कौन है वह बाबा जिसकी भक्ति के पंडाल में पसरा लाशों का सत्संग…

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हाथरस में बीते मंगलवार की देर शाम सामने आए झकझोर देने वाले हादसे की आज हर तरफ चर्चा हो रही है. यह हादसा हुआ भोले बाबा के नाम से मशहूर बाबा के सत्संग दरबार में जहां समाज के गरीब, निराश, वंचित लोग इस आस में बाबा की शरण में पहुंचे थे कि बाबा उनकी मदद करेंगे और उनको उनके जीवन के दुख से छुटकारा दिलाने में मदद करेंगे. आंखों में उम्मीद और मन में श्रद्धा भक्ति लिए जिस बाबा की शरण में भक्त बड़ी संख्या में पहुंचे थे, उनकी भक्ति ही उनकी मौत की वजह बन गयी. उनकी रक्षा, मदद , दुख से निर्वाण का दावा करने वाला वह बाबा हादसे बाद घटनास्थल से फरार हो गया …

उठ रहे हैं कई सवाल

हम किसी धर्म गुरू का विरोध नहीं करते है, लेकिन एक सवाल करते हैं कि क्या उस बाबा को अपने भक्तों की मदद के लिए नहीं रूकना चाहिए था ? क्या हादसे के बाद मदद का हाथ नहीं बढाना चाहिए था ? क्या अपने भक्तों की मौत पर संवेदना नहीं व्यक्त करनी थी ? ऐसे न जाने कितने सवाल है इस हादसे को लेकर जो उस बाबा और उसकी शक्ति पर सवाल खड़े करती है जो खुद को भगवान होने का दावा करता है. ऐसे में आज हम आपको इस वीडियो में उसी बाबा के बारे में बताने जा रहे हैं जिसके सत्संग में यह झकझोर कर रख देने वाला हादसा हुआ है तो, आइए जानते हैं कि कौन है वह बाबा ?

क्या है इसका असली नाम ?

जिस बाबा के सत्संग में यह हादसा हुआ है उसकी बारे में बात करे तो पता चला कि यूं तो यह बाबा बहुत ज्यादा लाइमलाइट में नहीं रहता है और न ही इस कदर मशहूर है. लेकिन हाथरस के आस पास के इलाकों में भारी संख्या में लोग इसकी भक्ति करते हैं और यह बाबा बाकी बाबाओं के जैसे गेरूएं वस्त्र, तिलक, धोती कुर्ता और माला नहीं पहनता है. बल्कि यह किसी अफसर की तरह सूट बूट और टाई पहनकर अपनी पत्नी प्रेमवती के साथ मंच पर बैठता है.

इसके अलावा भोले बाबा यानी साकार हरि नारायण के नाम से मशहूर इस बाबा का असली नाम सूरज पाल है. इसका जन्म यूपी के एटा जिले के बहादुर नगर गांव में हुआ था. इसके दो भाई है जिसमें से एक की मौत हो चुकी है और इसकी शुरूआती पढाई गांव में ही हुई थी. इसके बाद उत्तर प्रदेश पुलिस की स्थानीय खुफिया इकाई में कांस्टेबल के पद पर भर्ती हुआ था.

पुलिस की नौकरी छोड़ बना बाबा

बताते है कि काफी साल पुलिस में काम करने के बाद अचानक से इसका मन भक्ति में लगने लगा और इसने नौकरी छोडकर सत्संग करने का फैसला लिया और गांव में झोपड़ी बनाकर रहने लगा. इसके बाद यह भोले बाबा के नाम से गांव – गांव जाकर भगवान की भक्ति का प्रचार प्रसार करने में लग गया.

इसके चलते इसको जहां अच्छे खासे भक्त मिलने लगे वहीं इसको काफी चंदा भी मिलने लगा. इसके बाद इसने गांव-गांव जाना छोड़कर बाकी बाबा के जैसे सत्संग का आयोजन करना शुरू कर दिया. देखते ही देखते इसे अपने क्षेत्र में अच्छी खासी पहचान मिलने लगी और इसकी दुनिया बदलने लगी. वर्तमान समय में लाखों की संख्या में इसके अनुयायी है और यह जगह-जगह अपने सत्संग का आयोजन करता रहता है. बताया जा रहा है कि हाथरस के बाद आगरा में इसके सत्संग का आयोजन होने वाला था.

कैसे मिली पहचान ?

बताते हैं कि बाबा अपनी पत्नी के साथ रहता था. इसकी कोई भी संतान नहीं है. इसकी वजह से इसने अपने साले की बेटी को गोद ले लिया था जिसे यह काफी प्यार करता था. लेकिन 30 साल की उम्र में अचानक उसकी तबीयत खराब हो गयी और फिर इसके चलते उसकी मौत हो गयी. इसके बाद इस बाबा ने जमकर तमाशा करना शुरू कर दिया. बेटी के शव को यह कहकर इसने अपने घर में ही रख लिया की उसे यह अपनी शक्तियों से जिंदा कर देगा. बाबा की इस अद्भुत दावे से हैरान स्थानीय लोगों का भारी हूजुम इस चमत्कार को देखने के लिए जमा होने लगा.

लेकिन जब बढ़ती भीड़ को कंट्रोल करने के लिए पुलिस वहां पहुंची तो, इसका दावा बदल गया. वह कहने लगा कि लोग ऐसा मानते हैं कि मैं अपनी बेटी को जिंदा कर दूंगा लेकिन ऐसा मेरा कहना नहीं है. इस तमाशे की वजह से वह काफी चर्चा में भी रहा था. हालांकि, ये दावा पूरा हो पाता या नहीं इसका तो मालूम हीं लेकिन उससे पहले पुलिस ने शव को कब्जे में लेकर उसका अंतिम संस्कार करवा दिया. दूसरी ओर शायद इस पूरे तमाशे से जो वो चाहता था वो उसे मिल चुका था, वह थी प्रसिद्धि.

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26 साल से कर रहा सत्संग

आज इस बाबा के सिर्फ यूपी ही नहीं बल्कि पश्चिमी उत्तर प्रदेश सहित उत्तराखंड, हरियाणा, राजस्थान, दिल्ली समेत देशभर में लाखों अनुयायी पाए जाते हैं. आज इसको सत्संग करते हुए तकरीबन करीब 26 साल हो चुके हैं.

 

 

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