पितृपक्ष में क्यों डाला जाता है कौवों को खाना, जानें वजह और महत्व ?
17 सितंबर से पितृपक्ष की शुरूआत हो गयी है और आज पितृपक्ष पांचवी श्राद्ध मनायी जा रही है. पितृपक्ष में पितरों की तिथि के हिसाब से तर्पण का कार्य किया जाता है और उनको उनकी पसंद का भोजन दिया जाता है. ऐसे में कौवों को पितृ स्वरूप मानकर उन्हें भोजन दिया जाता है और यह सिर्फ पितृपक्ष में ही नहीं बल्कि की किसी भी कार्य में पितरों को याद करते हुए हमेशा कौवों को ही खाना दिया जाता है, ऐसे में क्या आपने कभी सोचा है कि, पितृपक्ष में कौवों को ही भोजन क्यों दिया जाता है और इसका महत्व क्या होता है ?
कौवों को क्यों माना गया है पितृ स्वरूप ?
हिंदू धर्म में कौवों को पितरों का प्रतीक माना जाता है क्योंकि पितरों की आत्माएं कौए के रूप में आकर भोजन और पूजन को स्वीकार करती है. यह मान्यता विशेष रूप से पितृ पक्ष और श्राद्ध के दौरान प्रचलित है. कौए थके बिना लंबी यात्रा कर सकते हैं, ऐसे में किसी भी आत्मा कौए के शरीर में रह सकती है और स्थानांतरित हो सकती है. इन्हीं कारणों से पितृ पक्ष में कौए को भोजन कराया जाता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, मृत व्यक्ति का जन्म कौआ योनि में होता है.
इसके पीछें की ये पौराणिक कथा
पौराणिक कथा के अनुसार, एक बार इंद्रदेव के बेटे जयंत ने कौए का रूप धारण कर धरती पर पहुंचे थे, इस दौरान उन्होने माता सीता को चोंच मार दी, इस बात पर राम जीने तिनके का बाण चलाकर कौवे की आंख फोड़ दी, इस बात पर जयंत को अपनी भूल का एहसास हुआ और उन्होने भगवान श्रीराम से माफी मांगी और भगवान श्रीराम ने उन्हे माफ करते हुए आशीर्वाद दिया कि, पितृपक्ष में कौवो को दिया जाने वाला भोजन पितरों को मिलेगा. तभी से यह मान्यता चली आ रही है और आज भी पितरों को भोजन देने के लिए कौवों को ही भोजन डाला जाता है.
इसका वैज्ञानिक कारण
भाद्रपद महीनें में पितृपक्ष की शुरूआत होती है और इसी महीने में मादा कौवा अंडे देती है. जिसकी वजह से वह बच्चों को छोड़कर अधिक दूर नहीं जा पाती है और उसे अपने साथ – साथ बच्चों के लिए भी अधिक भोजन की आवश्यकता होती है. ऐसे में पितृपक्ष में कौवों को खाना डालने से मादा कौवों को सुविधा मिलती है और इससे कौवा प्रजाति को संरक्षित भी किया जा पाता है.
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कौवे के अलावा पितृपतक्ष में इन्हें कराया जाता है भोजन
पितृपक्ष के दौरान कौवे के अलावा गाय, कुत्ता और चींटी को भोजन देने से पितरों को शांति मिलती है. पितृ पक्ष में गाय को भोजन देने से पिता का आशीर्वाद मिलता है और परिवार पर उनका आशीर्वाद बना रहता है. इसके अलावा, पितृपक्ष में कुत्ते को भोजन देने से पिता की आत्मा प्रसन्न होती है.