अपने जन्मदिन पर क्यों मौन रहते थे महात्मा गांधी ?

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देश आज बापू की 155वीं जयंती मना रहा है. इस अवसर पर देश भर में विभिन्न स्थानों पर सरकारी व गैरसरकारी संस्थानों के द्वारा कई सारे कार्यक्रम प्रस्तुत किए जा रहे हैं. इसमें बापू के जीवन और उनके विचारों को साझा कर उनके द्वारा किये गए कामों को याद किया गया, जो आज की जिंदगी में प्रेरणा देने का काम करेंगे. दूसरी ओर क्या आप ने कभी सोचा है जिनके जन्मदिन पर आज हम इतने भव्य कार्यक्रमों का आयोजन करते हैं वे बापू अपने जन्मदिन पर क्या किया करते थे ? यदि नहीं तो आज हम आपको बताने जा रहे हैं कि बापू अपने जन्मदिन पर क्या करते थे …

इस विषय पर गांधीवादी रामचंद्र राही जी लिखते हैं कि, शायद गांधी जी अपना जन्मदिन ही नहीं मनाया करते थे, लेकिन उनके समर्थक लोग उनके जन्मदिन पर उत्साहित होकर जश्न मनाया करते थे. इसके साथ ही वे 100 साल पहले गांधी जी के एक कथन का जिक्र करते हुए कहते हैं कि आज से 102 साल पहले, 1918 में गांधीजी ने अपना जन्मदिन मनाने वालों से कहा था कि, ‘मेरी मृत्यु के बाद मेरी कसौटी होगी कि मैं जन्मदिन मनाने लायक हूं कि नहीं.’

बापू कैसे मनाते थे जन्मदिन…

इस सवाल पर गांधीवादी संस्थाओं की मातृ संस्था, गांधी स्मारक निधि के अध्यक्ष रामचंद्र राही कहते हैं कि उनके लिए यह दिन एक गंभीर दिन हुआ करता था. इस दिन वह ईश्वर से प्रार्थना करते थे. इसके अलावा चरखा चलाते थे और ज्यादा से ज्यादा समय मौन ही रहा करते थे. वहीं इस दिन को वे किसी भी महत्वपूर्ण दिन की तरह ही मनाया करते थे.

कितने बदल गए गांधी जयंती के मायने …

लेकिन आज सरकार गांधी जयंती भव्य कार्यक्रमों का आयोजन करती है. चारों तरह देश भक्ति गीत और कार्यक्रम का आयोजन किया जाता है. इस पर राही जी लिखते हैं कि, ‘सरकार तो कोई भी आयोजन अपने मतलब से करती है. उसे गांधी के विचारों से कुछ लेना-देना नहीं है. सरकार अपनी राजनीतिक महत्वाकांक्षा पूरी करने के लिए गांधी के नाम का इस्तेमाल करती है.उनका कहना है कि अगर सरकार सचमुच गांधी का जन्मदिन मनाना चाहती है तो उसे गांधी के विचारों पर समाज को आगे ले जाने की कोशिश करनी चाहिए. लेकिन इसका लक्षण नहीं दिखता. वर्तमान सरकार गांधी को और गांधी के जन्मदिन को सफाई के साथ जोड़ती है.’

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वहीं सरकार द्वारा गांधी जयंती पर चलाई जा रही स्वच्छता अभियान को लेकर राही कहते है कि, “अगर सफाई के बारे में सोचें, तो पहला काम यह होना चाहिए कि देश में सफाई करने वालों को ऐसी सुविधाएं मुहैया कराई जानी चाहिए, जिससे उन्हें गटर में उतर कर सफाई न करनी पड़े. सफाईकर्मियों को मृत्यु के मुंह में धकेलना सरकार के लिए शर्म की बात है.”

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