क्यों अंटार्कटिका में तेजी से घट रही बर्फ, जानें कौन है जिम्मेदार
दुनियाभर में बढ़ते प्रदूषण के चलते पर्यावरण बुरी तरह प्रभावित हो रहा है। आर्कटिक और अंटार्कटिका भी इससे अछूते नहीं हैं। बड़े बद्लाव के कारण अंटार्कटिका में संकट नजर आ रही है। दरअसल, लगातार अंटार्कटिका समुद्र में बर्फ तेजी से घट रही है। पुईचले कुछ समय से इसके धसने की दर में इजाफा हुआ है। दुनियाभर के पर्यावरणविद अंटार्कटिका में तेजी से घट रही बर्फ को लेकर काफी चिंतित हैं। बता दें कि पहले भी इस क्षेत्र में बर्फ धंसने की बड़ी घटनाएं हो चुकी हैं।
अब से पहले पिछले साल और 2017 में अंटार्कटिका के समुद्र की बर्फ रिकॉर्ड निचले स्तर पर पहुंच गई थी. बड़ी बात ये है कि यहां बर्फ के तेजी से घटने में सिर्फ जलवायु परिवर्तन जिम्मेदार नहीं है। वैज्ञानिकों का कहना है कि सेटेलाइट डाटा के अनुसार बीते चार दशक के दौरान अंटार्कटिका में बड़े बदलाव हुए हैं. पिछले कुछ साल में गर्मियों के मौसम में यहां बर्फ की मात्रा में काफी गिरावट दर्ज की गई है. वैज्ञानिकों के मुताबिक, बर्फ का लगातार और तेजी से धंसना काफी दिक्कतें पैदा कर सकता है।
कौन है जिम्मेदार…
विज्ञानिको ने बताया कि अंटार्कटिका की घाट रही बर्फ भविष्य के लिए चिंताजनक है। इसका असर पृथ्वी की जलवायु पर लंबे समय तक देखने को मिल सकता है। ग्लोबल वार्मिंग के कारण अंटार्कटिका में गर्मियों के मौसम के दौरान समुद्र की बर्फ 13 फीसदी तक कम हो रही है। वैज्ञानिकों के मुताबिक, इसके लिए जलवायु परिवर्तन के साथ ही मानवीय गतिविधियां भी जिम्मेदार हैं। रिसचर्स के मुताबिक, अंटार्कटिका में जिस तेजी से समुद्री बर्फ कम हो रही है, उसके लिए ओजोन पर्त में छेद और ग्रीनहाउस गैसों के बढ़ता हुआ उत्सर्जन भी जिम्मेदार है।
धरती के बढ़ रहे तापमान से इसका की संबंध…
अंटार्कटिका में 19वीं शताब्दी के दौरान भी हालात काफी बिगड़ गए थे। हालांक, तब यहां के हालात में काफी जल्दी सुधार आ गया था। इस बार ऐसा नहीं है। इस बार अंटार्कटिका क्षेत्र में रिकॉर्ड बदलाव नजर आ रहे हैं। इसके लिए गर्म हवाओं को भी जिम्मेदार माना जा रहा है। वैज्ञानिकों का मानना है कि समुद्री बर्फ में मौजूदा रिकॉर्ड गिरावट प्रायद्वीप के पश्चिम और पूर्व में लगातार चल रही गम्र हवाओं के कारण आ रही है। अलग-अलग कारणों से धरती के बढ़ते तापमान के कारण इस क्षेत्र का औसत तापमान लंबे समय तक 1.5 डिग्री सेल्सियस बना रहा। इससे भी यहां की बर्फ में लगातार कमी दर्ज की जा रही है।
भारत का क्या है प्लान…
अंटार्कटिका में अमूमन जब भी कोई बड़ा बदलाव होता है तो उसे प्राकृतिक रूप में फिर से वापस लौटने में बहुत ज्यादा समय लग जाता है। इस इलाके में सफेद बफ के रेगिस्तान के अलावा जंगल और जंगली जी-जंतु भी मौजूद हैं। अंटार्कटिका में लगातार बिगड़ते हालात को देखते हुए भारत की संसद के निचले सदन यानी कि लोकसभा में साल 2022 में एक विधेयक पेश किया गया। इस विधेयक को ‘इंडियन अंटार्कटिका बिल-2022’ नाम दिया गया था। इस बिल के साथ भारत ने अंटार्कटिका के पर्यावरण में हो रहे बदलावों को रोकने और वहां के पारिस्थितिकी तंत्र की रक्षा करने की प्रतिबद्धा जताई थी।
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