने वाली एलएंडटी आज अरबों डॉलर की कंपनी है.
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