पितृ पक्ष में क्यों देते हैं कौए को भोजन? जानें इसके पीछे क्या है मान्यता…..
29 सितंबर 2023 यानी आज से पितृपक्ष की शुरूआत हुई है, इस पर्व का हिन्दू धर्म में काफी महत्व है। पितृ पक्ष के दौरान पितरों का श्राद्ध और तर्पण किया जाता है, यह तर्पण का कार्य पितरों की तिथि के अनुसार किया जाता है। इसके साथ ही उनका मनपसंद खाना बनाया जाता है। इसके अलावा पितृ पक्ष के दौरान ब्राह्मणों को भोजन कराने के साथ – साथ दान भी किया जाता है। इस दौरान लोग पितरों के नाम का भोजन निकालकर कौओं को भोजन कराते है। लेकिन अब मन में उठने वाला सवाल ये है कि, पितरों का भोजन कौओं को क्यों खिलाया जाता है और इसका महत्व क्या है ? आइए जानते है …..
कौओ को क्यों खिलाया जाता है पितरों का भोजन ?
धार्मिक मान्यताओ के अनुसार, पितृपक्ष में पितर कौओं के रूप में धरती पर आते है, शास्त्रों में बताया गया है कि, कौआ ही एक ऐसा पक्षी है जिसने देवताओ के साथ अमृत चखा था । जिसकी वजह से कौओ के मौत कभी भी प्राकृतिक वजह से नहीं होती और कौए बिना थके लंबी दूरी तय करने में सक्षम होते है। इसी वजह से किसी की भी आत्मा कौए में वास कर सकती है और एक स्थान से दूसरे स्थान पर जा सकती है। इन्हीं कारणों के चलते पितृ पक्ष में कौओं को भोजन कराया जाता है, वहीं धार्मिक मान्याओं के मुताबिक, जब किसी व्यक्ति की मौत होती है तो उसका जन्म कौआ योनि में होता है। इस कारण कौओं के जरिए पितरों को भोजन कराया जाता है।
कौवे के अलावा पितृपक्ष में इन्हे भी कराना चाहिए भोजन
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार भले ही कौवे को भोजन कराने की मान्यता रही हो, लेकिन इसके अलावा पितृपक्ष के दौरान गाय, कुत्ते और पक्षियों को भी भोजन कराया जा सकता है। माना जाता है कि अगर इनकी ओर से भोजन को स्वीकार नहीं किया जाता है तो इसे पितरों की नाराजगी का संकेत माना जाता है।
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पितृ पक्ष में कौओं को भोजन कराने की ये है पौराणिक कथा
पितृ पक्ष में कौओं को भोजन कराने को लेकर एक पौराणिक कथा का उल्लेख मिलता है। यह कथा कुछ इस प्रकार है कि, इंद्र देव के बेटे जयंत ने कौए का रूप धारण किया था। उस कौए ने एक दिन सीता माता के पैर में चोंच मार दी, इस पूरी घटना को राम जी देख रहे थे। उन्होंने एक तिनका चलाया तो वह कौए की एक आंख में जाकर लग गया, जिसकी वजह से कौए की एक आंख खराब हो गई। इसपर कौए को अपनी गलती का एहसास हुआ और उसने भगवान राम से अपनी गलती की माफी मांगी। कौए की माफी से भगवान राम प्रसन्न हुए और उसे आशीर्वाद दिया कि पितृ पक्ष में कौए को दिए गया भोजन पितृ लोक में निवास करने वाले पितर देवों को प्राप्त होगा।