मुख्तार अंसारी पर पोटा लगाने वाले DSP शैलेंद्र सिंह ने क्यों दिया था इस्तीफा, जानें पूरा मामला
माफिया डॉन मुख्तार अंसारी की कार्डियक अरेस्ट होने की वजह से मौत हो गई. मुख्तार अंसारी बांदा जेल में बंद थे, तबीयत बिगड़ने के बाद उन्हें अस्पताल ले जाया गया, जहां डॉक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया. मुख्तार अंसारी की मौत के बाद पूरे उत्तर प्रदेश में धारा 144 लागू कर दी गई है. इसके अलावा मऊ, गाजीपुर, आजमगढ़ और आसपास क अन्य जिलों की पुलिस सोशल मीडिया से लेकर जमीनी तौर पर कड़ी नजर रख रही है जिससे किसी तरह माहौल न बिगड़ने पाए.
मुख्तार अंसारी ने जन्म भले ही एक राजनीतिक रसूख वाले घर में लिया हो, जहां पर दादा, पिता और चाचा देश के संवैधानिक पदों और सेना में रहकर देश सेवा की थी, लेकिन मुख्तार अंसारी पर उन सब लोगों का जरा भी असर दिखाई नहीं देता था. शुरू से ही कुछ अलग पहचान बनाने की जिद ने उसे जरायम की दुनिया में उतार दिया. इसके बाद धीरे-धीरे मुख्तार अंसारी का अपराध की दुनिया में तेजी के साथ कद बढ़ा और वह पूर्वांचल का सबसे बड़ा डॉन बन गया.
शैलेंद्र सिंह ने लगाया था मुख्तार पर पोटा
मुख्तार अंसारी पर 50 से ज्यादा मुकदमे दर्ज थे. जिसमें हत्या, लूट, खनन, रंगदारी जैसे तमाम मामले शामिल हैं. उसी में एक एलएमजी (लाइट मशीन गन) खरीद को लेकर भी मामला दर्ज किया था. उस समय एसटीएफ वाराणसी यूनिट के हेड रहे डीएसपी शैलेन्द्र सिंह ने एलएमजी खरीद का पर्दाफाश कर उसे बरामद किया तथा मुख्तार पर पोटा लगाया था. लेकिन मुख्तार अंसारी की पहुंच और रसूख ऐसा था कि सरकार ने शैलेन्द्र सिंह पर ही दबाव बनाया कि पोटा खत्म किया जाए. डीएसपी शैलेंद्र सिंह इस पर अड़ गए और उन्होंने इस कार्रवाई को रोकने से इनकार कर दिया. इसके बाद तत्कालीन मुलायम सिंह यादव की सरकार ने उनके खिलाफ मुकदमा दर्ज करा दिया जिसकी वजह से शैलेंद्र सिंह ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया.
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योगी सरकार ने केस वापस लिया
बता दें कि जनवरी 2004 में शैलेंद्र सिंह एसटीएफ की वाराणसी यूनिट के प्रभारी डिप्टी एसपी थे. शैलेंद्र सिंह ने बीजेपी विधायक कृष्णानंद राय की हत्या से पहले मुख्तार अंसारी के एलएमजी खरीदने का राजफाश किया था, हालांकि 2021 में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की सरकार ने शैलेंद्र सिंह पर दर्ज केस को वापस ले लिया था.